Hindi Kavita
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रूठूँगी मैं तुमसे इक दिन इस बात पे
जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार
जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नही
मुहँ फेर कर जब खड़ा था में वहां
बुलाकर पास सीने से अपने लगया क्यूँ नहीं
पकड कर तेरे हाथ पुछूंगा मैं तुमसे
हक अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था
उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ नही
Desh Bhakti Kavita
देखो बच्चों यह झंडा प्यारा
तीनों रंगों का मेल सारा।
रहे सदा यह झंडा ऊंचा
आकाश को रहे यह छूता।
सदा करो तुम इसका मान
कभी ना करना इसका अपना अपमान।
झंडा ही है देश की शान
बना रहे है यह सदा महान।
Love Kavita
मैं अपना इश्क़ अपना इश्क़
1990 वाला चाहता हूँ...!!!
टेस्ट, कॉल से दूर
ख़तों पर रहना चाहता हूँ...!!!
ये बाबू शोना छोड़के
उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ...!!!
जब मिले हम अचानक से
तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ...!!!
जब आये सुखाने कपड़े छत पर
तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ...!!!
जो पापा और भाई के आने से डरती हो
ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ...!!!
हाँ, मैं आज भी मोहब्बत
पुराने जमाने वाला चाहता हूँ...!!!
Life Kavita
राह न अपनी छोड़ो तुम..
फूल बिछे हों या कांटे हों,
चाहे जो विपदायें आयें,
मुख को जरा न मोड़ो तुम..
साथ रहें या रहें न साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ णुम...
नहीं कृपा की भिक्छा मांगो,
कर न दीन बन जोड़ो तुम..
बस ईश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो..
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़े चलो..
Kavita Kosh
तुझे क्या पता
तेरे इन्तजार में हमने
हर लम्हां कैसे गुजारा हैं ...
एक दो बार नही
दिन में हजारों दफ़ा
तेरी तस्वीर को निहारा हैं...
Maa Par Kavita
जरा सी चोट लगे तो आंसू बहा देती है
सुकून भरी गोद में हमको सुला देती है
हम करते हैं खता तो चुटकी में भुला देती है
होते हैं खफा हम तो दुनिया को भुला देती है
मत गुस्ताखी करना उस माँ से जैद
जो अपने बच्चों की चाह में अपने आप को भुला देती है