जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार
जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नही
मुहँ फेर कर जब खड़ा था में वहां
बुलाकर पास सीने से अपने लगया क्यूँ नहीं
पकड कर तेरे हाथ पुछूंगा मैं तुमसे
हक अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था
उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ नही
देखो बच्चों यह झंडा प्यारा
तीनों रंगों का मेल सारा।
रहे सदा यह झंडा ऊंचा
आकाश को रहे यह छूता।
सदा करो तुम इसका मान
कभी ना करना इसका अपना अपमान।
झंडा ही है देश की शान
बना रहे है यह सदा महान।
मैं अपना इश्क़ अपना इश्क़
1990 वाला चाहता हूँ...!!!
टेस्ट, कॉल से दूर
ख़तों पर रहना चाहता हूँ...!!!
ये बाबू शोना छोड़के
उसे प्रेमिका कहना चाहता हूँ...!!!
जब मिले हम अचानक से
तो उसकी खुशी देखना चाहता हूँ...!!!
जब आये सुखाने कपड़े छत पर
तो चोरी चोरी मिलना चाहता हूँ...!!!
जो पापा और भाई के आने से डरती हो
ऐसी मेहबूबा चाहता हूँ...!!!
हाँ, मैं आज भी मोहब्बत
पुराने जमाने वाला चाहता हूँ...!!!
राह न अपनी छोड़ो तुम..
फूल बिछे हों या कांटे हों,
चाहे जो विपदायें आयें,
मुख को जरा न मोड़ो तुम..
साथ रहें या रहें न साथी,
हिम्मत मगर न छोड़ णुम...
नहीं कृपा की भिक्छा मांगो,
कर न दीन बन जोड़ो तुम..
बस ईश्वर पर रखो भरोसा,
पाठ प्रेम का पढ़े चलो..
जब तक जान बनी हो तन में,
तब तक आगे बढ़े चलो..
तुझे क्या पता
तेरे इन्तजार में हमने
हर लम्हां कैसे गुजारा हैं ...
एक दो बार नही
दिन में हजारों दफ़ा
तेरी तस्वीर को निहारा हैं...
जरा सी चोट लगे तो आंसू बहा देती है
सुकून भरी गोद में हमको सुला देती है
हम करते हैं खता तो चुटकी में भुला देती है
होते हैं खफा हम तो दुनिया को भुला देती है
मत गुस्ताखी करना उस माँ से जैद
जो अपने बच्चों की चाह में अपने आप को भुला देती है