बेटी बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में
क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी,
कहते है आज नहीं तो कल तू पराई होगी,
देके जनम पाल-पोसकर जिसने हमें बड़ा किया
और वक़्त आया तो उन्ही हाथो ने हमें विदा किया
टूट के बिखर जाती हे हमारी ज़िन्दगी वही
पर फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ज़रूरी तो नहीं
क्यों रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है
क्या बस यही बेटियो का नसीब होता है !!
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