मैं यादों का पिटारा खोलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
मैं गांव की गलियों से गुजरू
पेड़ की छांव में बैठू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
वो हंसते मुस्कुराते दोस्त ना जाने
किस शहर में गुम हो गए,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
पापा मै आप से कुछ कहना चाहती हूँ
पापा मैं आपके साथ बैठना चाहती हूँ।
आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
अपने दर्द बयाँ कर रोना चाहती हूँ।
पापा मै आप से एक बात कहना चाहती हूँ
मैं कई बार अकेली सी पड़ जाती हूँ।
मैं आप को आवाज लगाना चाहती हूँ
पापा मै आप को बहुत चाहती हूँ।
हाँ, मैं कभी नही बताती
मगर मै आप के जैसा बनना चाहती हूँ।
- Anushthi Singh
एक सवाल
आओ, पूछें एक सवाल!
मेरे सिर में कितने बाल?
कितने आसमान में तारे?
बतलाओ या कह दो हारे!
नदियाँ क्यों बहती दिन-रात?
चिड़ियाँ क्या करती हैं बात?
क्यों कुत्ता बिल्ली पर थाए?
बिल्ली क्यों चूहे को खाए?
फूल कहाँ से पाते रंग?
रहते क्यों न जीव सब संग?
बादल क्यों बरसाते पानी?
लड़के क्यों करते शैतानी?
नानी की क्यों सिकुड़ी खाल?
अजी, न ऐसा करो सवाल!
यह सब ईश्वर की माया है,
इसको कौन जान पाया है?
- श्रीनाथ सिंह
तुम और मैं
दो ओस की बूंद जैसे
जिंदगी के सफर में मिले
जिस राह जिंदगी ले गई
चल दिए...
और फिर
न जाने कब
एक दूजे में मिल कर
पानी बन गए
सागर में समा गए..
हाँ तुम और मै
एक हो गए.