मोहब्बत का इरादा बदल जाना बी मुश्किल है
उन्हें खोना बी मुश्किल है और पाना बी मुश्किल है
ज़रा सी बात पर आंखें भिगो कर बैठ जाते है वो
उसे तो अपने दिल का हाल बताना बी मुश्किल है
यहाँ लोगो ने खुद पर इतने परदे दाल रखे है
किसी के दिल में क्या है नज़र आना बी मुश्किल है
मन के ख्वाब में मुलाक़ात होगी उनसे
पर यहाँ तो उसके बिना नींद आना बी मुश्किल है
औरो से क्या गिला अब तो आलम ये हे “हाल -ए- ज़िन्दगी ” खुद को समझाना बी मुश्किल है
इस मुश्किल में जो साथ दे मेरा अब उस हम सफ़र को धुंध पाना बी मुश्किल है
में तेरे शहर में आया हू , खुद की महफ़िल सजाने आया हू
तेरे इश्क की इस आंधी में ,खुद को फिर मिटाने आया हू .
में भी तेरा दीवाना हू ,बस यही बात बताने आया हू
तेरे इश्क की मासूमियत में ,खुद को फिर लुटाने आया हू .
मैं भी कितना बांवरा हू ,यह तुझे जताने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की प्यास बुझाने आया हू .
तुम मेरी हो – तुम मेरी हो ,बस यही तुम्हें कहने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की महफ़िल सजाने आया हू
आजकल ७० %लोग दुखी इसलिए है की बोलते समय सोचते नहीं क्या बोल रहे है काश ये ना बोला होता तो ऐसा ना होता फहले सोचिए फिर बोलिए !!
हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए !
ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए !
विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं !!
जब आप किसी काम की शुरुआत करें तो असफलता से
मत डरें और उस काम को ना छोड़ें जो लोग इमानदारी से
काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं !!
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा.....
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा
बुझ गई आस छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कहीं
दोनों चलते रहे तन्हा तन्हा
जलती बुझती सी रौशनी के परे
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहां तन्हा
ईमानदारी का सर्टिफिकेटअब देना पड़ेगा !
साँसे कितनी ली है जवाब देना पडेगा !
हमने भी पाला था आस्तीनों में सांप !
कितना दूध पिलाया प्रमाण देना पड़ेगा !!
इंसानियत तो एक है मजहब अनेक है
ये ज़िन्दगी इसको जीने के मक़सद अनेक है
ना खाई ठोकरे वो रह गया नाकाम
ठोकरे खाकर सँभलने वाले अनेक हैं
ना महलों में ख़ामोशी ना फूटपाथ पर
क़ब्रिस्तान में ख़ामोशी से लेटे अनेक है
बहुत चीख़ती है मेरे दिल की ख़ामोशी तन्हाई में
ख़ामोशी अच्छी है कहते अनेक है
रोये थे कभी उसकी याद में अकेले बैठकर
आँखे मेरी लाल है कहते अनेक है
@Insaniyat to aik hai hindi poem of the day