देख कर मेरा नशीब मेरी तकदीर रोने लगी
लहू के अल्फाज़ देखकर तहरीर रोने लगी
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई
सूरत को देखकर खुद तस्वीर रोने लगी
Dekhkar Mera Naseeb Meri Taqdeer Rone Lagi
Lahoo Ke Alfaz Dekhkar Tahreer Rone Lagi.
Hira Me Deewane Ki Halat Kuch Aisi Hui
Soorat Ko Dekhkar Khud Taswweer Rone Lagi.
टूट कर चाहने वालो के दिल क्यों टूटते हैं ....
इश्क की राहों में ही ज्यादा कांटे क्यों मिलते हैं !
जिनके दिल मिलते हैं .....
उनके तकदीर क्यों नही मिलते हैं !!
राहों में सिर्फ पत्थर ही क्यों मिलते हैं ....
एक पल की ख़ुशी के लिए तड़प जाते वो हैं !!!
उन्हें बहाने के लिए सिर्फ आंसू मिलते हैं ....
प्यार के फूल तो उनके लिए बागों में भी नही खिलते हैं !!!!
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
ये तकदीर भी अजीब चीज़ है दोस्तों..
इनके दायरे में बस कमाल होता है !!