तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू !
रेशम की नरमी सी,,जाड़ो की गर्मी सी तू !
रातो की काजल सी,तारों के आँचल सी तू !
तू बादल के बालो सी,दिन के उजालो सी तू !
दिलकश खयालो सी,रंगी ख्वाबो सी तू !
तेरे सवालो सी,मेरे जवाबो सी तू !
ओस में जैसे नहाईं,लबो पे खिली है मुस्कान !
तू हैं फ़रिश्तों के जैसी,रूह की है जैसे तू जान !
तुझ को जो पा जाऊं,होश में ना मैं आऊ !
तू झिलमिल बहारो सी,रिमझिम फ़ुहारों सी तू !
अनजाने यादो सी,पहचाने वादो सी तू !
वन की गुफ़ाओं सी,सातो शमाओं सी तू !
तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू !
रेशम की नरमी सी,जाड़ो की गर्मी सी तू !!
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