Poetry Tadka

Shero Shayari

Sam Ke Baad

तु है सुरज तुझे मालुम कहां रात का दुख !
तु किसी रोज मेरे घर मे उतर शाम के बाद !!

sam ke baad

Bachpan

उडने दो परींदो को अभी शोख हवा में !
फिर लौट के बचपन के जमाने नहीं आते !!

Mushkura Deta Hoon

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे I
तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी II

Gam Ke Kisse Huae Purane

मैं क्या हूँ ,कैसा हूँ ,जमाना सब जाने !
खुली किताब सा जीवन हर कोई पहचाने !
नेकी हो सदा मन में ,हो लबों पर प्रेम तराने !
खुशियाँ बांटू सबको ,गम के किस्से हो पुराने !!

Zindagi Aznbi Si Lagti Hai

दिन तो जैसे तैसे गुजर जाता है !
रात कि तन्हाई बहुत सताती है !
इतना तो क़रीब रहो दूर ना लगे !
जिंदगी भी अजानबी सी लगती है !!