Poetry Tadka

Hindi Shayari हिंदी शायरी लिखा हुआ

Suraj Roz

सूरज रोज़ अब बेफ़िज़ूल ही निकलता है !
तुम गए हो जब से,उजाला नहीं हुआ !!

Uski Naa Thi Khata

उनकी ना थी खता, हम ही कुछ गलत समझ बैठे यारो !
वो मुहब्बत से बात करते थे, तो हम मुहब्बत समझ बैठे !!

Ghar Ke Bhedi Bhed Rhe Hai

घर के भेदी भेद रहे ,अपनी ही थाली छेद रहे !
जो डाल पकड़ के झूले थे,उसी डाल को काट रहे !
अपनी बातें थोप रहे ,सीने में खंजर भोंक रहे !
सारी मर्यादा लांघ चुके,अपनों के खून से खेल रहे !!

Ishq Sabhi Ko Jenaa Shikha Deta Hai

इश्क सभी को जीना सिखा देता है !
वफा के नाम पे मरना सिखा देता है !
इश्क नहीं किया तो करके देखो !
जालिम हर दर्द को पीना सिखा देता हैं !!

ishq sabhi ko jenaa shikha deta hai

Dil Ke Sagar Me Lahre

दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो !
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो !
बहुत चोट लगती है मेरे दिल को !
तुम ख्वाबो में आकर युँ तडपाया ना करो !!