आरे केहू और खातिर कईसे छोड़ दी
पागल हो गइल बाड़ू का तू त जान हऊ हमार
कइसे खतम कर सकीला उनका से आपन रिसता,
जिनका बारे मे बस सोचते ही सारा दुनिया भूल जाइला हम...
हर सँझिया से तोहार बतिया किहल करिले,
अपना सपनवा में तोहरा के ही देखल करिले,
प्रेमी ही त बानी हम तोहार जवन,
हर समइया तोहसे मिले के राह देखल करिले ।
जिनिगी अब पहाड़ जइसन लागे लगल बा
सुखला में बाढ़ जइसे लागे लगल बा..!
कुछुओ कहाँ बा आपन अब,
सब झूठीये के भरम बा
साँसो अब उधार जइसन लागे लगल बा !!
सब तरहे क सिकवा सह लेही ला
जिनगी य़ेही तरे जी लेही ला..!
मिला लेही ला हाथ जेसे दोस्ती क
ओइ हाथ से फिर जहरो पीये पड़ेला !!
अईसन परिंदन के कईद कईल हमार फितरत नईखे !
जे हमरा दिल के पिंजरा में रहके भी
केहू आउर के संग उड़े क शउख रखे !!