आरे केहू और खातिर कईसे छोड़ दी
पागल हो गइल बाड़ू का तू त जान हऊ हमार
कइसे खतम कर सकीला उनका से आपन रिसता,
जिनका बारे मे बस सोचते ही सारा दुनिया भूल जाइला हम...
हर सँझिया से तोहार बतिया किहल करिले,
अपना सपनवा में तोहरा के ही देखल करिले,
प्रेमी ही त बानी हम तोहार जवन,
हर समइया तोहसे मिले के राह देखल करिले ।