इंसान कितना भी खुश किस्मत क्यो ना हो !
उसकी कुछ ख्वाहिशे अधूरी रह ही जाती है !!
सजा देनी हम को भी आती है ओ बेखबर !
पर तू तकलीफ़ से गुजरे ये हमें गवारा नही !!
zebe Bhi Tayyar Rakhi Jaae Sirf Pawo Se Nahi Hogi ! Kyuki Ab Rasto Se Nahi Bazaro Se Guzarna Hai !!