उसे मेरी शायरी पसंद आई क्योंकि इनमे दर्द था, न जाने मैं क्यों पसंद नहीं आया मुझमे तो उससे ज्यादा दर्द था ।
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी, अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।
अपनी फोटो पे शायरी लिख के पोस्ट करने वाले वही लोग होते हैं. जो स्कूल में निशानी लगाने के लिए पेन की ढक्कन चबा जाते थे.. ।
इश्क भी जरुरी है ग़ालिब शायरी के लिये.... अगर कलम लिखती तो दफ्तर का बाबू शायर होता ।
जनाब ये शायरी की दुनिया है अगर अर्थ पे गये तो अनर्थ हो जाऐगा.??
शायरी भी एक खेल है
शतरंज का...
जिसमे लफ़्ज़ों के मोहरे
मात दिया करते हैं एहसासों को..
मुझे पढ़ना है तो बस मेरी हिंदी शायरी को पढ़ लिया करिये ,
शब्द का तो पता नहीं , मगर जज्बात बे मिशाल होंगे ।।
दिल के जज्बात शायरी में लिखता हू
तभी तो लफ्जों में नही लोगो के दिल में धडकता हूँ