Poetry Tadka

Hindi Kahaniyan

A Older Mother Hindi Story

*वृद्ध माँ*
रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है घर मे *#दो_बहुएँ* हैं। बर्तनों की आवाज से परेशान होकर वो पतियों को सास को *उल्हाना* देने को कहती है। वो कहती है *आपकी माँ को मना करो इतनी रात को बर्तन धोने के लिये हमारी नींद खराब होती है*। साथ ही *सुबह 4 बजे* उठकर फिर खट्टर पट्टर शुरू कर देती है *सुबह 5 बजे पूजा-आरती*, करके हमे सोने नही देती ना रात को ना ही सुबह। जाओ सोच क्या रहे हो जाकर माँ को मना करो ।

बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बाते सुनाई पड़ती जो उसके कमरे हो रही थी वो छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है छोटा भाई बाहर आता है, *दोनो भाई रसोई में जाते है और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है* , माँ मना करती पर वो नही मानते बर्तन साफ हो जाने के बाद *दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है , तो देखते है पिताजी भी जग रहे है* । दोनो भाई माँ को बिस्तर पर बैठा कर कहते है *माँ सुबह जल्दी उठा देना हमे भी पूजा करनी है और सुबह पिताजी के साथ योगा करेंगे* , माँ बोलती ठीक है ।

दोनो बेटे सुबह जल्दी उठने लगे रात को 9:30 पर ही बर्तन मांजने लगे तो पत्नियां बोली माता जी करती है आप क्यु कर रहे हो बर्तन साफ तो *बेटे बोले हम लोगो की शादी करने के पीछे एक कारण यह भी था कि माँ की सहायता हो जायेगी* पर तुम लोग ये कार्य नही कर रही हो कोई बात नही हम अपनी माँ की सहायता कर देते है । *हमारी तो माँ है इसमें क्या बुराई है*। अगले तीन दिनों में घर मे पूरा बदलाव आ गया बहुवे जल्दी बर्तन इसलिये साफ करने लगी की नही तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे साथ ही सुबह भी वो भी पतियों के साथ ही उठने लगी और पूजा आरती में शामिल होने लगी । कुछ दिनों में पूरे घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया बहुवे सास ससुर को पूरा सम्मान देने लगी ।

*माँ का सम्मान तब कम नही होता जब बहुऐं उनका सम्मान नही करती , माँ का सम्मान तब कम होता है जब बेटे माँ का सम्मान नही करे या माँ के कार्य मे सहयोग ना करे* ।

एक शेयर माँ के नाम... A Older mother hindi story

Wah Khana Kha Night

वह खाना खा, नाइट-सूट पहन, बैड पर जा बैठी।

आदत के अनुसार, सोने से पहले पढ़ने के लिए किताब उठाई ही थी कि उसके मोबाइल-फोन पर एस.एम.एस की ट्यून बजी। ‘जिस तरह हम दिन भर इकट्ठे घूमे-फिरे, एक टेबल पर बैठ कर खाया। कितना मज़ा आया। इसी तरह एक ही बैड पर सोने में भी खुशी मिलती है। इंतज़ार कर रहा हूँ।’ उसने कुछ दिन पहले ही एक नई कंपनी में नौकरी शुरू की थी। एक सीनियर अफसर के साथ कंपनी के काम से दूसरे शहर में आई थी। दिन का काम निपटाकर वे एक होटल में ठहरे हुए थे। ‘ऐसा बेहूदा मैसेज! सीनियर की तरफ से। उसने पल भर सोचा– नहीं, नहीं, इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। बात अभी ही सँभालनी चाहिए। मैं एम.डी. से बात करती हूँ।’ उसे गुस्सा आ रहा था। इसी दौरान फिर मैसेज आया। ‘तुम शिकायत करने के बारे में सोच रही हो। तुम जिससे भी शिकायत करोगी, उसे भी यही इच्छा ज़ाहिर करनी है। तुम्हारे संपर्क में जो भी आएगा, वह ऐसा कहे बिना नहीं रह सकेगा। तुम चीज ही ऐसी हो।’

‘मैं चीज हूँ, एक वस्तु। मुझे लगता है, इसका किसी लड़की के साथ पाला नहीं पड़ा।’ उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। एक बार फिर एस.एम.एस. आया। ‘देखो! जिन हाथों को छूने से खुशी मिलती है, उन हाथों से थप्पड़ भी पड़ जाए तो कोई बात नहीं। इंतज़ार कर रहा हूँ।’ इसकी हिम्मत देखो…‘इंतज़ार कर रहा हूँ’। फिर उसके मन में एक ख़्याल आया, अगर वह आ गया तो?…डरने की क्या बात है। उसने अपने आप को सहज करने की कोशिश की। यह एक अच्छा होटल है। ऐसे ही थोड़ा कुछ घट जाएगा। वह ख़्यालों में डूबी थी कि बैल बजी। उसने सोचा, वेटर होगा। उसने चाय का आर्डर दे रखा था। दरवाजा खोला तो अफसर सामने था। वह अंदर आ गया। कल्पना ने भी कुछ न कहा।

वह बैड के आगे से घूमता हुआ, दूसरी तरफ बैड पर सिरहाने के सहारे बैठ गया। “सर! आप कुर्सी पर बैठो, आराम से।” कल्पना ने सुझाया। “यहाँ से टी.वी. ठीक दिखता है।” अफसर ने अपनी दलील दी। “सर! अभी वेटर आएगा। अजीब सा लगता है।” कल्पना ने मन की बात रखी। “नहीं, नहीं, कोई बात नहीं। ये सब मेरे जानकार हैं। बी कम्फर्टेबल।” वेटर ने दरवाजा खटखटाया और ‘यैस’ कहने पर भीतर आ गया। वेटर ने चाय की ट्रे रखी और पूछा, “मैम! चाय बना दूँ?” और ‘हाँ’ सुनकर चाय बनाने लगा।

कल्पना ने फिर कहा, “सर ! आप इधर आ जाओ, चाय पीने के लिए। कुर्सी पर आराम से पी जाएगी।” वह कुर्सी पर आने के लिए उठा। कल्पना भी उठी। वेटर ने चाय का कप ‘सर’ को पकड़ाने के लिए आगे किया ही था कि कल्पना ने खींच कर एक तमाचा अफसर के गाल पर मारते हुए कहा, “गैट आउट फ्राम माई रूम।” और फिर एक पल रुककर बोली, “आपका ऐसा स्वागत मैं दरवाजे पर भी कर सकती थी। पर सोचा, इस होटल के सारे वेटर आपके जानकार हैं, उन्हें तो भी पता चलना चाहिए।

Wah Khana Kha Night

Prathna Ka Mol

🙏🙏 #प्रार्थना #का #मोल 🙏🙏
एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है, उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है। वो दुकानदार से प्रार्थना करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है। उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर कहता है, तुम्हारे पास कुछ ऐसा है , जिसकी कोई कीमत हो , तो उसे इस तराजू पर रख दो, मैं उसके वज़न के बराबर सब्जी तुम्हे दे दूंगा।

वृद्ध महिला कुछ देर सोच में पड़ जाती है।
क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था।

कुछ देर सोचने के बाद वह, एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा निकलती है और उस पर कुछ लिख कर तराजू पर रख देती है। दुकानदार ये देख कर हंसने लगता है। फिर भी वह थोड़ी सब्जी उठाकर तराजू पर रखता है। आश्चर्य...!!! कागज़ वाला पलड़ा नीचे रहता है और सब्जी वाला ऊपर उठ जाता है। इस तरह वो और सब्जी रखता जाता है पर कागज़ वाला पलड़ा नीचे नहीं होता। तंग आकर दुकानदार उस कागज़ को उठा कर पढता है और हैरान रह जाता है कागज़ पर लिख था की परमात्त्मा आप सर्वज्ञ हो, अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है''.. दुकानदार को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वो उतनी सब्जी वृद्ध महिला को दे देता है।

पास खड़ा एक अन्य ग्राहक दुकानदार को समझाता है, कि दोस्त, आश्चर्य मत करो। केवल परमात्मा ही जानते हैं की प्रार्थना का क्या मोल होता है। वास्तव में प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की। यदि सच्चे मन से की जाये, तो ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं..!! अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है, की हमारे पास वक्त नहीं। मगर सच तो ये है कि परमात्मा को याद करने का कोई समय नहीं होता...!!

प्रार्थना के द्वारा मन के विकार दूर होते हैं, और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का बल मिलता है। ज़रूरी नहीं की कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना की जाये। जो आपके पास है उसका धन्यवाद करना चाहिए। इससे आपके अन्दर का अहम् नष्ट होगा और एक कहीं अधिक समर्थ व्यक्तित्व का निर्माण होगा। प्रार्थना करते समय मन को ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध घृणा जैसे विकारों से मुक्त रखें

Prathna ka mol

Yamraz Aur Bujurg Mahila

एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये। औरत ने यमराज से पूछा, आप मुझे स्वर्ग ले जायेगें या नरक। यमराज बोले दोनों में से कहीं नहीं। तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किये हैं, इसलिये मैं तुम्हें सिधे प्रभु के धाम ले जा रहा हूं। बुजुर्ग औरत खुश हो गई, बोली धन्यवाद, पर मेरी आपसे एक विनती है। मैनें यहां धरती पर सबसे बहुत स्वर्ग - नरक के बारे में सुना है मैं एक बार इन दोनों जगाहो को देखना चाहती हूं। यमराज बोले तुम्हारे कर्म अच्छे हैं, इसलिये मैं तुम्हारी ये इच्छा पूरी करता हूं। चलो हम स्वर्ग और नरक के रसते से होते हुए प्रभु के धाम चलेगें। दोनों चल पडें, सबसे पहले नरक आया।

नरक में बुजुर्ग औरत ने जो़र जो़र से लोगो के रोने कि आवाज़ सुनी। वहां नरक में सभी लोग दुबले पतले और बीमार दिखाई दे रहे थे। औरत ने एक आदमी से पूछा यहां आप सब लोगों कि ऐसी हालत क्यों है। आदमी बोला तो और कैसी हालत होगी, मरने के बाद जबसे यहां आये हैं, हमने एक दिन भी खाना नहीं खाया। भूख से हमारी आतमायें तड़प रही हैं बुजुर्ग औरत कि नज़र एक वीशाल पतिले पर पडी़, जो कि लोगों के कद से करीब 300 फूट ऊंचा होगा, उस पतिले के ऊपर एक वीशाल चम्मच लटका हुआ था।

उस पतिले में से बहुत ही शानदार खुशबु आ रही थी। बुजुर्ग औरत ने उस आदमी से पूछा इस पतिले में कया है। आदमी मायूस होकर बोला ये पतिला बहुत ही स्वादीशट खीर से हर समय भरा रहता है। बुजुर्ग औरत ने हैरानी से पूछा, इसमें खीर है तो आप लोग पेट भरके ये खीर खाते क्यों नहीं, भूख से क्यों तड़प रहें हैं। आदमी रो रो कर बोलने लगा, कैसे खायें ये पतिला 300 फीट ऊंचा है हममें से कोई भी उस पतिले तक नहीं पहुँच पाता। बुजुर्ग औरत को उन पर तरस आ गया सोचने लगी बेचारे, खीर का पतिला होते हुए भी भूख से बेहाल हैं।

शायद ईश्वर नें इन्हें ये ही दंड दिया होगा यमराज बुजुर्ग औरत से बोले चलो हमें देर हो रही है। दोनों चल पडे़, कुछ दूर चलने पर स्वरग आया। वहां पर बुजुर्ग औरत को सबकी हंसने,खिलखिलाने कि आवाज़ सुनाई दी। सब लोग बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। उनको खुश देखकर बुजुर्ग औरत भी बहुत खुश हो गई। पर वहां स्वरग में भी बुजुर्ग औरत कि नज़र वैसे ही 300 फूट उचें पतिले पर पडी़ जैसा नरक में था, उसके ऊपर भी वैसा ही चम्मच लटका हुआ था। बुजुर्ग औरत ने वहां लोगो से पूछा इस पतिले में कया है। स्वर्ग के लोग बोले के इसमें बहुत टेस्टी खीर है। बुजुर्ग औरत हैरान हो गई उनसे बोली पर ये पतीला तो 300 फीट ऊंचा है आप लोग तो इस तक पहुँच ही नहीं पाते होगें उस हिसाब से तो आप लोगों को खाना मिलता ही नहीं होगा, आप लोग भूख से बेहाल होगें पर मुझे तो आप सभी इतने खुश लग रहे हो, ऐसे कैसे लोग बोले हम तो सभी लोग इस पतिले में से पेट भर के खीर खाते हैं औरत बोली पर कैसे,पतिला तो बहुत ऊंचा है।

लोग बोले तो क्या हो गया पतिला ऊंचा है तो यहां पर कितने सारे पेड़ हैं, ईश्वर ने ये पेड़ पौधे, नदी, झरने हम मनुष्यों के उपयोग के लिये तो बनाईं हैं हमनें इन पेडो़ कि लकडी़ ली, उसको काटा, फिर लकड़ीयों के तुकडो़ को जोड़ के विशाल सिढी़ का निर्माण किया उस लकडी़ की सिढी़ के सहारे हम पतिले तक पहुंचते हैं और सब मिलकर खीर का आंनद लेते हैं बुजुर्ग औरत यमराज कि तरफ देखने लगी यमराज मुसकाये बोले

*ईशवर ने स्वर्ग और नरक मनुष्यों के हाथों में ही सौंप रखा है,चाहें तो अपने लिये नरक बना लें, चाहे तो अपने लिये स्वरग, ईशवर ने सबको एक समान हालातो में डाला हैं* *उसके लिए उसके सभी बच्चें एक समान हैं, वो किसी से भेदभाव नहीं करता* *वहां नरक में भी पेेड़ पौधे सब थे, पर वो लोग खुद ही आलसी हैं, उन्हें खीर हाथ में चाहीये,वो कोई कर्म नहीं करना चाहते, कोई मेहनत नहीं करना चाहते, इसलिये भूख से बेहाल हैं*

*कयोकिं ये ही तो ईश्वर कि बनाई इस दुनिया का नियम है,जो कर्म करेगा, मेहनत करेगा, उसी को मीठा फल खाने को मिलेगा* दोस्तों ये ही आज का सुविचार है, स्वर्ग और नरक आपके हाथ में है मेहनत करें, अच्छे कर्म करें और अपने जीवन को स्वर्ग बनाएं।

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Bejan Rakhi A Hindi Story

बेजान राखी!

आज साक्षी की खुशी का ठिकाना नहीं था। सुबह-सुबह सूरज की किरणें उसके कमरे में पड़ते ही वो हर्षोल्लास के साथ अपने बिस्तर से उठी और बिस्तर के पास रखी हुई चप्पल को पहनकर नींद से भरी आँखें मलती हुई वो कमरे से बाहर आयी। अम्मा ने उसको आते देखा तो वो मुस्कुरा पड़ीं और साक्षी को ज़ोर से गले लगाया। नींद से भरी थीं उसकी आँखें अब भी पर उस दिन के महत्व के आगे उसकी नींद बहुत छोटी मालूम होती थी।

"अम्मा! चल ना बाज़ार चलते हैं।" "नाश्ता करके चलते हैं। इतनी जल्दी क्या है?" "नहीं, अम्मा चलो ना," साक्षी ने बच्चों वाली ज़िद्द करी। "अरे लड़की थम जा, खाले कुछ, पहले। बाज़ार भागा थोड़ी जा रहा है," अम्मा हँसते हुए बोली। साक्षी अपना मुँह फुला के कुर्सी पर बैठ गई मानो किसी ने उसके मुँह में दो लड्डू डाल दिए हों। उसका मुँह बिल्कुल गेंद की तरह गोल और गुस्से में लाल हो गया था। अम्मा रसोईघर में खाना पका रही थी और उस खाने की खुशबू ने साक्षी के टमाटर जैसे मुँह को थोड़ा शांत किया। "अम्मा! आज भैये के पसंद के पकवान बना रही हो?" साक्षी का उत्सुकता भरी आवाज़ में सवाल आया। "हाँ, क्यों? तुझे कुछ और खाना है?" "बस हमेशा अपनी चलाता है वो। आज उसका दिन है तो अपने पसंद के ही सारे पकवान खाएगा क्या? ख़ैर, छोड़ो ! माफ़ किया उसे, उसका दिन है आज।"

अम्मा बातें सुनकर थोड़ा हँस पड़ी और पकवान बनाने में लग गई। नाश्ता करके दोनों माँ-बेटी तैयार हुए और बाज़ार की ओर रवाना हो गए। हर तरफ मिठाई , कपड़े और राखियों का जमावड़ा लगा हुआ था। छोटे-छोटे बच्चे बड़ी खुशी से बाज़ार देख रहे थे, उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। ऊपर आसमान में कुछ पतंगें भी दिख रही थीं, और हर तरफ दुकान के बैनर लटके हुए थे। हर जगह ऑफ़र्स के नाम पर भीड़ को आकर्षित किया जा रहा था। भीड़ बहुत थी पर कोई परेशानी में नहीं दिख रहा था। राखियों की बिक्री तो ऐसे हो रही थी मानो कोई मुफ़्त में बाँट रहा हो। ऐसे ही किसी दुकान पर साक्षी और अम्मा राखी देखने गए।

साक्षी उत्साह से भरी उछल-कूद रही थी। इतनी राखियाँ देख कर उसका सब लेने का मन कर रहा था। अम्मा को उम्मीद भरी आँखों से देख रही थी मानो कह रही हो कि सबसे अच्छी राखी लेना भैया के लिए।

साक्षी हमेशा से एक राखी और एक धागा लिया करती थी मानो अपने भैया को कहना चाहती हो की मेरी डबल रक्षा करना। उस दिन भी उसने यही किया। "चाचा ! ये राखी और ये धागा, दोनों पैक कर दो। आज मेरे भैया घर आने वाले हैं। कल उन्हें राखी बाँधूँगी और बहुत सारे पैसे लूटूंगी।" ये बात सुनकर अम्मा और दुकान वाला चाचा ज़ोर से हँस पड़े। अम्मा ने चाचा को पैसे दिए और दोनों घर की तरफ बढ़ चले। थोड़ी दूर चलते ही एक पुलिस का दस्ता बाज़ार पर कड़ी निगरानी करता दिखा। "अम्मा! ये लोग इतनी छानबीन क्यों कर रहे हैं?" साक्षी के माथे पर एक अजीब सी शिकन थी।

"पता नहीं बेटा! फिर से कुछ हुआ होगा!" साक्षी से रहा नहीं गया, उसने पुलिस वाले अंकल से जाकर पूछा, "अंकल इतनी छानबीन क्यों?" "अभी-अभी आतंकी हमला हुआ है, तो सारा शहर हाई अलर्ट पर है, आप लोग जल्दी से घर पर जाइए।" साक्षी का दिल धड़कने लगा। घर जाते ही उसने टीवी चलाया तो पता लगा कि कुछ जवान एक हमले में शहीद हो गए हैं। एक-एक करके शहीदों के नाम स्क्रीन पर दिखने लगे। "शहीद मेज़र अनूप सिंह अपने देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।" वो नाम और तस्वीर देख कर साक्षी के हाथ से राखी का पैकेट नीचे गिर गया और वो राखी बेजान हो गई। अम्मा घुटने के बल नीचे बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।

"ऐ मेरे वतन के लोगों! जरा आँख में भर लो पानी। जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।" ये गाना टीवी पर गूँजने लगा और साक्षी ने अपने अम्मा के कंधे पर हाथ रखा और बड़े ज़ोर से बोला, "जय हिन्द!"

सिर्फ़ 14 साल की साक्षी उठी और उस बेजान पड़ी राखी को उठाया और उस धागे को भी और उन्हें लेकर अकेले ही बाहर निकल पड़ी। उसके घर के पास मिलिट्री कैंप था। उसने मंदिर से 10-10 रुपए के धागे खरीदे और कैंप में जाकर हर फौजी के हाथ में वो धागे बाँधे। एक वो आज था और एक ये आज है। साक्षी 22 बरस की हो गई है और वो 8 साल से इसी कैंप में जाकर हर फौजी भाई को राखी बाँधती है। पर वो 8 साल पहले खरीदी हुई राखी आज भी घर में उसके कमरे में रखी अलमारी के बक्से में बंद पड़ी है, बिल्कुल बेजान।

~राहुल छाबड़ा
Credit : The Anonymous Writer हिंदी Bejan Rakhi a Hindi Story