Poetry Tadka

Hindi Kahaniyan

Hindi Kahaniyan

एक सेठ जी थे - 

जिनके पास काफी दौलत थी. 

सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी. 

परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया. 

जिससे सब धन समाप्त हो गया.

बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो, 

मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?

सेठ जी कहते कि 

"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे..."

एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया. 

सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...

यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये...

दामाद लड्डू लेकर घर से चला, 

दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया.

उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया.

सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया. 

सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली...

सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा... 

देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में...

इसलिये कहते हैं कि भाग्य से 

ज्यादा 

और... 

समय 

से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो...

झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।

सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।

जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा।

बहुत ही खूबसूरत लाईनें.

.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,

कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!

डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!

अकल कितनी भी तेज ह़ो,नसीब के बिना नही जीत सकती..!

बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,कभी बादशाह नही बन सका...!!

""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!

इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "

Ek Maa Ki Kahani

एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी, मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी... . . तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया, माँ के तन को छूकर हल्के हल्के से हिलाया... . . माँ अलसाई सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी, तभी उस नन्हें ने हलवा खाने की जिद कर दी... . . माँ ने उसे पुचकारा और अपनी गोदी में ले लिया, फिर पास ही रखे ईटों के चूल्हे का रुख किया... . . फिर उसने चूल्हे पर एक छोटी सी कढाई रख दी, और आग जलाकर कुछ देर मुन्ने को ताकती रही... . . फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी, क्या सुनोगे तब तक कोई परियों बाली कहानी... . . मुन्ने की आंखें अचानक खुशी से थी खिल गयी, जैसे उसको कोई मुँह मांगी मुराद ही मिल गयी... . . माँ उबलते हुये पानी में कल्छी ही चलती रही, परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही... . . फिर वो बच्चा उन परियों में ही जैसे खो गया, चटाई पर बैठे बैठे ही लेटा और फिर वहीं सो गया... . . माँ ने उसे गोद में ले लिया और धीरे से मुस्कायी, फिर न जाने क्यूँ उसकी आंख भर आयी... . . जैसा दिख रहा था वहां पर, सब वैसा नहीं था, घर में रोटी की खातिर एक पैसा भी नहीं था... . . राशन के डिब्बों में तो बस सन्नाटा पसरा था, कुछ बनाने के लिए घर में कहाँ कुछ धरा था...? . . न जाने कब से घर में चूल्हा ही नहीं जला था, चूल्हा भी तो माँ के आंसुओं से ही बुझा था... . . फिर मुन्ने को वो बेचारी हलवा कहां से खिलाती, अपने जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती... . . अपनी मजबूरी उस नन्हें मन को मां कैसे समझाती, या फिर फालतू में ही मुन्नें पर क्यों झुंझलाती...? . . हलवे की बात वो कहानी में टालती रही, जब तक वो सोया नहीं बस पानी उबालती रही...

Story Of The Day In Hindi

मेरे एक बहुत अच्छ दोस्त हैे जो एक स्कूल के प्रिंसिपल हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उनका नाम है और वो एक बहुत काबिल प्रशासक हैं. उन्होंने अपनी एक टीचर को सबके बीच में बहुत जोर से डांटा. दो घंटे बाद स्टाफ रूम में फिर डाँटा. छठे पीरियड में फिर एक बार सभी टीचर्स के बीच में डांट दिया. लड़की बेचारी वहीं सबके बीच फफक के रो पड़ी. फिर आया आखिरी पीरियड.

उसमें उस दिन पूरे स्टाफ की एक मीटिंग थी. सब बैठे. प्रिंसिपल ने उनसे पूछा ...... क्यों ? आया मज़ा ? सबके बीच में यूँ डांट खा के कैसा लगता है ? बुरा लगा न ?

 

उन बच्चों को भी बुरा लगता होगा जिन्हें तुम रोजाना डांटती हो ........ अपनी खीज उतारने के लिए मार देती हो .....उन्हें Duffer, गधा, नालायक,कामचोर और न जाने क्या क्या बोलती हो .......कितना Demoralize होते होंगे वो ........ मैं इतने दिन से तुम्हे समझा रहा हूँ ...... तुम्हे समझ नहीं आ रहा था. आज मैं तुमसे नाराज नही था मैंने तुम्हे सिर्फ ये अहसास दिलाने के लिए कि सार्वजनिक प्रताड़ना कितनी कष्ट दायी होती है, तुम्हें जान बूझ के डांटा. लड़की फिर रोने लगी.

 

एक दिन फिर मीटिंग हो रही. थी सबके काम काज की समीक्षा हो रही थी. काम के मामले में उस लड़की की खूब तारीफ हुई. दस मिनट बाद उसे खड़ा किया. पूछा .... कैसा लगा ? अच्छा लगा न ? सबके बीच में तारीफ हुई ....... कैसा फील हुआ .......

 

उस मीटिंग के बाद प्रिंसिपल साहिब ने योजनाबद्ध तरीके से उस लड़की की सबके सामने तारीफ करनी शुरू की ...... तुम्हारा ये ये काम बहुत अच्छा है. You Are My Most Valuable Staff ..... इस इस Field में सुधार करो ....... ये ये गलतियां सुधारो ...... तुम जिंदगी में बहुत ऊपर जाओगी. कहना न होगा ....... आज वो लड़की उनके स्कूल की सबसे काबिल टीचर है ........

 

मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ जो ये बताते हैं कि हमारे बाप ने कभी जिंदगी में हमारी तारीफ न की ..... हमेशा नालायक ही बताया ....... मेरे एक मित्र आज भी उस टीचर को याद करके भावुक हो जाते हैं जो हमेशा स्कूल में उनकी तारीफ करते थे ....

 

नालायक से नालायक आदमी में भी कुछ गुण तो होते ही हैं ..... क्यों न उन्हें ही Explore किया जाए ...... दुनिया भर में तिरस्कृत बच्चे को तारीफ का एक शब्द जलते अंगारे पे पड़ी पानी की शीतल बूँद सा लगता है ........

 

समाज में प्रोत्साहन से जो Results मिल सकते हैं वो Punishment से कभी नहीं मिल सकते.

 

अपने बच्चों की और अपने आसपास के लोगो की तारीफ करना सीखिए.L

Spiritual Story Dad And Daughter

एक बार एक व्यक्ति अपनी नयी कार को बड़े प्यार से पालिश करके चमका रहा था। तभी उसकी 4 साल की बेटी पथ्थर से कार पर कुछ लिखने लगी।  कार पर खरोच लगती देखकर पिता को इतना गुस्सा आया की वह बेटी का हाथ जोर से मरोड़ दिया। इतना ज़ोर से की बेटी की ऊँगली टूट गई। 

बाद में अस्पताल में दर्द से कराह रही बेटी पूछती है, पापा..... मेरी ऊँगली कब ठीक होगी ???????????????

गलती पे पछता रहा पिता कोई जवाब नहीं दे पता। वह वापस जाता है और कार पर लातें बरसाकर गुस्सा निकलता है।  कुछ देर बाद उसकी नज़र उसी खरोच पर पड़ती है, जिसकी वजह से उसने बेटी का हाथ तोडा था। बेटी ने पत्थर से लिखा था " I Love U Dad " 

दोश्तों गुस्सा और प्यार की कोई सीमा नहीं होती। याद रखें चीजें इस्तेमाल के लिए होती हैं और इंसान प्यार करने के लिए। लेकिन होता इसका उलट है। 

आजकल लोग चीजों से प्यार करते हैं और इंसान को इस्तेमाल करते हैं। 

 

Hindi Story Valentine Day Story In Hindi

एक सेठ जी थे - 

जिनके पास काफी दौलत थी. 

सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी. 

परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया. 

 

जिससे सब धन समाप्त हो गया.

 

बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो, 

 

मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?

 

सेठ जी कहते कि 

 

"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे..."

 

एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया. 

 

सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...

 

यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये...

 

दामाद लड्डू लेकर घर से चला, 

 

दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया.

 

उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया.

 

सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया. 

 

सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली...

 

सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा... 

 

देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में...

 

इसलिये कहते हैं कि भाग्य से 

 

ज्यादा 

 

और... 

 

समय 

 

से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो...

 

झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।

 

सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।

 

जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा।

 

बहुत ही खूबसूरत लाईनें.

 

.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,

 

कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!

 

डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!

 

अकल कितनी भी तेज ह़ो,नसीब के बिना नही जीत सकती..!

 

बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,कभी बादशाह नही बन सका...!!

 

""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!

 

इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!

 

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "