Poetry Tadka

Hindi Kahaniyan

A Village Hindi Story

बात एक गाव की है। जहा पर एक लडकी रहती थी। उसका पढाई करने मे मन भी लगता था वे दो बहने और एक उन दोनो बहनो से छोटा उनका एक भाई था।लेकिन उसके माता पिता को तो बस एक ही डर हमेशा लगा रहता था ।कि कल कदे कोई थारी लडकी के साथ कुछ गलत न हो जाए।

इसी डर के कारण उसके माता पिता और उसकी बुआ ने मिलकर जल्दी जल्दी मे उस लडकी की शादी कर दी। जिस लडके के साथ उसकी शादी हुई ।वह उससे दस साल बडा था। उसे उसके बारे मे काफी कुछ बताया गया था कि इसके पास तो काफी पैसे है तू शादी के बाद मौज करेगी।

अब शादी के बाद जो सभी लडकियो के साथ होता है ऐसा ही उस लडकी ने भी सोचा था कि तेरे साथ भी ऐसा ही होगा।पर जैसे ही वह अपने ससुराल गयी ।वहा पर उसने पाया की उसके ससुर की तो शादी से पहले ही मौत हो चूकी थी।अब केवल उसके घर मे उसकी सास और उसका पति रहते थे।लडकी के घर वालो ने ये सोच के शादी की थी की हमारी लडकी आराम से मजे मे रहेगी। लडकी के माता पिता ने ब्याज पर भी पैसे लेकर उसकी शादी मे बढ चढ कर खर्च किया।पर उन्हे कया पता था कि उन्होने अपनी लडकी को एक दहेजी घर मे बेच दिया था।

अब तो दहेज कहानी शुरु होनी ही थी। शादी के दस ही दिन बाद उसकी सास और पति ने उस लडकी को कहा की मेरी सरकारी नौकरी लाग जा गी जो तू अपने घर से 70 हजार रुपये ला के दे दे तो ।वह अगले दिन अपने घर आई तो उसने ये बात अपनी मां को बताई ।तब धीरे से उसकी मा ने यही बात उसके पिता को भी बताई।उसके पिता ने सोचा कोई बात नही अपनी बेटी से तो देने है उसके पिता ने कहा कि बेटी ले जा ।कोई बात नही।

अब पैसे लडके के घर पहुचने पर कुछ दिन तो वे सभी उससे प्यार करने लगे।जैसे ही वे पैसे खत्म हुए।तभी उन्होने अपना गिरगिट की तरह फिर से रुप बदलना शुरु किया।अब कि बार तो उनकी हद ही हो गयी कि वे सभी उसे गंदी और बदचलन कहने लगे।उसको घर से बाहर तक नही जाने देते।

अभी तीन ही महीने हुए थे उसकी शादी को तो तभी उसकी सास भी चल बसी।बस फिर कया था अब तो और भी उसकी लडकी के साथ ज्यादा गलत होना शुरू हो गया।उसका पति जब भी घर से बाहर जाता तो वह हर घर की चीज को ताला लगा के और उसके एक कमरे मे बंद करके जाने लगा।

वह जब भी कुछ बात करती तो तभी वह उसकी पिटाई भी कर देता।जिसके कारण वह डरती नही बोलती थी।और न ही उसे कभी फोन मिलता कि वह अपने घर वालो से तो बात कर ले ।जब भी वह कहती तो उसे यही बात सुनने को मिलती कि मेरे फोन मे पैसे नही है।

अभी उसकी शादी को छह ही महिने हुए थे तो एक दिन उस लडकी का पिता उसके गाव से कही जा रहा था।तो उसने सोचा कयो न अपनी बेटी से मिलता चलू।तो तब उसे सच्चाई का पता चला।तो वह उसी समय अपनी बेटी की यह दशा देखकर रोता हुए उसे वापस अपने घर ले आया।घर पर आने के बाद उसने अपनी बेटी से सारी बाते पुछी । उसने फिर वहा पर लडके के गाव मे पंचायत भी की ।पचायत मे फैसला आया कि तू भाई इस लडकी ने जब तलाक ही दे दे जो या तने नाहे पसंद है तो।उसने वो भी मानने से इंकार कर दिया। अब वह लडकी अपने माता पिता के पास रहकर बारहवी कलास मे पढाई के साथ साथ कम्पयूटर भी सीख रही है।और अपनी पिछली जिदंगी को भूलने की कोशिश करती है पर लेकिन कोई न कोई उसे फिर से उस जिदगी की याद दिला देता है जिससे उसकी रू भी काप उठती है।

अब मै आप सभी से ये कुछ बाते पुछना चाहूगा
1.अगर उस लडकी के पिता आप होते तो आप कया करते।
2.जिसकी लडकी के साथ ऐसा हुआ है तो अब उस लडकी को आगे कया करना चाहिए।

A village hindi story

Sundar Mahila

एक अती सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस से बोला "मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी। क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं।

" उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?" 'सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।" दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयरहोस्टेस अचंभित हो गई। महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।" एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी। एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है।

अतः मैं विमान के कप्तान से बात करती हूँ। कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें।" ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई। कुछ समय बाद लोटने के बाद उसने महिला को बताया, "मैडम! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है | इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।" 'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती... एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा "सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे..? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों। यह बात सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुन्दर दिखने वाली महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।

तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, "मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे। सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये..? लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों के लिए अपने दोनों हाथ खोये।" और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए। 'सुंदर' महिला पूरी तरह से अपमानित होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई। अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है। मैरे पास ये कहानी आई थी।

मैंने इसे पढ़ा तो हृदय को छू गई इसलिये पोस्ट कर रहा हु । उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों भी बहुत पसंद आएगी।

🇮🇳🇮🇳🙏🏻जय हिन्द🙏🇮🇳🇮🇳

Sundar Mahila

Jati Ki Aurat

*जाति औरत की*.???

एक आदमी ने महिला से पूछा ... तेरी जाति क्या है? महिला ने पूछा ... *एक मां की या एक महिला की* ..? उसने कहा ....चल दोनों की बता .. *और मुस्कान बिखेरी* *महिला ने भी पूरे धैर्य से बताया*....... *एक महिला जब माँ बनती है तो वो जाति विहीन हो जाती है*.. उसने फिर आश्चर्य चकित होकर पूछा ....वो कैसे..? जबाब मिला कि .....

जब एक मां अपने बच्चे का लालन पालन करती है,अपने बच्चे की गंदगी साफ करती है , तो वो *शूद्र* हो जाती है.. वो ही बच्चा बड़ा होता है तो मां बाहरी नकारात्मक ताकतों से उसकी रक्षा करती है, तो वो *क्षत्रिय* हो जाती है.. जब बच्चा और बड़ा होता है, तो मां उसे शिक्षित करती है, तब वो *ब्राह्मण* हो जाती है..

और अंत में जब बच्चा और बड़ा होता है तो मां उसके आय और व्यय में उसका उचित मार्गदर्शन कर अपना *वैश्य* धर्म निभाती है ..तो हुई ना एक महिला या मां जाति विहीन.. उत्तर सुनकर वो अवाक् रह गया । उसकी आँखों में महिलाओं या माताओं के लिए सम्मान व आदर का भाव था और महिला को अपने मां और महिला होने पर पर गर्व का अनुभव हो रहा था।

*जिन्दगी दो पल की*_❣खुश रहिये मुस्कुराते रहिये* !! 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Jati Ki Aurat

Do Saal Baad

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही । पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया । परदेश में मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया । सत्रह वर्ष धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई । पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया । उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था ।

सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है । मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर कोई लेने को तैयार नहीं है । सेठ ने सोचा 'इस देश में मैने बहुत धन कमाया है, और यह मेरी कर्मभूमि है, इसका मान रखना चाहिए !' उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई । उस व्यक्ति ने कहा- मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है । सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था.. लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए 500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी । व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया- कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रूककर सोच लेना ।

सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया । कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय सेठ अपने नगर को पहुँचा । उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ । घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया तो वहाँ का नजारा देखकर उसके पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई । पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक युवक सोया हुआ था । अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है । दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ । क्रोध में तलवार निकाल ली । वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आया- कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना । सोचने के लिए रूका ।

तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई । बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई । जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह ख़ुश हो गई और बोली- आपके बिना जीवन सूना सूना था । इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूँ । सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था । पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग । तेरे पिता आए हैं । युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई । उसके लम्बे बाल बिखर गए । सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है । पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं । यह सुनकर सेठ की आँखों से अश्रुधारा बह निकली ।

पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता । मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता । ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं । 'ज्ञान तो अनमोल है ' इस कहानी का सार यह है कि जीवन के दो मिनट जो दुःखों से बचाकर सुख की बरसात कर सकते हैं । वे हैं - 'क्रोध के दो मिनट' इस कहानी को शेयर जरूर करें क्योंकि आपका एक शेयर किसी व्यक्ति को उसके क्रोध पर अंकुश रखने के लिए प्रेरित कर सकता है । Do saal baad

Greebi A Hindi Story

"गरीबी" दोस्तों जरूर पढे

एक परिवार मे 5 लोग थे ,मां बाप ,एक भाई दो बहने,गरीब पिता रिक्शा चलाता था कमजोर था रिक्शा खींचना कभी मोटे तो कभी अधिक भारवाला बोझा ढोने से ज्यादातर बीमार रहता था ,कम कमाई ओर अधिक भूखे रहने से बीमार पिता एक दिन मर गया घर का इकलौता कमाने वाला का यूं चले जाना परिवार पर भारी पडा परिवार भूखमरी पर था सो ये देख कुछ पडोसियो दया भाव से उनकी दयनीय स्थिति देखते उन्हें तीन चार दिन खाना भेज दिया ,फिर उनहोने भी बंद कर दिया आखिर कौन कबतक मदद करता है मां ने कुछ दिन जैसे तैसे भीख मांगकर बच्चो का पेट भरा मगर कबतक कभी भीख मिलती कभी नही, ऐसे भूखे रहने से उसका बडा बेटा भी बीमार हो गया ,दो तीन बीमार भाई को देखती उसकी छोटी बहन एक दिन मां के पास आई ओर कान मे बोली- मां भाई कब मरेगा ......,

मांं की आत्मा तडप उठी ओर बोली- कया बोल रही है पागल भाई हे तेरा लोग भाई के सही होने की दुआ करते हे ओर तू उसके मरने के सपने देख रही है ,लडकी बोली- मां भाई मरेगा तो फिर से पडोसी खाना भेजेंगे ,ऐसे भूखे मरने से तो खाकर मरना अच्छा ,वैसे भी कोई गरीब की बिना वजह मदद नही करता ....मां बच्चो को देखती कभी अपनी लाचारी को देखती रोती ....दोस्तों ये एक कडवा सच हे बिना वजह कोई किसी कि मदद नही करता, शादी मे हजारों का खाना बनता हे कुछ 4 से 5 सौ लोग खाते हे बाकी नालियों मे फेंका जाता हे ,एक अमीर आदमी होटल मे रेस्टोरेंट मे इतना खाने मे जूठा छोड़ देता है जितना किसी गरीब का पेट भरने के लिए काफी होता है ...

दोस्तों अगर भगवान ने आपको समपंन्न बनाया है तो पहले तो अन्न का निरादर ना करें दोस्तों आप मे अक्सर अपने घरों मे कई बनने वाली खाने की चीजों को नापसंद करके छोड़ देते है की मुझे ये खाना वो नही खाना और फिर बचा हुआ खाना बाहर कूडे मे ओर फिर से अन्न का निरादर....वैसे दोस्तों अगर शादी पार्टी मे ज्यादा खाना बनवाते हे तो बचा खाना पास की झुग्गी बस्ती मे बंटवा दे या मंदिर धार्मिक स्थलों के आसपास इकट्ठा रहनेवाले गरीबों मे बांट दे तो ऐसे ना तो आप खाने का निरादर करने से बच जाएगे बल्कि कई भूखो की भूख मिटाने मे सहयोगी बन पाएगे ... सोचिएगा दोस्तों ...सोचने वाली बात है...वैसे नीचे दी गई Pick भी आपको इसी कहानी का एक पहलू समझाती नजर आयेगी....

अगर आप भी मेरे विचारों से सहमत हो तो Comment मे Yes / No लिखिएगा
आपके जबाब के इंतजार मे आपका दोस्त

Greebi a Hindi Story