Poetry Tadka

Hindi Kahaniyan

Anajaane Mein Ham Use Hee Thes Pahunchate Hain Jo Hamaaree Madad

एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा 

उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था !

अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ है !

उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं !

डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला !

आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते !

आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी !

अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे!

डॉक्टर ने विनम्रता कहा -आई ऍम सॉरी -

मैं हॉस्पिटल में नहीं था और कॉल आने के बाद जितना 

तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ कृपया अब आप लोग शांत 

हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ !शांत हो जाइये लड़के का 

पिता गुस्से में बोला क्या इस समय अगर आपका बेटा होता 

तो आप शांत रहते अगर किसी  की लापरवाही की वजह से 

आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे पिता बोले ही जा रहा था !

भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा आप लोग दुआ कीजिये 

मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ !और ऐसा कहते हुए डॉक्टर 

ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया !

बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था !

सलाह देना आसान होता है जिस पर बीतती है वही जानता है !

करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला , ” 

भगवान् का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है !

यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और 

डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे ! 

वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा उसे डिस्चार्ज कब करेंगे !

पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से 

वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा !

ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है , ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो 

मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता लड़के के पिता ने नर्स से कहा !

नर्स रोटी हुई बोली ,आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की मौत हो गयी 

और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका 

अंतिम संस्कार करने जा रहे थे ! और बेचारे अब आपके 

बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम 

संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं !

यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए 

और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया !

फ्रेंड्स,दोस्तों  बहुत बार हम किसी सिचुएशन के बारे में अच्छी 

तरह जाने बिना ही उसपर रियेक्ट कर देते हैं ! पर हमें चाहिए कि हम

खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई 

नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। वर्ना अनजाने में हम उसे ही 

ठेस पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो !!

Kabuliwala By Rabindranath Tagore

मेरी पाँच बरस की बेटी मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, "बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह 'काक' को 'कौआ' कहता है। वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो, बाबूजी, भोला कहता है - आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है, इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी, भोला झूठ बोलता है, है न?" और फिर वह खेल में लग गई।

मेरा घर सड़क के किनारे है। एक दिन मिनी मेरे कमरे में खेल रही थी। अचानक वह खेल छोड़कर खिड़की के पास दौड़ी गई और बड़े ज़ोर से चिल्लाने लगी, "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले!"

कँधे पर मेवों की झोली लटकाए, हाथ में अँगूर की पिटारी लिए एक लंबा सा काबुली धीमी चाल से सड़क पर जा रहा था। जैसे ही वह मकान की ओर आने लगा, मिनी जान लेकर भीतर भाग गई। उसे डर लगा कि कहीं वह उसे पकड़ न ले जाए। उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि काबुलीवाले की झोली के अंदर तलाश करने पर उस जैसे और भी दो-चार बच्चे मिल सकते हैं।

काबुली ने मुसकराते हुए मुझे सलाम किया। मैंने उससे कुछ सौदा खरीदा। फिर वह बोला, "बाबू साहब, आप की बेटी कहाँ गई?"

मैंने मिनी के मन से डर दूर करने के लिए उसे बुलवा लिया। काबुली ने झोली से किशमिश और बादाम निकालकर मिनी को देना चाहा पर उसने कुछ न लिया। डरकर वह मेरे घुटनों से चिपट गई। काबुली से उसका पहला परिचय इस तरह हुआ। कुछ दिन बाद, किसी ज़रुरी काम से मैं बाहर जा रहा था। देखा कि मिनी काबुली से खूब बातें कर रही है और काबुली मुसकराता हुआ सुन रहा है। मिनी की झोली बादाम-किशमिश से भरी हुई थी। मैंने काबुली को अठन्नी देते हुए कहा, "इसे यह सब क्यों दे दिया? अब मत देना।" फिर मैं बाहर चला गया।

कुछ देर तक काबुली मिनी से बातें करता रहा। जाते समय वह अठन्नी मिनी की झोली में डालता गया। जब मैं घर लौटा तो देखा कि मिनी की माँ काबुली से अठन्नी लेने के कारण उस पर खूब गुस्सा हो रही है।

काबुली प्रतिदिन आता रहा। उसने किशमिश बादाम दे-देकर मिनी के छोटे से ह्रदय पर काफ़ी अधिकार जमा लिया था। दोनों में बहुत-बहुत बातें होतीं और वे खूब हँसते। रहमत काबुली को देखते ही मेरी बेटी हँसती हुई पूछती, "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले! तुम्हारी झोली में क्या है?"

रहमत हँसता हुआ कहता, "हाथी।" फिर वह मिनी से कहता, "तुम ससुराल कब जाओगी?"

इस पर उलटे वह रहमत से पूछती, "तुम ससुराल कब जाओगे?"

रहमत अपना मोटा घूँसा तानकर कहता, "हम ससुर को मारेगा।" इस पर मिनी खूब हँसती।

हर साल सरदियों के अंत में काबुली अपने देश चला जाता। जाने से पहले वह सब लोगों से पैसा वसूल करने में लगा रहता। उसे घर-घर घूमना पड़ता, मगर फिर भी प्रतिदिन वह मिनी से एक बार मिल जाता।

एक दिन सवेरे मैं अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था। ठीक उसी समय सड़क पर बड़े ज़ोर का शोर सुनाई दिया। देखा तो अपने उस रहमत को दो सिपाही बाँधे लिए जा रहे हैं। रहमत के कुर्ते पर खून के दाग हैं और सिपाही के हाथ में खून से सना हुआ छुरा।

कुछ सिपाही से और कुछ रहमत के मुँह से सुना कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक आदमी ने रहमत से एक चादर खरीदी। उसके कुछ रुपए उस पर बाकी थे, जिन्हें देने से उसने इनकार कर दिया था। बस, इसी पर दोनों में बात बढ़ गई, और काबुली ने उसे छुरा मार दिया।

इतने में "काबुलीवाले, काबुलीवाले", कहती हुई मिनी घर से निकल आई। रहमत का चेहरा क्षणभर के लिए खिल उठा। मिनी ने आते ही पूछा, ''तुम ससुराल जाओगे?" रहमत ने हँसकर कहा, "हाँ, वहीं तो जा रहा हूँ।"

रहमत को लगा कि मिनी उसके उत्तर से प्रसन्न नहीं हुई। तब उसने घूँसा दिखाकर कहा, "ससुर को मारता पर क्या करुँ, हाथ बँधे हुए हैं।"

छुरा चलाने के अपराध में रहमत को कई साल की सज़ा हो गई।

काबुली का ख्याल धीरे-धीरे मेरे मन से बिलकुल उतर गया और मिनी भी उसे भूल गई।

कई साल बीत गए।

आज मेरी मिनी का विवाह है। लोग आ-जा रहे हैं। मैं अपने कमरे में बैठा हुआ खर्च का हिसाब लिख रहा था। इतने में रहमत सलाम करके एक ओर खड़ा हो गया।

पहले तो मैं उसे पहचान ही न सका। उसके पास न तो झोली थी और न चेहरे पर पहले जैसी खुशी। अंत में उसकी ओर ध्यान से देखकर पहचाना कि यह तो रहमत है।

मैंने पूछा, "क्यों रहमत कब आए?"

"कल ही शाम को जेल से छूटा हूँ," उसने बताया।

मैंने उससे कहा, "आज हमारे घर में एक जरुरी काम है, मैं उसमें लगा हुआ हूँ। आज तुम जाओ, फिर आना।"

वह उदास होकर जाने लगा। दरवाजे़ के पास रुककर बोला, "ज़रा बच्ची को नहीं देख सकता?"

शायद उसे यही विश्वास था कि मिनी अब भी वैसी ही बच्ची बनी हुई है। वह अब भी पहले की तरह "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले" चिल्लाती हुई दौड़ी चली आएगी। उन दोनों की उस पुरानी हँसी और बातचीत में किसी तरह की रुकावट न होगी। मैंने कहा, "आज घर में बहुत काम है। आज उससे मिलना न हो सकेगा।"

वह कुछ उदास हो गया और सलाम करके दरवाज़े से बाहर निकल गया।

मैं सोच ही रहा था कि उसे वापस बुलाऊँ। इतने मे वह स्वयं ही लौट आया और बोला, "'यह थोड़ा सा मेवा बच्ची के लिए लाया था। उसको दे दीजिएगा।"

मैने उसे पैसे देने चाहे पर उसने कहा, 'आपकी बहुत मेहरबानी है बाबू साहब! पैसे रहने दीजिए।' फिर ज़रा ठहरकर बोला, "आपकी जैसी मेरी भी एक बेटी हैं। मैं उसकी याद कर-करके आपकी बच्ची के लिए थोड़ा-सा मेवा ले आया करता हूँ। मैं यहाँ सौदा बेचने नहीं आता।"

उसने अपने कुरते की जेब में हाथ डालकर एक मैला-कुचैला मुड़ा हुआ कागज का टुकड़ा निकला औऱ बड़े जतन से उसकी चारों तह खोलकर दोनो हाथों से उसे फैलाकर मेरी मेज पर रख दिया। देखा कि कागज के उस टुकड़े पर एक नन्हें से हाथ के छोटे-से पंजे की छाप हैं। हाथ में थोड़ी-सी कालिख लगाकर, कागज़ पर उसी की छाप ले ली गई थी। अपनी बेटी इस याद को छाती से लगाकर, रहमत हर साल कलकत्ते के गली-कूचों में सौदा बेचने के लिए आता है।

देखकर मेरी आँखें भर आईं। सबकुछ भूलकर मैने उसी समय मिनी को बाहर बुलाया। विवाह की पूरी पोशाक और गहनें पहने मिनी शरम से सिकुड़ी मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

उसे देखकर रहमत काबुली पहले तो सकपका गया। उससे पहले जैसी बातचीत न करते बना। बाद में वह हँसते हुए बोला, "लल्ली! सास के घर जा रही हैं क्या?"

मिनी अब सास का अर्थ समझने लगी थी। मारे शरम के उसका मुँह लाल हो उठा।

मिनी के चले जाने पर एक गहरी साँस भरकर रहमत ज़मीन पर बैठ गया। उसकी समझ में यह बात एकाएक स्पष्ट हो उठी कि उसकी बेटी भी इतने दिनों में बड़ी हो गई होगी। इन आठ वर्षों में उसका क्या हुआ होगा, कौन जाने? वह उसकी याद में खो गया।

मैने कुछ रुपए निकालकर उसके हाथ में रख दिए और कहा, "रहमत! तुम अपनी बेटी के पास देश चले जाओ।"

Tag: Kabuliwala Story In Hindi Pdf, Kabuliwala Full Story In Hindi, Kabuliwala Story

Author: Rabindranath Tagore

Kabuliwala Is A Famous Story By The Bengali Writer Rabindranath Tagore. 

Spiritual Story Of Inspiration In Hindi

Spiritual Story Of Inspiration In Hindi

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई।

आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।

राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है । अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा।

इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है। दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।

राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं। दरअसल ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।

मित्रों , जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है। जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा

अगर आपको स्टोरी पसंद आये हो तो हमारा फेसबुक का पेज ज़रूर लिखे करे. इससे ये होगा की जब हम कोई भी पोस्ट करेंगे तो आपके न्यूज़ फीड्स में पोस्ट मिलता रहेगा

Tag: A spiritual Heart Touching Story In Hindi

Best Hindi Story

एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे.

एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है. 

वो माँ को बताता है.कामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर 

फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं.....

कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है.

वह सुनार के पास जाती है...

सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा,

ये असली या नकली पता नही इसलिए पुछने आ गई.

सुनार भी होशियारीसें वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है

ये कांच है हीरा नहीं.कामवाली लौट जाती है.

सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है,

जौहरी हीरा पहचान लेता है.

अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है.

वो भी हीरा बाहर फेंक कर कहता है ये कांच है हीरा नहीं.

जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है...

उसके टुकडे टुकडे हो जाते है.

🌹यह सब एक राहगीर निहार रहा था...

वह हीरे के पास जाकर पूछता है...

कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका...

तब तो तूम नही टूटे... फिर अब कैसे टूटे?

हीरा बोला....

कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका

क्योंकि...

वो मेरी असलियत से अनजान थे.

लेकिन....

जौहरी तो मेरी असलियत जानता था...

तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया...

यह दुःख मै सहन न कर सका...

इसलिए मै टूट गया .....

ऐसा ही...

हम मनुष्यों के साथ भी होता है !!!

जो लोग आपको जानते है,

उसके बावजुत भी आपका दिल दुःखाते है

तब यह बात आप सहन नही कर पाते....!

इसलिए....

कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का दिल ना तोड़ें...!!!

हमारे आसपास भी...

बहुत से लोग... हीरे जैसे होते है !

उनकी दिल और भावनाओं को ..

कभी भी मत दुखाएं...और ना ही...

उनके अच्छे गूणों के टुकड़े करिये...!!!

 

Best hindi story

Do Bhaiyon Ka Pyar

दो भाई थे ।आपस में बहुत प्यार था। खेत अलग अलग थे आजु बाजू।बड़े भाई शादीशुदा था । छोटा अकेला ।एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई से खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती तो अच्छी हुई इस बार आनाज भी बहुत हुआ । मैं तो अकेला हूँ । बड़े भाई की तो गृहस्थी है । मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है ।

 

भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।उन्हें जरुरत ज्यादा है।ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है।बड़ा भाई भोजन करके आता है । उसके आते छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।

 

भाई के जाते ही वह विचरता है ।मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है...भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है...उसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है... मै इतने अनाज का क्या करूँगा...ऐसा विचारकर वो 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया...। दोनों भाई के मन में हर्ष था...अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था...। सोच अच्छी रखो प्रेम बढेंगा !!दुनिया बदल जायेंगी !!

 

अगर आपको स्टोरी पसंद आये हो तो हमारा फेसबुक का पेज ज़रूर लिखे करे. इससे ये होगा की जब हम कोई भी पोस्ट करेंगे तो आपके न्यूज़ फीड्स में पोस्ट मिलता रहेगा. और पोस्ट को शेयर करना  :) :)