भूले हैं रफ़्ता-रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम ! क़िश्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये !!
मुड़े-मुड़े से हैं.किताब-ए-इश्क़ के पन्ने ! ये कौन है, जो हमे हमारे बाद पढ़ता है !!