कहने को ज़िन्दगी है मगर इसमें ज़िन्दगी वाली बात नही
भीड़ में शामिल हर कोई है, पर कोई किसी के साथ नही
चलो अच्छा हुआ भ्रम टूट गया मेरा..
बहुत उम्मीदें लगा ली थी मैंने मोहब्बत से उनकी
बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर,
वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे।
मन का कोई कोना अन्धेरे में ना रहे
एक चिराग़ भीतर भी जलाओ यारों