Poetry Tadka

Sad Poetry in Urdu

Beshumar Aadmi

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ

अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी !!

Bikhar Kyu Nahi Jata

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा

जाते है जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता

वो नाम जो बरसों से ना चेहरा ना बदन है

वो ख्वाब नगर है तो बिखर क्यूँ नहीं जाता

Tujhe Pane Ke Liay

लडता रहा मे जिन्दगी से तूम्हे पाने के लिए

वो बहाना ढूढती रही मूझसे खफा होने के लिए

मेरा दिल मूझसे ही छूप कर रोता हे ये सोचकर जालिम

कि सिने मे जिसने पनाह दी मैनै उसके साथ

 धोखा कर धडकता रहा बेवफा के लिए

Tujhe Maloom Tha

तुम्हे मालुम था ना कि मै गरीब हुं 

फिर भी तुमने मेरी हर चीज तोड दी

tujhe maloom tha

Yaad Aaaunga

बहुत रोयेगी जिस दिन मैं याद आऊँगा और बोलेगी 

कि एक पागल था जो पागल था सिफ मेरे लिए !!

yaad aaaunga