और हम कड़क चाय के शौकीन भी थे.
किसी से दिल लग जाने को मोहब्बत नहीं कहते,
जिसके बगैर दिल न लगे उसे मोहब्बत कहते हैं.
खुद ही पागल करती हो,
फिर कहती हो पागल हूँ मै.
पता नहीं कैसा एहसास है ये,
जब से तुम मिले हो सब अच्छा लगने लगा।
चार नैनों में से जब दो नैन
हल्की सी मुस्कान के साथ झुक जाए,
तो उसे मोहब्बत कहते हैं ।
कैसे कहू की अपना बना लो मुझे
निगाहों मे अपनी समा लो मुझे
आज हिम्मत कर के कहता हूँ
मै तुम्हारा हुँ अब तुम ही संभालो मुझे
शुरुआत में हम एक दूसरे से अनजान थे
और आज हम एक दूसरे के लिए
सब कुछ बन चुके है।
मेरे हमसफ़र
पति : अगर मैं तुमसे मांगने को
कहूं तो तुम क्या मांगोगी।
पत्नी : अगर कभी मेरी
आँखों में आंसू आये तो
उन आंसुओ की वजह
आप कभी मत बनना।
पति के लिए जो छोड़ देती है
दुनिया अपनी लोग उसे कहते हैं पत्नी
तुम्हारी खुशियों के लिए ही तो हर रोज तुमसे दूर जाते हैं
अपनी मेहनत को बेचकर खुशियां खरीदकर लाते हैं।
मुझे तेरा साथ ज़िंदगी भर नहीं चाहिए
बल्कि जब तक तू साथ है तब तक जिंदगी चाहिए
कुछ बातों को मुस्कुराके टाल देना चाहिये
अब हर किसी के साथ बहस तो नहीं कर सकते।
सच्चा प्यार सिर्फ वो लोग कर सकते हैं
जो किसी का प्यार पाने के लिए तरस चुके हो।
जिक्र उसी की होती है
जिसकी फिक्र होती है
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में
नजरें जब भी मिलती तुम भी मुस्कुराते थे