शोक नही रहा अब हमे इश्क मोहबब्त का...
वरना आज भी गाँव की गौरी पनघट पे और
शहर की छोरी ट्यूशन पे हमारा इन्तजार करती है
जो सफर की शुरुआत करते हैं,
वे मंजिल भी पा लेते हैं बस,
एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है.
क्योंकि,अच्छे इंसानों का तो रास्ते भी इन्तजार करते है