साल पे साल आते गए ,कलेंडर बदलते गए
पर इस दिल को देखो ,
पागल है आज भी तुम्हारा इन्तजार करता है
तेरे वादों पे ऐतबार किया
उम्र भर तेरा इन्तजार किया
अपनें दिल के उदास आंगन में
तेरी यादों को यादगार किया
शाम कब की ढल चुकी है तेरे इन्तज़ार में
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बहुत है
तेरी मोहब्बत पे मेरा हक तो नहीं
पर दिल चाहता है आखरी साँस तक तेरा इंतज़ार करू