वो नही मिला तो मलाल क्या !
जो गुज़र गया सो गुज़र गया !
उसे याद करके ना दिल दुखा !
जो गुज़र गया सो गुज़र गया !
ना गिला किया ना ख़फ़ा हुए !
युँ ही रास्ते में जुदा हुए !
ना तू बेवफ़ा ना मैं बेवफ़ा !
जो गुज़र गया सो गुज़र गया !
तुझे एतबार-ओ-यकीं नहीं !
नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं !
ना मलाल कर, मेरे साथ आ !
जो गुज़र गया सो गुज़र गया !
वो वफ़ाएँ थीं, के जफ़ाएँ थीं !
ये ना सोच किस की ख़ताएँ थीं !
वो तेरा हैं, उसको गले लगा !
जो गुज़र गया सो गुज़र गया !!
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तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू !
रेशम की नरमी सी,,जाड़ो की गर्मी सी तू !
रातो की काजल सी,तारों के आँचल सी तू !
तू बादल के बालो सी,दिन के उजालो सी तू !
दिलकश खयालो सी,रंगी ख्वाबो सी तू !
तेरे सवालो सी,मेरे जवाबो सी तू !
ओस में जैसे नहाईं,लबो पे खिली है मुस्कान !
तू हैं फ़रिश्तों के जैसी,रूह की है जैसे तू जान !
तुझ को जो पा जाऊं,होश में ना मैं आऊ !
तू झिलमिल बहारो सी,रिमझिम फ़ुहारों सी तू !
अनजाने यादो सी,पहचाने वादो सी तू !
वन की गुफ़ाओं सी,सातो शमाओं सी तू !
तू शर्मीली सिमटी सी,है शोख़ तितली सी तू !
रेशम की नरमी सी,जाड़ो की गर्मी सी तू !!
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वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखाकर रोयी
मैं किसी और की हूँ,बस इतना बता कर रोयीं
शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोयीं,
दुःख का एहसास दिला कर रोयीं
कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे
और आज ये बात दोहरा कर रोयीं
मुझ से ज्यादा बिछुड़ने का गम था उसे
वक्त-ए-रुक्शांत,वो मुझे सीने से लगा कर रोयीं
मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला हो ये
लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोयीं
मुझ पर दुःख का पहाड़ एक और टुटा
जब वो मेरे सामने मेरे ख़त जलाकर रोयीं
मेरी नफरत और अदावत पिघल गयी एक पल में
वो बेवफा है तो, क्यों मुझे रुलाकर रोयीं ?
सब गिले-शिकवे मेरे एक पल में बदल गए
झील सी आँखों में जब आंसू सजाकर रोयीं
कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोयीं !!
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