*हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती*
*बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद*
*हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती
मेरे हाथों को मालूम है मेरे दुश्मनो के गिरेबानों का पता
चाहूँ तो पकड़ लूँ.. पर मजा आता है माफ करने में
यारियाँ ही रह जाती है मुनाफ़ा बन के,
मोहब्बत के सौदों में ...नुक़सान बहोत हैं