मेरी वफ़ा की कदर ना की
अपनी पसंद पे तो ऐतबार किया होता
सुना है वो उसकी भी ना हुई,
मुझे छोड दिया था उसे तो अपना लिया होता
खुद को औरों की तवज्जो का तमाशा न करो,
आइना देख लो अहबाब से पूछा न करो,
शेर अच्छे भी कहो, सच भी कहो, कम भी कहो,
दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुसवा न करो