पूरी दुनिया, नफरतों में जल रही है
फिर भी ना जाने कैसे ठंड लग रही है
खुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हो तो *भीग जाया कर
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से *जगमगाया कर
दर्द आँखों से *मत बहाया कर
काम ले कुछ हसीन होंठो से,
बातों-बातों में *मुस्कुराया कर
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे *किसी बहाने आया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम-से-कम *हाथ तो मिलाया कर
हमे कहां मालुम था इश्क होता क्या है
बस एक तुम मिलें और जिन्दगी मुहब्बत बन गई