अनेको में एकता का प्रतिक हैं मेरा देश
चंद गैरों की सुनना मुझे गँवारा नहीं
हिन्दू हो या मुस्लिम सभी का प्यारा है मेरा देश
दुश्मनी के लिए यह याद नहीं रहता
वतन मेरा दोस्ती पर कुर्बान हैं
नफरत पाले कोई उड़ान नहीं भरता
दिलों में चाहत ही मेरे वतन की शान हैं
देख लेना मेरी ग़ज़लों मे शबाहत अपनी
शायरी को मेरी कुछ और निख़र जाने दो
खूबसूरत सा कोई नाम फिर अता करना
पहले दिवानगी को हद से गुज़र जाने दो...