Poetry Tadka

Sad Shayari

Wo Muje Mehndi Lage Haath Dikhakar Royi

वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखाकर रोयी
मैं किसी और की हूँ,बस इतना बता कर रोयीं
शायद उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे
वो मुझे पास अपने बिठाकर रोयीं,
दुःख का एहसास दिला कर रोयीं
कभी कहती थी मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे
और आज ये बात दोहरा कर रोयीं
मुझ से ज्यादा बिछुड़ने का गम था उसे
वक्त-ए-रुक्शांत,वो मुझे सीने से लगा कर रोयीं
मैं बेकसूर हूँ, कुदरत का फैसला हो ये
लिपट कर मुझसे बस वो इतना बता कर रोयीं
मुझ पर दुःख का पहाड़ एक और टुटा
जब वो मेरे सामने मेरे ख़त जलाकर रोयीं
मेरी नफरत और अदावत पिघल गयी एक पल में
वो बेवफा है तो, क्यों मुझे रुलाकर रोयीं ?
सब गिले-शिकवे मेरे एक पल में बदल गए
झील सी आँखों में जब आंसू सजाकर रोयीं
कैसे उसकी मोहब्बत पर शक करे ये दोस्तों
भरी महफ़िल में वो मुझे गले लगा कर रोयीं !!
Wo muje mehndi lage haath dikhakar royi

Socha Tha Kabhi

सोचा था कभी हो जाऐगा अहसास मेरे सच्चे प्यार
का मगर ऐसा कोई दिन साल महीना बरस नही आया !
थक कर जिन्दगी से जब मे पहूचा उसकी चोखट
पर माथा टेक मेने बीख मे उसके प्यार की दोलत मागी !
ठूकरा दिया मुझे ठोकर मार कर अपनी चोखट के
बाहर जालिम को मुझ पर थोडा सा भी तरस नही आया !!

Ae Dost Kabhi Mujhe

Ae Dost Kabhi Mujhe Bhula Na Dena
Hanste Hue Chehre Ko Kabhi Rula Na Dena
Kabhi Kisi Baat Per Khafa Ho Bhi Jao
Par Mujhse Door Hokar Judai Ki Saza Na Dena Ae dost kabhi mujhe

Usne Kaha Pyar Ek Dard

Usne Kaha Pyar Ek Dard Hai
Humne Kaha Dard Qabul Hai
Usne Kaha Dard Ke Saath Ji Na Paoge
Humne Kaha Teri Pyar Ke Saath Marna Qabul Hai

Barbaad Ho Gaye The Hum Duniya Ne Yun Humko Sataya Tha

Barbaad Ho Gaye The Hum Duniya Ne Yun Humko Sataya Tha
Har Ek Mod Pe Hum Girte The Kisi Ne Bhi Na Humko Uthaya Tha
Tab Tune Hi Sanam Ek Umeed Ka Diya Jalaya Tha
Apne Har Ek Gam Ko Chupakar Mujhe Jeena Sikhaya Tha Barbaad ho gaye the hum duniya ne yun humko sataya tha