जब कोई ख्याल दिल से टकराता है
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है
हर शाम किसी के लिए सुहानी नही होती
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नही होती
कुछ तो असर होता है दो आत्मा के मेल का
वरना गोरी राधा, सावले कान्हा की दीवानी न होती
सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है
मगर जब गुफ़्तगू करता है चिंगारी निकलती है
लबों पर मुस्कुराहट दिल में बेज़ारी निकलती है
बड़े लोगों में ही अक्सर ये बीमारी निकलती है
इंकार को इकरार कहते हे
खामोशी को इज़हार कहते हे
क्या दस्तूर है इस दुनिया का
एक खूबसूरत सा धोखा हे
जिसे लोग ‘प्यार’ कहते हे.