बस लोगों को शर्मिंदा करना अच्छा नहीं लगता
रस्म है कहना ही पड़ता है, की सब कुछ ठीक है.
खैरियत से कौन है साहब, मजे में कौन है.
सब आदतें छोड़ सकता हूँ,
तुम्हारे लिए तुम्हारे सिवा.
उसे शक है की हम उनके लिए जान नहीं दे सकते,
मुझे खौफ है की रोयेंगे वो बहोत हमें आजमाने के बाद.
तू मुझे कैसे भूल पाऊंगी,
मै तेरा यादगार माज़ी हूँ
बिलकुल तुमसा और तुम्हारा लगता हूँ,
कभी कभी मैं खुद को प्यारा लगता हूँ.
मुझे देखकर उसने फेर लिया चेहरा
तसल्ली हुई चलो पहचानते तो हैं
तुझे सोचकर जो आती है,
वो मुस्कराहट कमाल की होती है.
तेरी मोहब्बत में अजीब से काम करते हैं,
तेरे नाम के हर सख्स को सलाम करते हैं.
मुझे तो इस पूरे जहां में तुमसे मोहब्बत है,
या तो मेरा इम्तेहान लो या मेरा ऐतबार करो.
इक तेरी ख्वाहिश है बस,
कायनात किसने मांगी है.
तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर,
जब भीगकर कहती है की अब रोया नहीं जाता.
इंसान के किरदार की दो ही मंजिलें हैं,
दिल में उतर जाना या दिल से उतर जाना
पहले जैसी हो तो जाऊँ मगर.
याद तो आये मैं पहले थी कैसी.
भरोषा, वफ़ा, दुआ, ख्वाब, मन, मोहब्बत.
कितने नामों में सिमटे हो, सिर्फ एक तुम.
चुप करके सहते रहो तो अच्छे हैं.
बोल पड़े तो आपसे बुरा कोई नहीं.