लहजे समझ आ जाते हैं मुझे,बस लोगों को शर्मिंदा करना अच्छा नहीं लगतारस्म है कहना ही पड़ता है, की सब कुछ ठीक है.खैरियत से कौन है साहब, मजे में कौन है.सब आदतें छोड़ सकता हूँ,तुम्हारे लिए तुम्हारे सिवा.
from : Hindi Shayari