उजरल घर में अब केके ढूँढ़त बाड. तु !
बरबाद भईला पर ओकर ठिकाना ना रहेला !!
रूह समाईल बा ई देह में, देह इ जहान में फसल बा!
ज़िंनगी ईहे सिलसिला से बस आगे बढ़ रहल बा!!
तनहा रहल त मोहबबत करे वाला क रशम-वफा हवे!
अगर फूल खुशी खातिर होत त केहू जनाजा पर नाही डालत !!
हमके कब चाह रहे कि हमके ऊ चाँद मिले य़ा असमान मिले!
खाली एगो तमन्ना रहे की हमार ऊ सपना के जहाँ मिले !!