मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही,
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही
जाने उस शख्स को कैसे ये हुनर आता है,
रात होती है तो आँखों में उतर आता है,
मैं उस के खयालो से बच के कहाँ जाऊं,
वो मेरी सोच के हर रस्ते पे नजर आता है