उंगलिया आज भी इस सोच में गूम है यारो
उसने कैसे नये हाथ को थामा होगा
अगर तुझसे इश्क न होता तो कोई बात न होती
शिकायत सिर्फ इतनी है की तूने समझा नहीं मुझको
तुम्हे ये शक है की तेरे लिए जान ना दे पाऊंगा
मुझे ये दर है की तो रोए गी मुझे आजमाने के बाद
इतना भी हमसे नाराज़ मत हुआ करो
बद किस्मत जरूर हूँ मगर बेवफा नहीं