जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की,
उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख
जिन किताबों पे सलीक़े से जमी वक़्त की गर्द
उन किताबों ही में यादों के ख़ज़ाने निकले
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा
रंग तकदीर क्या क्या बदलती रही