कुछ भी कहो
चेहरे देखकर मोहब्बत की शुरुवात आज भी नहीं बदली
इंसानियत दिल में होती है
हैसियत में नहीं
ऊपर वाला कर्म देखता है
वसीयत नहीं !!
अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं;
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया;
तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!