उड़ा भी दो रंजिशे इन हवाओं में यारो
छोटी सी ज़िन्दगी है नफरत कबतक करो गे
यादे बनकर जो तुम साथ रहते हो मेरे
इतने अहसान का भी सौ बार शुक्रिया
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सके
मैंने ना जाने क्यों अपनी ज़िन्दगी बदल दी
प्रेम इन्सान को कभी मुरझाने नहीं देता
और नफरत इन्सान को कभी खिलने नहीं देता