Jaun Elia Shayari
Maine Har Baar Tujhse
मैंने हर बार तुझ से मिलते वक़्त तुझ से मिलने की आरज़ू की है तेरे जाने के बाद भी मैं ने तेरी खुशबू से गुफ़्तुगू की है
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम अब भी तुम मुझको जानती हो क्या
बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ
तू न होगा तो बहुत याद करूँगा तुझ को

Jaun Elia Best Shayari
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो जिंदगी गुज़ारी है
शर्म दहशत झिझक परेशानी नाज़ से काम क्यूँ नहीं लेतीं आप वो जी मगर ये सब क्या है तुम मिरा नाम क्यूँ नहीं लेतीं
सब दलीलें तो मुझको याद रहीं बहस क्या थी उसी को भूल गया

Jaun Elia Sad Poetry
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता एक ही शख्स था जहाँ में क्या
वो जो कहता था तारे तोड़ लाऊंगा उसने आस्मा हे गिरा दिया मुझपर
मुझे भेजा था दुनिया देखने को मैं एक चेहरे को ही ताकता रह गया

Shayari By Jaun Elia
मुस्तकिल बोलता रहता हूँ कितना खामोश हूँ मैं अंदर से
हमको यारों ने याद भी न रखा जॉन यारों के यार थे हम तो
अबतो हर बात याद रहती है गालिबन मै किसी को भूल गया गालिबन = शायद

Shayari Of Jaun Elia
चाँद टारे बिलावजह खुश हैं मैं तो किसी और से मुखतिब हूँ
कितना रोया था मै तेरी खातिर अब जो सोचूं तो हंसी आती है
कौन इस कहर की देख भाल करेगा रोज़ एक चीज़ टूटा जाती है
