हम ने वो जिंदगी गुज़ारी है
शर्म दहशत झिझक परेशानी नाज़ से काम क्यूँ नहीं लेतीं आप वो जी मगर ये सब क्या है तुम मिरा नाम क्यूँ नहीं लेतीं
सब दलीलें तो मुझको याद रहीं बहस क्या थी उसी को भूल गया
from : Jaun Elia Shayari