तुझ से मिलने की आरज़ू की है
तेरे जाने के बाद भी मैं ने तेरी
खुशबू से गुफ़्तुगू की है
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम,
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या..!!
बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे
सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ
तू न होगा तो बहुत
याद करूँगा तुझ को