कभी हम भी कह सकें कि दुआ है आपकी.
मेरे दिल में उतर सको तो शायद ये जान लो
कितनी खामोश मोहब्बत तुमसे करता है कोई.
मैं लफ्ज़ सोच सोच कर थक सी गयी,
वो फूल देकर बात का इज़हार का गया.
उनकी ये ख़्वाहिश है हम जुबां से
इज़हार करे हमारी ये आरज़ू है
वो दिल की जुबां समझ ले !!
ज़रूरी तो नहीं ज़बान से कह दें दिल की बात,
ज़बान एक और भी होती है इज़हारे मोहब्बत की.
इजहारे मोहब्बत पे अजब हाल था उसका
आँखें तो रज़ामंद थी लब सोच रहे थे.
अच्छा करते है वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते
खामोशी से मर जाते है मगर किसी को बदनाम नहीं करते !!
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है !
रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है !!