Hindi Kahaniyan
A Older Mother Hindi Story

Wah Khana Kha Night
वह खाना खा नाइट-सूट पहन बैड पर जा बैठी। आदत के अनुसार सोने से पहले पढ़ने के लिए किताब उठाई ही थी कि उसके मोबाइल-फोन पर एसएमएस की ट्यून बजी। ‘जिस तरह हम दिन भर इकट्ठे घूमे-फिरे एक टेबल पर बैठ कर खाया। कितना मज़ा आया। इसी तरह एक ही बैड पर सोने में भी खुशी मिलती है। इंतज़ार कर रहा हूँ।’ उसने कुछ दिन पहले ही एक नई कंपनी में नौकरी शुरू की थी। एक सीनियर अफसर के साथ कंपनी के काम से दूसरे शहर में आई थी। दिन का काम निपटाकर वे एक होटल में ठहरे हुए थे। ‘ऐसा बेहूदा मैसेज सीनियर की तरफ से। उसने पल भर सोचा– नहीं नहीं इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। बात अभी ही सँभालनी चाहिए। मैं एमडी से बात करती हूँ।’ उसे गुस्सा आ रहा था। इसी दौरान फिर मैसेज आया। ‘तुम शिकायत करने के बारे में सोच रही हो। तुम जिससे भी शिकायत करोगी उसे भी यही इच्छा ज़ाहिर करनी है। तुम्हारे संपर्क में जो भी आएगा वह ऐसा कहे बिना नहीं रह सकेगा। तुम चीज ही ऐसी हो।’ ‘मैं चीज हूँ एक वस्तु। मुझे लगता है इसका किसी लड़की के साथ पाला नहीं पड़ा।’ उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। एक बार फिर एसएमएस आया। ‘देखो जिन हाथों को छूने से खुशी मिलती है उन हाथों से थप्पड़ भी पड़ जाए तो कोई बात नहीं। इंतज़ार कर रहा हूँ।’ इसकी हिम्मत देखो…‘इंतज़ार कर रहा हूँ’। फिर उसके मन में एक ख़्याल आया अगर वह आ गया तो?…डरने की क्या बात है। उसने अपने आप को सहज करने की कोशिश की। यह एक अच्छा होटल है। ऐसे ही थोड़ा कुछ घट जाएगा। वह ख़्यालों में डूबी थी कि बैल बजी। उसने सोचा वेटर होगा। उसने चाय का आर्डर दे रखा था। दरवाजा खोला तो अफसर सामने था। वह अंदर आ गया। कल्पना ने भी कुछ न कहा। वह बैड के आगे से घूमता हुआ दूसरी तरफ बैड पर सिरहाने के सहारे बैठ गया। “सर आप कुर्सी पर बैठो आराम से।” कल्पना ने सुझाया। “यहाँ से टीवी ठीक दिखता है।” अफसर ने अपनी दलील दी। “सर अभी वेटर आएगा। अजीब सा लगता है।” कल्पना ने मन की बात रखी। “नहीं नहीं कोई बात नहीं। ये सब मेरे जानकार हैं। बी कम्फर्टेबल।” वेटर ने दरवाजा खटखटाया और ‘यैस’ कहने पर भीतर आ गया। वेटर ने चाय की ट्रे रखी और पूछा “मैम चाय बना दूँ?” और ‘हाँ’ सुनकर चाय बनाने लगा। कल्पना ने फिर कहा “सर आप इधर आ जाओ चाय पीने के लिए। कुर्सी पर आराम से पी जाएगी।” वह कुर्सी पर आने के लिए उठा। कल्पना भी उठी। वेटर ने चाय का कप ‘सर’ को पकड़ाने के लिए आगे किया ही था कि कल्पना ने खींच कर एक तमाचा अफसर के गाल पर मारते हुए कहा “गैट आउट फ्राम माई रूम।” और फिर एक पल रुककर बोली “आपका ऐसा स्वागत मैं दरवाजे पर भी कर सकती थी। पर सोचा इस होटल के सारे वेटर आपके जानकार हैं उन्हें तो भी पता चलना चाहिए।

Prathna Ka Mol
🙏🙏 #प्रार्थना #का #मोल 🙏🙏 एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है। वो दुकानदार से प्रार्थना करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है। उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर कहता है तुम्हारे पास कुछ ऐसा है जिसकी कोई कीमत हो तो उसे इस तराजू पर रख दो मैं उसके वज़न के बराबर सब्जी तुम्हे दे दूंगा। वृद्ध महिला कुछ देर सोच में पड़ जाती है। क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था। कुछ देर सोचने के बाद वह एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा निकलती है और उस पर कुछ लिख कर तराजू पर रख देती है। दुकानदार ये देख कर हंसने लगता है। फिर भी वह थोड़ी सब्जी उठाकर तराजू पर रखता है। आश्चर्य कागज़ वाला पलड़ा नीचे रहता है और सब्जी वाला ऊपर उठ जाता है। इस तरह वो और सब्जी रखता जाता है पर कागज़ वाला पलड़ा नीचे नहीं होता। तंग आकर दुकानदार उस कागज़ को उठा कर पढता है और हैरान रह जाता है कागज़ पर लिख था की परमात्त्मा आप सर्वज्ञ हो अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है'' दुकानदार को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वो उतनी सब्जी वृद्ध महिला को दे देता है। पास खड़ा एक अन्य ग्राहक दुकानदार को समझाता है कि दोस्त आश्चर्य मत करो। केवल परमात्मा ही जानते हैं की प्रार्थना का क्या मोल होता है। वास्तव में प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की। यदि सच्चे मन से की जाये तो ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है की हमारे पास वक्त नहीं। मगर सच तो ये है कि परमात्मा को याद करने का कोई समय नहीं होता प्रार्थना के द्वारा मन के विकार दूर होते हैं और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का बल मिलता है। ज़रूरी नहीं की कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना की जाये। जो आपके पास है उसका धन्यवाद करना चाहिए। इससे आपके अन्दर का अहम् नष्ट होगा और एक कहीं अधिक समर्थ व्यक्तित्व का निर्माण होगा। प्रार्थना करते समय मन को ईर्ष्या द्वेष क्रोध घृणा जैसे विकारों से मुक्त रखें

Yamraz Aur Bujurg Mahila

Bejan Rakhi A Hindi Story

Charitraheen Hindi Story

Husband Wife Hindi Story

Vivah Ke Do Vars

Ghar Ghar Ki Kahani
कल मैं आफिस से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर रात में 10 बजे के बाद आता हूं कल 8 बजे ही चला आया। सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें करूंगा फिर कहूंगा कि कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले हम ऐसा करते थे। घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। मुझे लगा कि जब तक वो ये वाला सीरियल देख रही है मैं कम्यूटर पर कुछ मेल चेक कर लूं। मैं मेल चेक करने लगा कुछ देर बाद पत्नी चाय लेकर आई तो मैं चाय पीता हुआ आफिस के काम करने लगा। अब मन में था कि पत्नी के साथ बैठ कर बातें करूंगा फिर खाना खाने बाहर जाऊंगा पर कब 8 से 11 बज गए पता ही नहीं चला। पत्नी ने वहीं टेबल पर खाना लगा दिया मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाते हुए मैंने कहा कि खा कर हम लोग नीचे टहलने चलेंगे गप करेंगे। पत्नी खुश हो गई। हम खाना खाते रहे इस बीच मेरी पसंद का सीरियल आने लगा और मैं खाते-खाते सीरियल में डूब गया। सीरियल देखते हुए सोफा पर ही मैं सो गया था। जब नींद खुली तब आधी रात हो चुकी थी। बहुत अफसोस हुआ। मन में सोच कर घर आया था कि जल्दी आने का फायदा उठाते हुए आज कुछ समय पत्नी के साथ बिताऊंगा। पर यहां तो शाम क्या आधी रात भी निकल गई। ऐसा ही होता है ज़िंदगी में। हम सोचते कुछ हैं होता कुछ है। हम सोचते हैं कि एक दिन हम जी लेंगे पर हम कभी नहीं जीते। हम सोचते हैं कि एक दिन ये कर लेंगे पर नहीं कर पाते। आधी रात को सोफे से उठा हाथ मुंह धो कर बिस्तर पर आया तो पत्नी सारा दिन के काम से थकी हुई सो गई थी। मैं चुपचाप बेडरूम में कुर्सी पर बैठ कर कुछ सोच रहा था। पच्चीस साल पहले इस लड़की से मैं पहली बार मिला था। पीले रंग के शूट में मुझे मिली थी। फिर मैने इससे शादी की थी। मैंने वादा किया था कि सुख में दुख में ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ रहूंगा। पर ये कैसा साथ? मैं सुबह जागता हूं अपने काम में व्यस्त हो जाता हूं। वो सुबह जागती है मेरे लिए चाय बनाती है। चाय पीकर मैं कम्यूटर पर संसार से जुड़ जाता हूं वो नाश्ते की तैयारी करती है। फिर हम दोनों आफिस के काम में लग जाते हैं मैं आफिस के लिए तैयार होता हूं वो साथ में मेरे लंच का इंतज़ाम करती है। फिर हम दोनों भविष्य के काम में लग जाते हैं। मैं एकबार आफिस चला गया तो इसी बात में अपनी शान समझता हूं कि मेरे बिना मेरा आफिस का काम नहीं चलता वो अपना काम करके डिनर की तैयारी करती है। देर रात मैं घर आता हूं और खाना खाते हुए ही निढाल हो जाता हूं। एक पूरा दिन खर्च हो जाता है जीने की तैयारी में। वो पंजाबी शूट वाली लड़की मुझ से कभी शिकायत नहीं करती। क्यों नहीं करती मैं नहीं जानता। पर मुझे खुद से शिकायत है। आदमी जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता है सबसे कम उसी की परवाह करता है। क्यों? कई दफा लगता है कि हम खुद के लिए अब काम नहीं करते। हम किसी अज्ञात भय से लड़ने के लिए काम करते हैं। हम जीने के पीछे ज़िंदगी बर्बाद करते हैं। कल से मैं सोच रहा हूं वो कौन सा दिन होगा जब हम जीना शुरू करेंगे। क्या हम गाड़ी टीवी फोन कम्यूटर कपड़े खरीदने के लिए जी रहे हैं? मैं तो सोच ही रहा हूं आप भी सोचिए कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है। उसे यूं जाया मत कीजिए। अपने प्यार को पहचानिए। उसके साथ समय बिताइए। जो अपने माँ बाप भाई बहन सागे संबंधी सब को छोड़ आप से रिश्ता जोड़ आपके सुख-दुख में शामिल होने का वादा किया उसके सुख-दुख को पूछिए तो सही। एक दिन अफसोस करने से बेहतर है सच को आज ही समझ लेना कि ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है। कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी पता भी नहीं चलेगा।

Meri Kahani Meri Zabani

Hindi Story Baap Beta
एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम
करने के बाद थका-हारा घर पहुंचा दरवाजा
खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा
बेटा सोने की बजाय उसका इंतज़ार कर रहा
है अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा पापा क्या
मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ
हाँ -हाँ पूछो क्या पूछना है पिता ने कहा
बेटा पापा आप एक घंटे में कितना कमा
लेते हैं इससे तुम्हारा क्या लेना देना
तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे
हो पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया
बेटा – मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ
प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना
कमाते हैं पिता ने गुस्से से उसकी तरफ
देखते हुए कहा नहीं बताऊंगा तुम जाकर
सो जाओ “यह सुन बेटा दुखी हो गया …
और वह अपने कमरे में चला गया
व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच
रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों
पूछा पर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह
थोडा शांत हुआ फिर वह उठ कर बेटे
के कमरे में गया और बोला क्या तुम सो
रहे हो नहीं जवाब आया मैं सोच रहा
था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट
दिया।दरअसल दिन भर के काम से मैं
बहुत थक गया था व्यक्ति ने कहा
सारी बेटा मै एक घंटे में १०० रूपया कमा
लेता हूँ थैंक यूं पापा बेटे ने ख़ुशी से बोला
और तेजी से उठकर अपनी आलमारी की
तरफ गया वहां से उसने अपने गोल्लक
तोड़े और ढेर सारे सिक्के निकाले और
धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा “
पापा मेरे पास 100 रूपये हैं क्या
मैं आपसे आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ
प्लीज आप ये पैसे ले लोजिये और
कल घर जल्दी आ जाइये मैं आपके
साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ
दोस्तों इस तेज रफ़्तार जीवन में
हम कई बार खुद को इतना व्यस्त
कर लेते हैं कि उन लोगो के
लिए ही समय नहीं निकाल पाते
जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा
अहमयित रखते हैं इसलिए हमें ध्यान
रखना होगा कि इस आपा-धापी भरी
जिंदगी में भी हम अपने माँ-बाप जीवन
साथी बच्चों और अभिन्न मित्रों के
लिए समय निकालें वरना एक दिन हमें
अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें
पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया
Do Bhai Ki Kahani
दो भाई समुद्र के किनारे टहल रहे थे
दोनों के बीच किसी बात को लेकर कोई
बहस हो गई बड़े भाई ने छोटे भाई की
थप्पड़ मार दिया छोटे भाई ने कुछ नहीं
कहा फिर रेत पर लिखा -आज मेरे भाई
ने मुझे मारा अगले दोनों फिर से समुंदर
किनारे घुमने के लिए निकले छोटा भाई
समुन्द्र में नहाने लगा और अचानक डूबने
लगा बड़े भाई ने उसे बचाया छोटे भाई ने
पत्थर पे लिखा आज मेरे भाई ने मुझे बचाया
बड़े भाई ने पुचा जब मेने तुझे मारा था
तब तुमने रेत पर लिखा और आज तुम्हे बचाया
तो पत्थर पे लिखा क्यों रोते हुए छोटे भाई ने
कहा -जब कोई हमे दुःख दे तो हमे रेत पर
लिखना चाहिए ताकि वो जल्दी मिट जाए
लेकिन जब कोई हमारे लिए अच्छा करता है
तो पत्थर पर लिखना चाहिए जो मिट ना पाए
मतलब ये है की हमे अपने साथ हुई बुरी घटना
को भूल जाना चाहिए जब की अच्छी चाटना को
सदेव {हमेशा} याद रखना चाहिए
आदमी गुस्से हो तो उसे प्यार की जरूरत होती है
अगर हम भी अपना गुस्सा दिखाए तो बुरा अंजाम होता है
Ek Dard Bhari Prem Kahaani
एक प्रेमी की दर्द भरी बेवफाई की कहानी
एक अंधी लड़की हमेशा इस सोच में डूबी रहती थी
की कोई मुझे प्यार करेगा की नहीं
मुझे किसी का प्यार मिलेगा की नहीं
एक बार राह चलते चलते वह कहीं गिर पड़ी
उसे एक लड़के ने उठाया सहारा दिया और उसे
लेकर उसकी घर की तरफ चल पड़ा
इस दरम्यान उनके मध्य बहुत सी बातें होती है
घर छोड़ते वक्त लड़का लड़की से कहता है अगर
मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बनना चाहूँ तो
क्या तुम स्वीकार करोगी मैं तुम्हे बहुत प्यार दूंगा
और बहुत प्यार से रखूँगा(22) साल से लड़की जिस
दो लफ्ज़ को वो सुनना चाहती थी वो लफ्ज़ इस लड़के
से सुन बरबस उसकी आँखों में आंसू आ गए
और कहा ये जानते हुए भी की मेरी आँखें नहीं हैं
फिर भीलड़के ने कहा : हाँ मैं तुम्हे
तुम्हारे अस्तित्व चाहने लगा हूँ
इस पर लड़की रोने लगी और बोली :
काश अगर मै तुम्हे देख पाती तो तुम्ही से
शादी करती कुछ साल बीत गए और उस
लड़के ने उस लड़की की आँखों का ओपरेशन कराया
ओपरेशन कामयाब हुआ।
डॉक्टर जब उसकी आँखों से पट्टी उतारने लगते है
तो लड़की कहती है की सबसे पहले मुझे उस
इंसान को चेहरा दिखाइये जिसकी वजह
से मै अब दुनिया को देखने जा रही हु
डॉक्टर उस लड़के को उस लड़की के सामने
लाते है और लड़की की आँखों की पट्टी उतारते है
लड़की देखती है की वो लड़का भी अँधा है
तब लड़का कहता है क्या तुम मुझसे शादी करोगी
लड़की जवाब देती है मैंने मेरी ज़िन्दगी अँधेरे में
गुजारी है मुझे पता है अँधापन कैसा होता है
मै फिर से मेरी ज़िन्दगी को अंधेपन में नहीं
डाल सकती मै तुमसे शादी नहीं कर सकती
तब लड़का उस लड़की को एक पत्र देकर चला जाता है।
जब लड़की उस पत्र को देखती है तो उसमे लिखा होता है
________ऐ बेवफा ________
तुम अपना ख्याल रखने के साथ साथ मेरी इन आँखों
का भी ख्याल रखना" तुम्हारा प्रेमी

Best Story
स्टेशन से एक 18-19 वर्षीय खूबसूरत लड़की चढ़ी जिसका
मेरे सामने वाली बर्थ पर रिजर्वेशन था उसके पापा उसे छोड़ने आये थे।
अपनी सीट पर वैठ जाने के बादउसने अपने पिता से कहा
डैडी आप जाइये अबट्रेन तो दस मिनटखड़ी रहेगी यहाँ दस
मिनटका स्टॉपेज है।उसके पिता ने उदासी भरे शब्दों केसाथ
कहा "कोई बात नहीं बेटा10 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा
अब तो तुम्हारे क्लासेज सुरु हो रहेहै काफी दिन बाद आओगी तुम।
लड़की शायद दिल्ली में अध्ययन कर रही होगी क्योंकि उम्र
और वेशभूषा से विवाहित नहीं लग रही थी ।ट्रेन चलने लगी
तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता कोहाथ हिलाकर बाय कहा।
बाय डैडी अरे ये क्या हुआ आपको अरे नहीं प्लीज"पिता की आँखों
में आंसू थे।ट्रेन अपनी रफ्तार पकडती जारहीथी और पिता रुमाल से
आंसू पोंछतेहुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे।लड़की ने फोन लगाया"
हेलो मम्मीये क्या है यारजैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई डैडी तो रोने लग गये
अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको स्टेसन आने के लिए नहीं कहूँगी
भले अकेली आजाउंगी ऑटो से अच्छा बायपहुँचते ही कॉल करुँगी
डैडी का खयाल रखना ओके।"मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ
इसआशा से देखता रहा कि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों
से मुझे अश्रुधारा दिख जाए परमुझे निराशा ही हाथ लगीउन आँखों
में नमी भी नहीं थी।कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसीको फोन लगाया-
"हेलो जानू कैसे होमैं ट्रेन में बैठ गई हूँहाँ अभी चली है
यहाँ सेकल अर्ली-मोर्निंग दिल्ली पहुँचजाउंगी लेने आजाना लव यूटू यार
मैंने भी बहुत मिस किया तुम्हे बस कुछ घंटेऔर सब्र करलो कल तो पहुँच हीजाऊँगी।"
मैं मानता हूँ कि आज के युगमें बच्चों को उच्चशिक्षा हेतु बाहर भेजना आवश्यक है
पर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि इसके कई दुष्परिणाम भी हैं।
मैं यह नहीं कह रहा कि बाहर पढने वाले सारे लड़के लड़कियां ऐंसे होते हैं।
मैं सिर्फ उनकी बात कर रहा हूँजो पाश्चात्य संस्कृति की इस हवामें अपने
कदम बहकने से नहीं रोकपाते और उनको माता- पिताभाई-बहन किसी का प्यार
याद नहीं रह जाता सिर्फ एक प्यार ही याद रहता हैवो ये भी भूल जाते है
कि उनकेमाता- पिता ने कैसे-कैसे साधनों कोजुटा कर और किन सपनों
कोसंजो कर अपने दिल के टुकड़े को अपने से दूर पड़ने भेजा है।
लेकिन बच्चे के कदम बहकने से उसकी परिणति क्या होती है
Dahej Ki Bimaari

Anajaane Mein Ham Use Hee Thes Pahunchate Hain Jo Hamaaree Madad
एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा
उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था
अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ है
उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं
डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला
आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते
आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी
अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे
डॉक्टर ने विनम्रता कहा -आई ऍम सॉरी -
मैं हॉस्पिटल में नहीं था और कॉल आने के बाद जितना
तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ कृपया अब आप लोग शांत
हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ शांत हो जाइये लड़के का
पिता गुस्से में बोला क्या इस समय अगर आपका बेटा होता
तो आप शांत रहते अगर किसी की लापरवाही की वजह से
आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे पिता बोले ही जा रहा था
भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा आप लोग दुआ कीजिये
मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ और ऐसा कहते हुए डॉक्टर
ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया
बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था
सलाह देना आसान होता है जिस पर बीतती है वही जानता है
करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला ”
भगवान् का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है
यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और
डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे
वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा उसे डिस्चार्ज कब करेंगे
पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से
वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा
ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो
मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता लड़के के पिता ने नर्स से कहा
नर्स रोटी हुई बोली आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की मौत हो गयी
और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका
अंतिम संस्कार करने जा रहे थे और बेचारे अब आपके
बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम
संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं
यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए
और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया
फ्रेंड्सदोस्तों बहुत बार हम किसी सिचुएशन के बारे में अच्छी
तरह जाने बिना ही उसपर रियेक्ट कर देते हैं पर हमें चाहिए कि हम
खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई
नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। वर्ना अनजाने में हम उसे ही
ठेस पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो
Kabuliwala By Rabindranath Tagore
मेरी पाँच बरस की बेटी मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली "बाबूजी रामदयाल दरबान है न वह 'काक' को 'कौआ' कहता है। वह कुछ जानता नहीं न बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो बाबूजी भोला कहता है - आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी भोला झूठ बोलता है है न?" और फिर वह खेल में लग गई।
मेरा घर सड़क के किनारे है। एक दिन मिनी मेरे कमरे में खेल रही थी। अचानक वह खेल छोड़कर खिड़की के पास दौड़ी गई और बड़े ज़ोर से चिल्लाने लगी "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले"
कँधे पर मेवों की झोली लटकाए हाथ में अँगूर की पिटारी लिए एक लंबा सा काबुली धीमी चाल से सड़क पर जा रहा था। जैसे ही वह मकान की ओर आने लगा मिनी जान लेकर भीतर भाग गई। उसे डर लगा कि कहीं वह उसे पकड़ न ले जाए। उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि काबुलीवाले की झोली के अंदर तलाश करने पर उस जैसे और भी दो-चार बच्चे मिल सकते हैं।
काबुली ने मुसकराते हुए मुझे सलाम किया। मैंने उससे कुछ सौदा खरीदा। फिर वह बोला "बाबू साहब आप की बेटी कहाँ गई?"
मैंने मिनी के मन से डर दूर करने के लिए उसे बुलवा लिया। काबुली ने झोली से किशमिश और बादाम निकालकर मिनी को देना चाहा पर उसने कुछ न लिया। डरकर वह मेरे घुटनों से चिपट गई। काबुली से उसका पहला परिचय इस तरह हुआ। कुछ दिन बाद किसी ज़रुरी काम से मैं बाहर जा रहा था। देखा कि मिनी काबुली से खूब बातें कर रही है और काबुली मुसकराता हुआ सुन रहा है। मिनी की झोली बादाम-किशमिश से भरी हुई थी। मैंने काबुली को अठन्नी देते हुए कहा "इसे यह सब क्यों दे दिया? अब मत देना।" फिर मैं बाहर चला गया।
कुछ देर तक काबुली मिनी से बातें करता रहा। जाते समय वह अठन्नी मिनी की झोली में डालता गया। जब मैं घर लौटा तो देखा कि मिनी की माँ काबुली से अठन्नी लेने के कारण उस पर खूब गुस्सा हो रही है।
काबुली प्रतिदिन आता रहा। उसने किशमिश बादाम दे-देकर मिनी के छोटे से ह्रदय पर काफ़ी अधिकार जमा लिया था। दोनों में बहुत-बहुत बातें होतीं और वे खूब हँसते। रहमत काबुली को देखते ही मेरी बेटी हँसती हुई पूछती "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले तुम्हारी झोली में क्या है?"
रहमत हँसता हुआ कहता "हाथी।" फिर वह मिनी से कहता "तुम ससुराल कब जाओगी?"
इस पर उलटे वह रहमत से पूछती "तुम ससुराल कब जाओगे?"
रहमत अपना मोटा घूँसा तानकर कहता "हम ससुर को मारेगा।" इस पर मिनी खूब हँसती।
हर साल सरदियों के अंत में काबुली अपने देश चला जाता। जाने से पहले वह सब लोगों से पैसा वसूल करने में लगा रहता। उसे घर-घर घूमना पड़ता मगर फिर भी प्रतिदिन वह मिनी से एक बार मिल जाता।
एक दिन सवेरे मैं अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था। ठीक उसी समय सड़क पर बड़े ज़ोर का शोर सुनाई दिया। देखा तो अपने उस रहमत को दो सिपाही बाँधे लिए जा रहे हैं। रहमत के कुर्ते पर खून के दाग हैं और सिपाही के हाथ में खून से सना हुआ छुरा।
कुछ सिपाही से और कुछ रहमत के मुँह से सुना कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक आदमी ने रहमत से एक चादर खरीदी। उसके कुछ रुपए उस पर बाकी थे जिन्हें देने से उसने इनकार कर दिया था। बस इसी पर दोनों में बात बढ़ गई और काबुली ने उसे छुरा मार दिया।
इतने में "काबुलीवाले काबुलीवाले" कहती हुई मिनी घर से निकल आई। रहमत का चेहरा क्षणभर के लिए खिल उठा। मिनी ने आते ही पूछा ''तुम ससुराल जाओगे?" रहमत ने हँसकर कहा "हाँ वहीं तो जा रहा हूँ।"
रहमत को लगा कि मिनी उसके उत्तर से प्रसन्न नहीं हुई। तब उसने घूँसा दिखाकर कहा "ससुर को मारता पर क्या करुँ हाथ बँधे हुए हैं।"
छुरा चलाने के अपराध में रहमत को कई साल की सज़ा हो गई।
काबुली का ख्याल धीरे-धीरे मेरे मन से बिलकुल उतर गया और मिनी भी उसे भूल गई।
कई साल बीत गए।
आज मेरी मिनी का विवाह है। लोग आ-जा रहे हैं। मैं अपने कमरे में बैठा हुआ खर्च का हिसाब लिख रहा था। इतने में रहमत सलाम करके एक ओर खड़ा हो गया।
पहले तो मैं उसे पहचान ही न सका। उसके पास न तो झोली थी और न चेहरे पर पहले जैसी खुशी। अंत में उसकी ओर ध्यान से देखकर पहचाना कि यह तो रहमत है।
मैंने पूछा "क्यों रहमत कब आए?"
"कल ही शाम को जेल से छूटा हूँ" उसने बताया।
मैंने उससे कहा "आज हमारे घर में एक जरुरी काम है मैं उसमें लगा हुआ हूँ। आज तुम जाओ फिर आना।"
वह उदास होकर जाने लगा। दरवाजे़ के पास रुककर बोला "ज़रा बच्ची को नहीं देख सकता?"
शायद उसे यही विश्वास था कि मिनी अब भी वैसी ही बच्ची बनी हुई है। वह अब भी पहले की तरह "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले" चिल्लाती हुई दौड़ी चली आएगी। उन दोनों की उस पुरानी हँसी और बातचीत में किसी तरह की रुकावट न होगी। मैंने कहा "आज घर में बहुत काम है। आज उससे मिलना न हो सकेगा।"
वह कुछ उदास हो गया और सलाम करके दरवाज़े से बाहर निकल गया।
मैं सोच ही रहा था कि उसे वापस बुलाऊँ। इतने मे वह स्वयं ही लौट आया और बोला "'यह थोड़ा सा मेवा बच्ची के लिए लाया था। उसको दे दीजिएगा।"
मैने उसे पैसे देने चाहे पर उसने कहा 'आपकी बहुत मेहरबानी है बाबू साहब पैसे रहने दीजिए।' फिर ज़रा ठहरकर बोला "आपकी जैसी मेरी भी एक बेटी हैं। मैं उसकी याद कर-करके आपकी बच्ची के लिए थोड़ा-सा मेवा ले आया करता हूँ। मैं यहाँ सौदा बेचने नहीं आता।"
उसने अपने कुरते की जेब में हाथ डालकर एक मैला-कुचैला मुड़ा हुआ कागज का टुकड़ा निकला औऱ बड़े जतन से उसकी चारों तह खोलकर दोनो हाथों से उसे फैलाकर मेरी मेज पर रख दिया। देखा कि कागज के उस टुकड़े पर एक नन्हें से हाथ के छोटे-से पंजे की छाप हैं। हाथ में थोड़ी-सी कालिख लगाकर कागज़ पर उसी की छाप ले ली गई थी। अपनी बेटी इस याद को छाती से लगाकर रहमत हर साल कलकत्ते के गली-कूचों में सौदा बेचने के लिए आता है।
देखकर मेरी आँखें भर आईं। सबकुछ भूलकर मैने उसी समय मिनी को बाहर बुलाया। विवाह की पूरी पोशाक और गहनें पहने मिनी शरम से सिकुड़ी मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
उसे देखकर रहमत काबुली पहले तो सकपका गया। उससे पहले जैसी बातचीत न करते बना। बाद में वह हँसते हुए बोला "लल्ली सास के घर जा रही हैं क्या?"
मिनी अब सास का अर्थ समझने लगी थी। मारे शरम के उसका मुँह लाल हो उठा।
मिनी के चले जाने पर एक गहरी साँस भरकर रहमत ज़मीन पर बैठ गया। उसकी समझ में यह बात एकाएक स्पष्ट हो उठी कि उसकी बेटी भी इतने दिनों में बड़ी हो गई होगी। इन आठ वर्षों में उसका क्या हुआ होगा कौन जाने? वह उसकी याद में खो गया।
मैने कुछ रुपए निकालकर उसके हाथ में रख दिए और कहा "रहमत तुम अपनी बेटी के पास देश चले जाओ।"
:
:
Spiritual Story Of Inspiration In Hindi
एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई।
आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक – एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।
राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है । अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा।
इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है। दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।
राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं। दरअसल ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।
मित्रों जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है। जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा
अगर आपको स्टोरी पसंद आये हो तो हमारा फेसबुक का पेज ज़रूर लिखे करे इससे ये होगा की जब हम कोई भी पोस्ट करेंगे तो आपके न्यूज़ फीड्स में पोस्ट मिलता रहेगा
:
Best Hindi Story
एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे
एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है
वो माँ को बताता हैकामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर
फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं
कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है
वह सुनार के पास जाती है
सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा
ये असली या नकली पता नही इसलिए पुछने आ गई
सुनार भी होशियारीसें वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है
ये कांच है हीरा नहींकामवाली लौट जाती है
सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है
जौहरी हीरा पहचान लेता है
अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है
वो भी हीरा बाहर फेंक कर कहता है ये कांच है हीरा नहीं
जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है
उसके टुकडे टुकडे हो जाते है
🌹यह सब एक राहगीर निहार रहा था
वह हीरे के पास जाकर पूछता है
कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका
तब तो तूम नही टूटे फिर अब कैसे टूटे?
हीरा बोला
कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका
क्योंकि
वो मेरी असलियत से अनजान थे
लेकिन
जौहरी तो मेरी असलियत जानता था
तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया
यह दुःख मै सहन न कर सका
इसलिए मै टूट गया
ऐसा ही
हम मनुष्यों के साथ भी होता है
जो लोग आपको जानते है
उसके बावजुत भी आपका दिल दुःखाते है
तब यह बात आप सहन नही कर पाते
इसलिए
कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का दिल ना तोड़ें
हमारे आसपास भी
बहुत से लोग हीरे जैसे होते है
उनकी दिल और भावनाओं को
कभी भी मत दुखाएंऔर ना ही
उनके अच्छे गूणों के टुकड़े करिये

Do Bhaiyon Ka Pyar
दो भाई थे ।आपस में बहुत प्यार था। खेत अलग अलग थे आजु बाजू।बड़े भाई शादीशुदा था । छोटा अकेला ।एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई से खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती तो अच्छी हुई इस बार आनाज भी बहुत हुआ । मैं तो अकेला हूँ । बड़े भाई की तो गृहस्थी है । मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है ।
भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।उन्हें जरुरत ज्यादा है।ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है।बड़ा भाई भोजन करके आता है । उसके आते छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।
भाई के जाते ही वह विचरता है ।मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा हैभाई को तो अभी गृहस्थी जमाना हैउसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है मै इतने अनाज का क्या करूँगाऐसा विचारकर वो 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया। दोनों भाई के मन में हर्ष थाअनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था। सोच अच्छी रखो प्रेम बढेंगा दुनिया बदल जायेंगी
अगर आपको स्टोरी पसंद आये हो तो हमारा फेसबुक का पेज ज़रूर लिखे करे इससे ये होगा की जब हम कोई भी पोस्ट करेंगे तो आपके न्यूज़ फीड्स में पोस्ट मिलता रहेगा और पोस्ट को शेयर करना :) :)
Ek Ladka Aur Ek Ladki Ki Love Story

Hindi Story On Envy
एक बार एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े - बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। जो शिष्य जितने व्यक्तियों से ईर्ष्या करता है वह उतने ज्यादा आलू लेकर आए।
अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए किसी के पास 4 आलू थे तो किसी के पास 6 तो किसी के पास 8 आलू थे । गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं खाते-पीते सोते-जागते ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ भी समझ में नहीं आया लेकिन वे क्या करते गुरु का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे - तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे।
गुरु ने कहा ‘यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था। जब मात्र सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा। यह ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है ठीक इन आलूओं की तरह इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो।
इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा। यह सुनकर सभी शिष्यों ने आलुओं के साथ - साथ अपने मन से ईर्ष्या को भी निकाल फेंका। अतः आप सब भी इस ईर्ष्या रूपी दानव को अपने मन से निकाल फेंके और अपने मन को साफ़ सुथरा और हल्का कर दे फिर देखिएगा मन में अच्छे अच्छे ख्याल ही आयेंगे और सभी काम खुद ब खुद अच्छे होने लगेंगे ।
Hindi Stori Ek Ladka
एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए कुछ सामान बेचा करता थाएक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थीउसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा उससे खाना मांग लेगापहला दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला जिसे देखकर वह घबरा गयाऔर बजाय खाने के उसनेपानी का एक गिलास माँगा लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया कितने पैसे दूं लड़के ने पूछा पैसे किस बात के लड़की ने जवाव में कहामाँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिएतो फिर मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँजैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा उसे न केवल शारीरिक तौर परशक्ति भी मिल चुकी थी बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयीलोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दियाबड़े डाक्टर को मरीज देखने के लिए बुलाया गयाजैसे ही उसने लड़की के कस्बे का नाम सुना उसकी आँखों में चमक आ गयीवह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गयाउसने उस लड़की को देखा एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वहउसकी जान बचाने के लिएजमीन-आसमान एक कर देगाउसकी मेहनत और लग्न रंग लायीऔर उस लड़की कि जान बच गयीडॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उसलड़की के इलाज का बिल लियाउस बिल के कौने में एक नोट लिखा औरउसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरागयीउसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगीफिर भी उसने धीरे से बिल खोला रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पैन से लिखे नोट पर गयीजहाँ लिखा था एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका हैनीचे उस नेक डॉक्टर के हस्ताक्षर थेख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा हे भगवान आपका बहुत-बहुत धन्यवादआपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों के द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका हैअगर आप दूसरों परअच्छाई करोगे तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा
Dil Ko Chhoo Jane Wali Hindi Kahani
दिल छू लेने वाली कहानी
एक बार जरूर पढे
एक बेरोजगार बेटे की माँ
उसकी जेब रोज टटोलती थी
बेटा चोरी से कभी कभी देख लेता
और सोचता काश नौकरी मिल जाती
माँ की पैसो की प्यास बुझा पता।
पर माँ तो जेब में सल्फास की
गोलिया ढूँढती थी कही बेटा तंग
हो कर खा न ले।
बेटा सोचता था बेरोजगार होना भी
एक अभिशाप है।
शायद दुनिया में नौकरी न
करना भी सब से बड़ा पाप है।
माँ की भावनाओ को वो न समझ
पाया और एक दिन बेरोजगारी से तंग
होकर सल्फास की गोली ले आया वो
सोचा माँ रोज जेब टटोलती है
पैसा नहीं पाती है और शर्म से
कुछ नहीं बोलती है।
शाम को बेटे ने जो ही गोली को
होठो से लगाया
तो दोस्तों माँ का दिल बड़े जोर से
धड्का माँ का दिल जल उठा और
ऊबाल खाया
माँ दौड़ी दौडी गई बेटे के पास
और बोली
क्या हुआ बेटा क्यों उदास है
तू आज बहुत दुखी
है मुझे ये अहसास है।
मेरा सब कुछ तू ही है
बेटा ये याद रखना तू
मेरा अनमोल धन है
तेरा कोई मोल नहीं
इस दुनिया में तेरे से बढ़ कर
मेरे लिए कुछ और नहीं
माँ रो कर बोली
जिस दिन तुम हमसे
रिश्ता तोड़ दोगे उस दिन
हम भी दुनिया छोड़ देगे।
बेटा भी इतने पर रो पड़ा और
बोला माँ आप हमें इतना प्यार
करती हो तो सच बोलना आप
मेरे जेब में क्या देखती थी।
माँ और जोर से रो पड़ी बोली
बेरोजगारी क्या है ये बेटा मै
जानती हूँ तेरे रग रग को
पहचानती हूँ कही
नादानी में कुछ कर न ले
कही खा कर कुछ
गोलिया अपनी जान ना देना दे
तेरे जेब में मै
रोज उन गोलियों को ढूढ़टी थी
बेटा और जोर से रो पड़ा।
माँ बोली आज तेरा जेब देखना
भूल गई बेटा
मेरा दिल अभी बहुत जोर से
भपका इस लिए तेरे
पास आई हूँ और जेब की तरफ
जैसे ही माँ ने हाथ बढाया
बेटा रोते हुए बोला
माँ तू जो ढूढ़ रही है
यहाँ है मेरे मुठी में
आज जो थोडा सा देर कर देती
तो मुझे शायद नहीं पाती
मै भी कितना पागल हूँ
मै सोचता था माँ जेब मै पैसे देखती है
और वो ख़ुशी मै आप को 1 महीना
हो गया नहीं दे पाया इस लिए
माँ मैंने ये कदम उठाया।
माँ तो माँ ही होती है दोस्तों
ये बात याद रखना अगर वो कुछ
गलत भी आप के साथ कर रही है
तो उसमे भी आप की भलाई ही होगी
ये मेरा विश्वास है दोस्तो
आपकी माँ से ज्यादा आपकी परेशानी
कोई और नही समझ सकता
अगर आप के जीवन मे कोई भी
परेशानी है तो प्लीज कोई गलत कदम
उठाने से पहले माँ को अपनी परेशानी
बताये
यह कहानी ने आप के दिल को छुआ हो तो
लाईक व शेयर जरूर करे और कहानी आप
को कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताये
और आप भी यह पेज लाईक जरूर करें ()
नोट--दोस्तों अगर आप आगे भी ऐसी
ही बेहतरीन कहानियां शायरी व जोक्स
पढ़ना चाहते हो तो हमारा ये पेज जरूर
लाइक करें। ()
Heart Touching

Hindi Kahaniyan
एक सेठ जी थे -
जिनके पास काफी दौलत थी
सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी शराबी निकल गया
जिससे सब धन समाप्त हो गया
बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो
मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे"
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि तभी उनका दामाद घर आ गया
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू जिनमे अर्शफिया थी दिये
दामाद लड्डू लेकर घर से चला
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगेमिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा
और
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगाईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो
झूला जितना पीछे जाता है उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।
सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए तो डरो मत वह आगे भी आएगा।
बहुत ही खूबसूरत लाईनें
किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता
डरिये वक़्त की मार सेबुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता
अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के बिना नही जीत सकती
बीरबल अकलमंद होने के बावजूदकभी बादशाह नही बन सका
""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है "
Ek Maa Ki Kahani
एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया माँ के तन को छूकर हल्के हल्के से हिलाया माँ अलसाई सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी तभी उस नन्हें ने हलवा खाने की जिद कर दी माँ ने उसे पुचकारा और अपनी गोदी में ले लिया फिर पास ही रखे ईटों के चूल्हे का रुख किया फिर उसने चूल्हे पर एक छोटी सी कढाई रख दी और आग जलाकर कुछ देर मुन्ने को ताकती रही फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी क्या सुनोगे तब तक कोई परियों बाली कहानी मुन्ने की आंखें अचानक खुशी से थी खिल गयी जैसे उसको कोई मुँह मांगी मुराद ही मिल गयी माँ उबलते हुये पानी में कल्छी ही चलती रही परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही फिर वो बच्चा उन परियों में ही जैसे खो गया चटाई पर बैठे बैठे ही लेटा और फिर वहीं सो गया माँ ने उसे गोद में ले लिया और धीरे से मुस्कायी फिर न जाने क्यूँ उसकी आंख भर आयी जैसा दिख रहा था वहां पर सब वैसा नहीं था घर में रोटी की खातिर एक पैसा भी नहीं था राशन के डिब्बों में तो बस सन्नाटा पसरा था कुछ बनाने के लिए घर में कहाँ कुछ धरा था? न जाने कब से घर में चूल्हा ही नहीं जला था चूल्हा भी तो माँ के आंसुओं से ही बुझा था फिर मुन्ने को वो बेचारी हलवा कहां से खिलाती अपने जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती अपनी मजबूरी उस नन्हें मन को मां कैसे समझाती या फिर फालतू में ही मुन्नें पर क्यों झुंझलाती? हलवे की बात वो कहानी में टालती रही जब तक वो सोया नहीं बस पानी उबालती रही
Story Of The Day In Hindi
मेरे एक बहुत अच्छ दोस्त हैे जो एक स्कूल के प्रिंसिपल हैं शिक्षा के क्षेत्र में उनका नाम है और वो एक बहुत काबिल प्रशासक हैं उन्होंने अपनी एक टीचर को सबके बीच में बहुत जोर से डांटा दो घंटे बाद स्टाफ रूम में फिर डाँटा छठे पीरियड में फिर एक बार सभी टीचर्स के बीच में डांट दिया लड़की बेचारी वहीं सबके बीच फफक के रो पड़ी फिर आया आखिरी पीरियड
उसमें उस दिन पूरे स्टाफ की एक मीटिंग थी सब बैठे प्रिंसिपल ने उनसे पूछा क्यों ? आया मज़ा ? सबके बीच में यूँ डांट खा के कैसा लगता है ? बुरा लगा न ?
उन बच्चों को भी बुरा लगता होगा जिन्हें तुम रोजाना डांटती हो अपनी खीज उतारने के लिए मार देती हो उन्हें गधा नालायककामचोर और न जाने क्या क्या बोलती हो कितना होते होंगे वो मैं इतने दिन से तुम्हे समझा रहा हूँ तुम्हे समझ नहीं आ रहा था आज मैं तुमसे नाराज नही था मैंने तुम्हे सिर्फ ये अहसास दिलाने के लिए कि सार्वजनिक प्रताड़ना कितनी कष्ट दायी होती है तुम्हें जान बूझ के डांटा लड़की फिर रोने लगी
एक दिन फिर मीटिंग हो रही थी सबके काम काज की समीक्षा हो रही थी काम के मामले में उस लड़की की खूब तारीफ हुई दस मिनट बाद उसे खड़ा किया पूछा कैसा लगा ? अच्छा लगा न ? सबके बीच में तारीफ हुई कैसा फील हुआ
उस मीटिंग के बाद प्रिंसिपल साहिब ने योजनाबद्ध तरीके से उस लड़की की सबके सामने तारीफ करनी शुरू की तुम्हारा ये ये काम बहुत अच्छा है इस इस में सुधार करो ये ये गलतियां सुधारो तुम जिंदगी में बहुत ऊपर जाओगी कहना न होगा आज वो लड़की उनके स्कूल की सबसे काबिल टीचर है
मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ जो ये बताते हैं कि हमारे बाप ने कभी जिंदगी में हमारी तारीफ न की हमेशा नालायक ही बताया मेरे एक मित्र आज भी उस टीचर को याद करके भावुक हो जाते हैं जो हमेशा स्कूल में उनकी तारीफ करते थे
नालायक से नालायक आदमी में भी कुछ गुण तो होते ही हैं क्यों न उन्हें ही किया जाए दुनिया भर में तिरस्कृत बच्चे को तारीफ का एक शब्द जलते अंगारे पे पड़ी पानी की शीतल बूँद सा लगता है
समाज में प्रोत्साहन से जो मिल सकते हैं वो से कभी नहीं मिल सकते
अपने बच्चों की और अपने आसपास के लोगो की तारीफ करना सीखिए
Spiritual Story Dad And Daughter
एक बार एक व्यक्ति अपनी नयी कार को बड़े प्यार से पालिश करके चमका रहा था। तभी उसकी 4 साल की बेटी पथ्थर से कार पर कुछ लिखने लगी। कार पर खरोच लगती देखकर पिता को इतना गुस्सा आया की वह बेटी का हाथ जोर से मरोड़ दिया। इतना ज़ोर से की बेटी की ऊँगली टूट गई।
बाद में अस्पताल में दर्द से कराह रही बेटी पूछती है पापा मेरी ऊँगली कब ठीक होगी ???????????????
गलती पे पछता रहा पिता कोई जवाब नहीं दे पता। वह वापस जाता है और कार पर लातें बरसाकर गुस्सा निकलता है। कुछ देर बाद उसकी नज़र उसी खरोच पर पड़ती है जिसकी वजह से उसने बेटी का हाथ तोडा था। बेटी ने पत्थर से लिखा था " "
दोश्तों गुस्सा और प्यार की कोई सीमा नहीं होती। याद रखें चीजें इस्तेमाल के लिए होती हैं और इंसान प्यार करने के लिए। लेकिन होता इसका उलट है।
आजकल लोग चीजों से प्यार करते हैं और इंसान को इस्तेमाल करते हैं।
Hindi Story Valentine Day Story In Hindi
एक सेठ जी थे -
जिनके पास काफी दौलत थी
सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी शराबी निकल गया
जिससे सब धन समाप्त हो गया
बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो
मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे"
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि तभी उनका दामाद घर आ गया
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू जिनमे अर्शफिया थी दिये
दामाद लड्डू लेकर घर से चला
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगेमिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा
और
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगाईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो
झूला जितना पीछे जाता है उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।
सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए तो डरो मत वह आगे भी आएगा।
बहुत ही खूबसूरत लाईनें
किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता
डरिये वक़्त की मार सेबुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता
अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के बिना नही जीत सकती
बीरबल अकलमंद होने के बावजूदकभी बादशाह नही बन सका
""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है "