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Hindi Kahaniyan

Pita A Hindi Story

😭😭😭😭----- पिता -----😭😭😭😭

पांच साल ससुराल रहने के बाद बेटी पीहर लौट आई थी ससुराल कभी वापस ना जाने के लिए। पिता की आँखों में सवाल थे। माँ के पास तमाम सवालों के जवाब।पर पिता बेटी से ही सुनना चाहते थे। बेटी ने पिता का पर्दा किया और तमाम सवालों के जवाब दिये। "किस तरह ससुराल में दूधमुहि बेटी को छोड़ खेतों में काम करने के बाद भी बेटी को गले नहीं लगा सकती।काम का बोझ, उस पर भी ढोर डंगर की जिम्मेदारी भी उसी की। उस पर भी सासू जी के ताने छलनी करते हैं। उपेक्षा का दंश झेलने के बावजूद प्यार के दो बोल के लिए तरस जाती है वो।"

"इसमें नया क्या है बेटा, हमने भी यही सब किया है, हर औरत यही करती है। तुम कोई नवेली तो हो नही जो तुम्हारे साथ कुछ अलग होगा?" माँ ने घूँघट की ओट से कहा। पिता कुछ पल सोचते रहे। फिर बेटी के ससुराल फ़ोन लगाया। " आपसे बात करनी है, जितनी जल्दी आ सकें जवाई जी के साथ पधारिये।" बेटी का पति, सास और ससुर हाजिर थे।

"बहू अगर घर का काम न करे, खेत पर न जाए, ढोर डंगर की देखभाल, दूध निकलना ना करे तो क्या उसे आलिये में बैठा के पूजा करें उसकी।" सास का सवाल था। "ऐसा तो नहीं कहा उसने कि पूजा कीजिये उसकी। मगर कम से कम उसे इंसान तो समझिए। उसकी बच्ची से पूरा दिन उसे दूर रहना पड़ता है, आखिर दूध पीती बच्ची है अभी उसकी। पर आप लोग उसे बहू कम नौकरानी ज्यादा समझ रहे हैं।" कमरे में क्षण भर चुप्पी छा गई। "अब मेरी बेटी आपके साथ नहीं जाएगी। उसके नाम से जमीन का चौथा हिस्सा और मकान कीजिये। और आप चाहें तो दूसरी शादी करने को स्वतंत्र हैं।" पिता ने फैसला सुनाया।

"खाना खाकर पधारें आप..." पिता ने हाथ जोड़े और दरवाजे से निकल गए।
बेटी दरवाजे की ओट से सब सुन रही थी। पिता ने बेटी के सर पर हाथ रखा।
"शादी ही की है, इसका ये मतलब नहीं कि तुझे अकेला छोड़ दिया है। अब भी मेरा गुरुर है तू।" पिता ने बेटी के सर पर हाथ फेरा। आँखे दोनों की छलछला रहीं थी 😢😢😢 ---- Pita A hindi Story

Two Old Man

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे....
पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BE किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर है कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..v दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...??
पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा Job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो...
दूसरा :- और कुछ...
पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए.. मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए.. वो क्या है लडाई झगड़े होते है...
दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है..
पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..
दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो... कहते कहते उनका गला भर आया..
फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी....
पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा...
दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नही... मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे ,घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है... वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी...
पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नही बोल पाए...
दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे. Two Old Man

Sanskaar Hindi Story

------------ संस्कार ------------

मिसेज शर्मा के घर किट्टी पार्टी में हाई क्लास घर की औरतें अंग्रेजी में मेल मिलाप करते हुए......
हाय शोना............
हाय स्वीटहार्ट..........
हे डार्लिंग......व्हाट्स आप......
फाइन बेबी.........
ह्ह्ह्ह्हम्म्म्म्म ओह कम ऑन......
उम्मम्मम्मह्ह्ह्ह्हाआ............

ये सभी पार्टी का आनंद ले ही रही थीं कि मिसेज शर्मा की भतीजी सृष्टि जो बिलकुल सादे कपड़ों में नीचे हॉल में आई। मिसेज शर्मा ये कौन है नई नौकरानी रखी है क्या ? मिसेज गुप्ता ने सृष्टि की तरफ इशारा करते हुए पूछा। मिसेज शर्मा ने कहा "नहीं ये मेरी भतीजी है आज ही गाँव से आई है" उन्होंने सृष्टि को अपने पास बुलाया, सृष्टि ने नमस्ते से सबका अभिवादन किया ही था कि सभी खिलखिला कर हँस पड़ीं मिसेज सैनी तो बोल ही पड़ी गाँव से आई है इस से अधिक उम्मीद भी नहीं थी।

सृष्टि बोली :- माफ करना आँटी लेकिन शुक्र है, गाँव वालों से कम से कम आपको इतनी उम्मीद तो है कि वो अपने संस्कार सहेज कर रखते हैं जो उन्हें हर किसी की इज्जत करना सिखाता है और छोटे हों या बड़े हों सभी के मान और प्रतिष्ठा का पूरा ख्याल रखते हैं वरना शहर के शो कॉल्ड हाई क्लास दिखावे से तो मुझे इतनी भी उम्मीद नहीं है कि वो मातृभाषा में किए अभिवादन का प्रतिउत्तर देने के काबिल भी होंगे, आप लोगों का ये बनावटी दिखावापन है और खोखला घमंड है बाकि कुछ नहीं है, इतना कहकर सृष्टि वहाँ से चली गई।

मिसेज शर्मा गरम पड़ गईं और तुनकते हुए बोलीं कि आप सब जानती भी हैं वो यूक्रेन से डॉक्टर की पढ़ाई करके आई है, दो साल कैनेडा के रिसर्च सेंटर में काम किया है और अभी अपने गाँव में अपने खुद के पैसों से हॉस्पिटल खोलने की तैयारी कर रही है ताकि अपने गाँव के गरीबों की सेवा कर सके वैसे कैनेडा में ही उसको अच्छा खासा पैकेज मिल रहा था मगर अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करने का जज्बा उसे अपने गाँव तक खींच लाया है।

मिसेज शर्मा की बात सुनने के बाद किट्टी पार्टी के दिखावे वाली रौनक शर्म और ग्लानि के नीचे दबी हुई सी महसूस कर रही थी सभी एक दूसरे से नज़र तक नहीं मिला पा रहीं थीं, चारों तरफ सन्नाटा मानो मातम पसर गया हो।।

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Sanskaar hindi story

Mai Jab Ghar Me Aai

मै .....जब से इस घर मे आई आपको अपनी बड़ी बहन माना, मेरी कोई बहन नही थी तो मै बहुत खुश थी कि मुझे जेठानी के रुप मे दीदी मिल गई है। मैने कितना सोचा था, कि हम साथ मे मिलकर रहेगे ,आप से ढेर सारी बाते करुगी कुछ पूछना होगा तो पूछ लूंगी,पर मेरे सारे अरमान धरे के धरे रह गए ।

पर...... आप ने मेरी भावनाओ को कभी समझा ही नहीं। आप आई थी इस घर मे तो सब उतना ही खुश रहे होगे जितना मेरे आने से, लेकिन आप को तकलीफ होने लगी कि मेरे आने से आपका मान सम्मान कम हो गया है। पर ये आपकी गलतफ़हमी थी। आज भी आपका वही ओहदा है जो कल था बस फर्क ये है कि कल आप अकेली बहु थी और आज मै भी हूँ।

जब......... भी मै कुछ नया बनाती थी आप कितनी खुशी से खिलाने के लिये ले जाती थी पर आप कभी टेस्ट नही करती थी। कि मेरे बनाये का सब लोग तारीफ़ कर रहे है, इस बात से भी आपको तकलीफ होती थी। जब .........भी मै रात का खाना बनाती आप अपने हिस्से की शब्जी धीरे से जूठे मे डाल देती, और घरवालो के सामने ये जताती कि मै आपके लिए शब्जी नही रखती आपको आचार से खाना पड़ता।हमेशा आप मुझे हर जगह नीचा दिखाने की कोशिश करती है। अगर कुछ मुझसे बिगड़ जाता तो आप बताने की जगह घुम घुम कर दिखाने लगती मै ......हमेशा कोशिश करती कि आप की छोटी बहन बनू पर आप हमेशा अपना मुझे प्रतिद्वन्दी ही समझा।

उस...... दिन मैने कितनी उम्मीद से कहा था कि दीदी आप मेरे साथ मार्केट चल चलिए पर आपने तुरंत मना कर दिया। और बाद मे आप अकेले चल गई। जब कभी आप खाली नही रहती थी तो आप के बच्चे को मै देख लेती थी ,उसका नैपकिन भी बदल देती थी। पर जब मेरा बच्चा हुआ तो, आप तो उसकी बड़ी मम्मी थी। पर एक बार भी उसको गोद नही लिया। मैने आपको बड़ी बहन समझा था पर आप तो जेठानी भी नहीं बन पाई। अक्सर घर मे दो बहु रहती है।घर के सदस्य किसी एक की तारीफ करते है तो कभी बड़ी को छोटी के प्रति तो कभी छोटी के बड़ी के प्रति द्वेष की भावना उत्पन्न होने लगती है। पर एक दूसरे के भावनाओ को समझने लगे तो ऐसी स्थिति कभी उत्पन्न नही होगी।

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धन्यवाद॥ Mai Jab Ghar Me Aai

Paraya Ghar

एक बार पढ़ कर देखो ...☺
शादी के तीसरे दिन ही बीएड का इम्तेहान देने जाना था उसे। रात भर ठीक से सो भी नहीं पायी थी। किताब के पन्नों को पलटते हुए कब भोर हुई पता भी नहीं चला। हल्का उजाला हुआ तो रितु जगाने के लिए आ गयी। बहुत मेहमान थे, तो सबके जागने से पहले ही दुल्हन नहा ले। नहीं तो फिर आंगन में भीड़ बढ़ जाएगी। सबके सामने सब गीले बाल, सिर पर पल्लू लिए बिना थोड़े निकलेगी। नहा कर रूम मे बैठ कर फिर किताब में खो गयी। मुँह-दिखाई के लिए दो-चार औरतें आयी थी। सब मुँह देख कर हाथों में मुड़े-तुड़े कुछ पचास के नोट और सिक्के दे कर बैठ गयी ओसारा पर। घड़ी में देखा तो साढ़े आठ बज़ रहे थे।

नौ बजे निकलना था। तैयार होने के लिए आईने के सामने साड़ी ले कर खड़ी हो गयी। चार-पाँच बार बांधने की कोशिश की मगर ऊपर-नीचे होते हुए वो बंध न पाया। साड़ी पकड़ कर रुआंसी सी हो कर बैठ गयी। "जीजी को बोला था शादी नहीं करो मेरी अभी। इम्तेहान दे देने दो। मेरा साल बर्बाद हो जायेगा मगर मेरी एक न सुनी। नौकरी वाला दूल्हा मिला नहीं की बोझ समझ कर मुझे भेज दिया। " आंसू पोछतें हुए बुदबुदा रही थी।

"तैयार नहीं हुई। बाहर गाड़ी आ गयी है। जल्दी करो न।" दूल्हे साहब कमरे में आते हुए बोले। वो चुप-चाप बिना कुछ बोले साड़ी लपेटने लगी। इतने में पीछे से सासु माँ कमरे में कुछ लेने आयी। दुल्हन को यूँ साड़ी लिए खड़ी देख कर माज़रा समझ में आ गया। वो कमरे से बाहर आ कर रितु को आवाज लगा कर कुछ लाने को बोली।

"सुनो बेटा ये पहन कर जाओ परीक्षा देने माथे पर ओढ़नी रख लेना आज हमें कोई कुछ बोलेगा तो कल को तुम मास्टरनी बन जाओगी तो सब का मुंह बन्द हो जाएगा ।" अपनी बेटी वाला सूट-सलवार बहू को देते हुए बोली।

उसने भीगी नज़रों से सास को देखा। सासु माँ सिर पर हाथ फेरते हुए कमरे से निकल गयी। पीछे से आईने में मुस्कुराते हुए दूल्हे मियाँ अपनी दुल्हन को देखने लगे।

ऐसी रीति-रिवाज ही क्या जो हमारे बेटी-बहुओं को आगे न बढ़ने दे.. ...✍🙏🙏

Paraya Ghar