Poetry Tadka

Hindi Kahaniyan

A Older Mother Hindi Story

*वृद्ध माँ* रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है घर मे *#दो_बहुएँ* हैं। बर्तनों की आवाज से परेशान होकर वो पतियों को सास को *उल्हाना* देने को कहती है। वो कहती है *आपकी माँ को मना करो इतनी रात को बर्तन धोने के लिये हमारी नींद खराब होती है*। साथ ही *सुबह 4 बजे* उठकर फिर खट्टर पट्टर शुरू कर देती है *सुबह 5 बजे पूजा-आरती*, करके हमे सोने नही देती ना रात को ना ही सुबह। जाओ सोच क्या रहे हो जाकर माँ को मना करो । बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बाते सुनाई पड़ती जो उसके कमरे हो रही थी वो छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है छोटा भाई बाहर आता है, *दोनो भाई रसोई में जाते है और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है* , माँ मना करती पर वो नही मानते बर्तन साफ हो जाने के बाद *दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है , तो देखते है पिताजी भी जग रहे है* । दोनो भाई माँ को बिस्तर पर बैठा कर कहते है *माँ सुबह जल्दी उठा देना हमे भी पूजा करनी है और सुबह पिताजी के साथ योगा करेंगे* , माँ बोलती ठीक है । दोनो बेटे सुबह जल्दी उठने लगे रात को 9:30 पर ही बर्तन मांजने लगे तो पत्नियां बोली माता जी करती है आप क्यु कर रहे हो बर्तन साफ तो *बेटे बोले हम लोगो की शादी करने के पीछे एक कारण यह भी था कि माँ की सहायता हो जायेगी* पर तुम लोग ये कार्य नही कर रही हो कोई बात नही हम अपनी माँ की सहायता कर देते है । *हमारी तो माँ है इसमें क्या बुराई है*। अगले तीन दिनों में घर मे पूरा बदलाव आ गया बहुवे जल्दी बर्तन इसलिये साफ करने लगी की नही तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे साथ ही सुबह भी वो भी पतियों के साथ ही उठने लगी और पूजा आरती में शामिल होने लगी । कुछ दिनों में पूरे घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया बहुवे सास ससुर को पूरा सम्मान देने लगी । *माँ का सम्मान तब कम नही होता जब बहुऐं उनका सम्मान नही करती , माँ का सम्मान तब कम होता है जब बेटे माँ का सम्मान नही करे या माँ के कार्य मे सहयोग ना करे* । एक शेयर माँ के नाम...
A Older mother hindi story

Wah Khana Kha Night

वह खाना खा नाइट-सूट पहन बैड पर जा बैठी। आदत के अनुसार सोने से पहले पढ़ने के लिए किताब उठाई ही थी कि उसके मोबाइल-फोन पर एसएमएस की ट्यून बजी। जिस तरह हम दिन भर इकट्ठे घूमे-फिरे एक टेबल पर बैठ कर खाया। कितना मज़ा आया। इसी तरह एक ही बैड पर सोने में भी खुशी मिलती है। इंतज़ार कर रहा हूँ। उसने कुछ दिन पहले ही एक नई कंपनी में नौकरी शुरू की थी। एक सीनियर अफसर के साथ कंपनी के काम से दूसरे शहर में आई थी। दिन का काम निपटाकर वे एक होटल में ठहरे हुए थे। ऐसा बेहूदा मैसेज! सीनियर की तरफ से। उसने पल भर सोचा नहीं नहीं इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। बात अभी ही सँभालनी चाहिए। मैं एमडी से बात करती हूँ। उसे गुस्सा आ रहा था। इसी दौरान फिर मैसेज आया। तुम शिकायत करने के बारे में सोच रही हो। तुम जिससे भी शिकायत करोगी उसे भी यही इच्छा ज़ाहिर करनी है। तुम्हारे संपर्क में जो भी आएगा वह ऐसा कहे बिना नहीं रह सकेगा। तुम चीज ही ऐसी हो। मैं चीज हूँ एक वस्तु। मुझे लगता है इसका किसी लड़की के साथ पाला नहीं पड़ा। उसका गुस्सा बढ़ता जा रहा था। एक बार फिर एसएमएस आया। देखो! जिन हाथों को छूने से खुशी मिलती है उन हाथों से थप्पड़ भी पड़ जाए तो कोई बात नहीं। इंतज़ार कर रहा हूँ। इसकी हिम्मत देखोइंतज़ार कर रहा हूँ। फिर उसके मन में एक ख़्याल आया अगर वह आ गया तो?डरने की क्या बात है। उसने अपने आप को सहज करने की कोशिश की। यह एक अच्छा होटल है। ऐसे ही थोड़ा कुछ घट जाएगा। वह ख़्यालों में डूबी थी कि बैल बजी। उसने सोचा वेटर होगा। उसने चाय का आर्डर दे रखा था। दरवाजा खोला तो अफसर सामने था। वह अंदर आ गया। कल्पना ने भी कुछ न कहा। वह बैड के आगे से घूमता हुआ दूसरी तरफ बैड पर सिरहाने के सहारे बैठ गया। सर! आप कुर्सी पर बैठो आराम से। कल्पना ने सुझाया। यहाँ से टीवी ठीक दिखता है। अफसर ने अपनी दलील दी। सर! अभी वेटर आएगा। अजीब सा लगता है। कल्पना ने मन की बात रखी। नहीं नहीं कोई बात नहीं। ये सब मेरे जानकार हैं। बी कम्फर्टेबल। वेटर ने दरवाजा खटखटाया और यैस कहने पर भीतर आ गया। वेटर ने चाय की ट्रे रखी और पूछा मैम! चाय बना दूँ? और हाँ सुनकर चाय बनाने लगा। कल्पना ने फिर कहा सर ! आप इधर आ जाओ चाय पीने के लिए। कुर्सी पर आराम से पी जाएगी। वह कुर्सी पर आने के लिए उठा। कल्पना भी उठी। वेटर ने चाय का कप सर को पकड़ाने के लिए आगे किया ही था कि कल्पना ने खींच कर एक तमाचा अफसर के गाल पर मारते हुए कहा गैट आउट फ्राम माई रूम। और फिर एक पल रुककर बोली आपका ऐसा स्वागत मैं दरवाजे पर भी कर सकती थी। पर सोचा इस होटल के सारे वेटर आपके जानकार हैं उन्हें तो भी पता चलना चाहिए।

Wah Khana Kha Night

Prathna Ka Mol

🙏🙏 #प्रार्थना #का #मोल 🙏🙏 एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है। वो दुकानदार से प्रार्थना करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है। उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर कहता है तुम्हारे पास कुछ ऐसा है जिसकी कोई कीमत हो तो उसे इस तराजू पर रख दो मैं उसके वज़न के बराबर सब्जी तुम्हे दे दूंगा। वृद्ध महिला कुछ देर सोच में पड़ जाती है। क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था। कुछ देर सोचने के बाद वह एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा निकलती है और उस पर कुछ लिख कर तराजू पर रख देती है। दुकानदार ये देख कर हंसने लगता है। फिर भी वह थोड़ी सब्जी उठाकर तराजू पर रखता है। आश्चर्य!!! कागज़ वाला पलड़ा नीचे रहता है और सब्जी वाला ऊपर उठ जाता है। इस तरह वो और सब्जी रखता जाता है पर कागज़ वाला पलड़ा नीचे नहीं होता। तंग आकर दुकानदार उस कागज़ को उठा कर पढता है और हैरान रह जाता है कागज़ पर लिख था की परमात्त्मा आप सर्वज्ञ हो अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है दुकानदार को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वो उतनी सब्जी वृद्ध महिला को दे देता है। पास खड़ा एक अन्य ग्राहक दुकानदार को समझाता है कि दोस्त आश्चर्य मत करो। केवल परमात्मा ही जानते हैं की प्रार्थना का क्या मोल होता है। वास्तव में प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की। यदि सच्चे मन से की जाये तो ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं!! अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है की हमारे पास वक्त नहीं। मगर सच तो ये है कि परमात्मा को याद करने का कोई समय नहीं होता!! प्रार्थना के द्वारा मन के विकार दूर होते हैं और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का बल मिलता है। ज़रूरी नहीं की कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना की जाये। जो आपके पास है उसका धन्यवाद करना चाहिए। इससे आपके अन्दर का अहम् नष्ट होगा और एक कहीं अधिक समर्थ व्यक्तित्व का निर्माण होगा। प्रार्थना करते समय मन को ईर्ष्या द्वेष क्रोध घृणा जैसे विकारों से मुक्त रखें

Prathna ka mol

Yamraz Aur Bujurg Mahila

एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये। औरत ने यमराज से पूछा, आप मुझे स्वर्ग ले जायेगें या नरक। यमराज बोले दोनों में से कहीं नहीं। तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किये हैं, इसलिये मैं तुम्हें सिधे प्रभु के धाम ले जा रहा हूं। बुजुर्ग औरत खुश हो गई, बोली धन्यवाद, पर मेरी आपसे एक विनती है। मैनें यहां धरती पर सबसे बहुत स्वर्ग - नरक के बारे में सुना है मैं एक बार इन दोनों जगाहो को देखना चाहती हूं। यमराज बोले तुम्हारे कर्म अच्छे हैं, इसलिये मैं तुम्हारी ये इच्छा पूरी करता हूं। चलो हम स्वर्ग और नरक के रसते से होते हुए प्रभु के धाम चलेगें। दोनों चल पडें, सबसे पहले नरक आया। नरक में बुजुर्ग औरत ने जो़र जो़र से लोगो के रोने कि आवाज़ सुनी। वहां नरक में सभी लोग दुबले पतले और बीमार दिखाई दे रहे थे। औरत ने एक आदमी से पूछा यहां आप सब लोगों कि ऐसी हालत क्यों है। आदमी बोला तो और कैसी हालत होगी, मरने के बाद जबसे यहां आये हैं, हमने एक दिन भी खाना नहीं खाया। भूख से हमारी आतमायें तड़प रही हैं बुजुर्ग औरत कि नज़र एक वीशाल पतिले पर पडी़, जो कि लोगों के कद से करीब 300 फूट ऊंचा होगा, उस पतिले के ऊपर एक वीशाल चम्मच लटका हुआ था। उस पतिले में से बहुत ही शानदार खुशबु आ रही थी। बुजुर्ग औरत ने उस आदमी से पूछा इस पतिले में कया है। आदमी मायूस होकर बोला ये पतिला बहुत ही स्वादीशट खीर से हर समय भरा रहता है। बुजुर्ग औरत ने हैरानी से पूछा, इसमें खीर है तो आप लोग पेट भरके ये खीर खाते क्यों नहीं, भूख से क्यों तड़प रहें हैं। आदमी रो रो कर बोलने लगा, कैसे खायें ये पतिला 300 फीट ऊंचा है हममें से कोई भी उस पतिले तक नहीं पहुँच पाता। बुजुर्ग औरत को उन पर तरस आ गया सोचने लगी बेचारे, खीर का पतिला होते हुए भी भूख से बेहाल हैं। शायद ईश्वर नें इन्हें ये ही दंड दिया होगा यमराज बुजुर्ग औरत से बोले चलो हमें देर हो रही है। दोनों चल पडे़, कुछ दूर चलने पर स्वरग आया। वहां पर बुजुर्ग औरत को सबकी हंसने,खिलखिलाने कि आवाज़ सुनाई दी। सब लोग बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। उनको खुश देखकर बुजुर्ग औरत भी बहुत खुश हो गई। पर वहां स्वरग में भी बुजुर्ग औरत कि नज़र वैसे ही 300 फूट उचें पतिले पर पडी़ जैसा नरक में था, उसके ऊपर भी वैसा ही चम्मच लटका हुआ था। बुजुर्ग औरत ने वहां लोगो से पूछा इस पतिले में कया है। स्वर्ग के लोग बोले के इसमें बहुत टेस्टी खीर है। बुजुर्ग औरत हैरान हो गई उनसे बोली पर ये पतीला तो 300 फीट ऊंचा है आप लोग तो इस तक पहुँच ही नहीं पाते होगें उस हिसाब से तो आप लोगों को खाना मिलता ही नहीं होगा, आप लोग भूख से बेहाल होगें पर मुझे तो आप सभी इतने खुश लग रहे हो, ऐसे कैसे लोग बोले हम तो सभी लोग इस पतिले में से पेट भर के खीर खाते हैं औरत बोली पर कैसे,पतिला तो बहुत ऊंचा है। लोग बोले तो क्या हो गया पतिला ऊंचा है तो यहां पर कितने सारे पेड़ हैं, ईश्वर ने ये पेड़ पौधे, नदी, झरने हम मनुष्यों के उपयोग के लिये तो बनाईं हैं हमनें इन पेडो़ कि लकडी़ ली, उसको काटा, फिर लकड़ीयों के तुकडो़ को जोड़ के विशाल सिढी़ का निर्माण किया उस लकडी़ की सिढी़ के सहारे हम पतिले तक पहुंचते हैं और सब मिलकर खीर का आंनद लेते हैं बुजुर्ग औरत यमराज कि तरफ देखने लगी यमराज मुसकाये बोले *ईशवर ने स्वर्ग और नरक मनुष्यों के हाथों में ही सौंप रखा है,चाहें तो अपने लिये नरक बना लें, चाहे तो अपने लिये स्वरग, ईशवर ने सबको एक समान हालातो में डाला हैं* *उसके लिए उसके सभी बच्चें एक समान हैं, वो किसी से भेदभाव नहीं करता* *वहां नरक में भी पेेड़ पौधे सब थे, पर वो लोग खुद ही आलसी हैं, उन्हें खीर हाथ में चाहीये,वो कोई कर्म नहीं करना चाहते, कोई मेहनत नहीं करना चाहते, इसलिये भूख से बेहाल हैं* *कयोकिं ये ही तो ईश्वर कि बनाई इस दुनिया का नियम है,जो कर्म करेगा, मेहनत करेगा, उसी को मीठा फल खाने को मिलेगा* दोस्तों ये ही आज का सुविचार है, स्वर्ग और नरक आपके हाथ में है मेहनत करें, अच्छे कर्म करें और अपने जीवन को स्वर्ग बनाएं। और हां, ये पोस्ट अगर आपको ज़रा सी भी पसंद आई हो तो आगे शेयर करना मत भुलियेगा।
Yamraz aur bujurg mahila

Bejan Rakhi A Hindi Story

बेजान राखी! आज साक्षी की खुशी का ठिकाना नहीं था। सुबह-सुबह सूरज की किरणें उसके कमरे में पड़ते ही वो हर्षोल्लास के साथ अपने बिस्तर से उठी और बिस्तर के पास रखी हुई चप्पल को पहनकर नींद से भरी आँखें मलती हुई वो कमरे से बाहर आयी। अम्मा ने उसको आते देखा तो वो मुस्कुरा पड़ीं और साक्षी को ज़ोर से गले लगाया। नींद से भरी थीं उसकी आँखें अब भी पर उस दिन के महत्व के आगे उसकी नींद बहुत छोटी मालूम होती थी। "अम्मा! चल ना बाज़ार चलते हैं।" "नाश्ता करके चलते हैं। इतनी जल्दी क्या है?" "नहीं, अम्मा चलो ना," साक्षी ने बच्चों वाली ज़िद्द करी। "अरे लड़की थम जा, खाले कुछ, पहले। बाज़ार भागा थोड़ी जा रहा है," अम्मा हँसते हुए बोली। साक्षी अपना मुँह फुला के कुर्सी पर बैठ गई मानो किसी ने उसके मुँह में दो लड्डू डाल दिए हों। उसका मुँह बिल्कुल गेंद की तरह गोल और गुस्से में लाल हो गया था। अम्मा रसोईघर में खाना पका रही थी और उस खाने की खुशबू ने साक्षी के टमाटर जैसे मुँह को थोड़ा शांत किया। "अम्मा! आज भैये के पसंद के पकवान बना रही हो?" साक्षी का उत्सुकता भरी आवाज़ में सवाल आया। "हाँ, क्यों? तुझे कुछ और खाना है?" "बस हमेशा अपनी चलाता है वो। आज उसका दिन है तो अपने पसंद के ही सारे पकवान खाएगा क्या? ख़ैर, छोड़ो ! माफ़ किया उसे, उसका दिन है आज।" अम्मा बातें सुनकर थोड़ा हँस पड़ी और पकवान बनाने में लग गई। नाश्ता करके दोनों माँ-बेटी तैयार हुए और बाज़ार की ओर रवाना हो गए। हर तरफ मिठाई , कपड़े और राखियों का जमावड़ा लगा हुआ था। छोटे-छोटे बच्चे बड़ी खुशी से बाज़ार देख रहे थे, उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। ऊपर आसमान में कुछ पतंगें भी दिख रही थीं, और हर तरफ दुकान के बैनर लटके हुए थे। हर जगह ऑफ़र्स के नाम पर भीड़ को आकर्षित किया जा रहा था। भीड़ बहुत थी पर कोई परेशानी में नहीं दिख रहा था। राखियों की बिक्री तो ऐसे हो रही थी मानो कोई मुफ़्त में बाँट रहा हो। ऐसे ही किसी दुकान पर साक्षी और अम्मा राखी देखने गए। साक्षी उत्साह से भरी उछल-कूद रही थी। इतनी राखियाँ देख कर उसका सब लेने का मन कर रहा था। अम्मा को उम्मीद भरी आँखों से देख रही थी मानो कह रही हो कि सबसे अच्छी राखी लेना भैया के लिए। साक्षी हमेशा से एक राखी और एक धागा लिया करती थी मानो अपने भैया को कहना चाहती हो की मेरी डबल रक्षा करना। उस दिन भी उसने यही किया। "चाचा ! ये राखी और ये धागा, दोनों पैक कर दो। आज मेरे भैया घर आने वाले हैं। कल उन्हें राखी बाँधूँगी और बहुत सारे पैसे लूटूंगी।" ये बात सुनकर अम्मा और दुकान वाला चाचा ज़ोर से हँस पड़े। अम्मा ने चाचा को पैसे दिए और दोनों घर की तरफ बढ़ चले। थोड़ी दूर चलते ही एक पुलिस का दस्ता बाज़ार पर कड़ी निगरानी करता दिखा। "अम्मा! ये लोग इतनी छानबीन क्यों कर रहे हैं?" साक्षी के माथे पर एक अजीब सी शिकन थी। "पता नहीं बेटा! फिर से कुछ हुआ होगा!" साक्षी से रहा नहीं गया, उसने पुलिस वाले अंकल से जाकर पूछा, "अंकल इतनी छानबीन क्यों?" "अभी-अभी आतंकी हमला हुआ है, तो सारा शहर हाई अलर्ट पर है, आप लोग जल्दी से घर पर जाइए।" साक्षी का दिल धड़कने लगा। घर जाते ही उसने टीवी चलाया तो पता लगा कि कुछ जवान एक हमले में शहीद हो गए हैं। एक-एक करके शहीदों के नाम स्क्रीन पर दिखने लगे। "शहीद मेज़र अनूप सिंह अपने देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।" वो नाम और तस्वीर देख कर साक्षी के हाथ से राखी का पैकेट नीचे गिर गया और वो राखी बेजान हो गई। अम्मा घुटने के बल नीचे बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। "ऐ मेरे वतन के लोगों! जरा आँख में भर लो पानी। जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी।" ये गाना टीवी पर गूँजने लगा और साक्षी ने अपने अम्मा के कंधे पर हाथ रखा और बड़े ज़ोर से बोला, "जय हिन्द!" सिर्फ़ 14 साल की साक्षी उठी और उस बेजान पड़ी राखी को उठाया और उस धागे को भी और उन्हें लेकर अकेले ही बाहर निकल पड़ी। उसके घर के पास मिलिट्री कैंप था। उसने मंदिर से 10-10 रुपए के धागे खरीदे और कैंप में जाकर हर फौजी के हाथ में वो धागे बाँधे। एक वो आज था और एक ये आज है। साक्षी 22 बरस की हो गई है और वो 8 साल से इसी कैंप में जाकर हर फौजी भाई को राखी बाँधती है। पर वो 8 साल पहले खरीदी हुई राखी आज भी घर में उसके कमरे में रखी अलमारी के बक्से में बंद पड़ी है, बिल्कुल बेजान। ~राहुल छाबड़ा Credit : The Anonymous Writer हिंदी
Bejan Rakhi a Hindi Story

Charitraheen Hindi Story

#चरित्रहीन स्त्री और पुरूष के लिए बहुत ही सुन्दर रचना दो मिनट का समय निकालकर एक बार आवश्य पढ़े ! स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l ( कैसा लगा ये प्रसंग ? कॉमेंट कर के बताइएे या फिर मूजे मेसेज(Msg) कर के बता बताइएे और अगर कहानी अछि लगे तो शेयर ज़रूर करें
Charitraheen hindi story

Husband Wife Hindi Story

सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया, बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती। पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं। पति गुस्से मे ही दफ्तर चले गया पत्नी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब और ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम मे। मां ने कहा - बेटी बहु बन के आराम से वही बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने पति से लड़कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तुने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तुने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले पति से, वो इतना बुरा भी नही है। मां ने लाल झंडी दिखाई तो बेटी के होश ठिकाने आ गए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, पति के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी खुद की भी काफ़ी गलतियां नज़र आई। मुहं हाथ धोकर फ्रेश हुई और पति के पसंद की डीश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को पति से माफ़ी मांग लुंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है पति शाम को जब घर आया तो पत्नी ने उसका अच्छे से स्वागत किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो पति को भी हैरत हुई। खाना खाने के बाद पति जब खीर खा रहा था तो बोला डिअर, कभी कभार मैं भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है"। पति पत्नी का शुक्रिया अदा कर रहा था, और पत्नी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता। अगर माँ-बाप अपनी शादीशुदा बेटी की हर जायज़ नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है। . प्लीज़ शेयर जरूर करना।
Husband wife Hindi story

Vivah Ke Do Vars

विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी ...पति शहर से बाहर थे ... जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया .... गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था ... गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था. सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली.... बेहद दुबला पतला बुजुर्ग...पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी ...एक याचना के साथ सामान उठाने को आतुर .... सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई.... तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई ...लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा ... कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था.....ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था ... रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..सुहानी का मन घबराने लगा ... तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया .... बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में ...भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया ...और आने का इशारा किया सीढ़ी चढ़ कर पुल से पार जाना था कयोकि अचानक ट्रेन ने प्लेटफार्म चेंज करा था जो अब नौ नम्बर पर आ रही थी वो साँस फूलने से धीरे धीरे चल रहा था और सुहानी भी तेज चलने हालत में न थी गाडी ने सीटी दे दी भाग कर अपना स्लीपर कोच का डब्बा ढूंढा .... डिब्बा प्लेटफार्म खत्म होने के बाद इंजिन के पास था। वहां प्लेटफार्म की लाईट भी नहीं थी और वहां से चढ़ना भी बहुत मुश्किल था .... सुहानी पलटकर उसे आते हुए देख ट्रेन मे चढ़ गई...तुरंत ट्रेन रेंगने लगी ...कुली अभी दौड़ ही रहा था ... हिम्मत करके उसने एक एक सामान रेलगाड़ी के पायदान के पास रख दिया । अब आगे बिलकुल अन्धेरा था .. जब तक सुहानी ने हडबडाये कांपते हाथों से दस का और पांच का का नोट निकाला ... तब तक कुली की हथेली दूर हो चुकी थी... उसकी दौड़ने की रफ़्तार तेज हुई .. मगर साथ ही ट्रेन की रफ़्तार भी .... वो बेबसी से उसकी दूर होती खाली हथेली देखती रही ... और फिर उसका हाथ जोड़ना नमस्ते और आशीर्वाद की मुद्रा में .... उसकी गरीबी ... उसका पेट .... उसकी मेहनत ... उसका सहयोग ... सब एक साथ सुहानी की आँखों में कौंध गए .. उस घटना के बाद सुहानी डिलीवरी के बाद दुबारा स्टेशन पर उस बुजुर्ग कुली को खोजती रही मगर वो कभी दुबारा नही मिला ... आज वो जगह जगह दान आदि करती है मगर आज तक कोई भी दान वो कर्जा नहीं उतार पाया उस रात उस बुजुर्ग की कर्मठ हथेली ने किया था ... सच है कुछ कर्ज कभी नही उतारे जा सकते......!
Vivah ke do vars

Ghar Ghar Ki Kahani

कल मैं आफिस से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर रात में 10 बजे के बाद आता हूं कल 8 बजे ही चला आया। सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें करूंगा फिर कहूंगा कि कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले हम ऐसा करते थे। घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। मुझे लगा कि जब तक वो ये वाला सीरियल देख रही है मैं कम्यूटर पर कुछ मेल चेक कर लूं। मैं मेल चेक करने लगा कुछ देर बाद पत्नी चाय लेकर आई तो मैं चाय पीता हुआ आफिस के काम करने लगा। अब मन में था कि पत्नी के साथ बैठ कर बातें करूंगा फिर खाना खाने बाहर जाऊंगा पर कब 8 से 11 बज गए पता ही नहीं चला। पत्नी ने वहीं टेबल पर खाना लगा दिया मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाते हुए मैंने कहा कि खा कर हम लोग नीचे टहलने चलेंगे गप करेंगे। पत्नी खुश हो गई। हम खाना खाते रहे इस बीच मेरी पसंद का सीरियल आने लगा और मैं खाते-खाते सीरियल में डूब गया। सीरियल देखते हुए सोफा पर ही मैं सो गया था। जब नींद खुली तब आधी रात हो चुकी थी। बहुत अफसोस हुआ। मन में सोच कर घर आया था कि जल्दी आने का फायदा उठाते हुए आज कुछ समय पत्नी के साथ बिताऊंगा। पर यहां तो शाम क्या आधी रात भी निकल गई। ऐसा ही होता है ज़िंदगी में। हम सोचते कुछ हैं होता कुछ है। हम सोचते हैं कि एक दिन हम जी लेंगे पर हम कभी नहीं जीते। हम सोचते हैं कि एक दिन ये कर लेंगे पर नहीं कर पाते। आधी रात को सोफे से उठा हाथ मुंह धो कर बिस्तर पर आया तो पत्नी सारा दिन के काम से थकी हुई सो गई थी। मैं चुपचाप बेडरूम में कुर्सी पर बैठ कर कुछ सोच रहा था। पच्चीस साल पहले इस लड़की से मैं पहली बार मिला था। पीले रंग के शूट में मुझे मिली थी। फिर मैने इससे शादी की थी। मैंने वादा किया था कि सुख में दुख में ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ रहूंगा। पर ये कैसा साथ? मैं सुबह जागता हूं अपने काम में व्यस्त हो जाता हूं। वो सुबह जागती है मेरे लिए चाय बनाती है। चाय पीकर मैं कम्यूटर पर संसार से जुड़ जाता हूं वो नाश्ते की तैयारी करती है। फिर हम दोनों आफिस के काम में लग जाते हैं मैं आफिस के लिए तैयार होता हूं वो साथ में मेरे लंच का इंतज़ाम करती है। फिर हम दोनों भविष्य के काम में लग जाते हैं। मैं एकबार आफिस चला गया तो इसी बात में अपनी शान समझता हूं कि मेरे बिना मेरा आफिस का काम नहीं चलता वो अपना काम करके डिनर की तैयारी करती है। देर रात मैं घर आता हूं और खाना खाते हुए ही निढाल हो जाता हूं। एक पूरा दिन खर्च हो जाता है जीने की तैयारी में। वो पंजाबी शूट वाली लड़की मुझ से कभी शिकायत नहीं करती। क्यों नहीं करती मैं नहीं जानता। पर मुझे खुद से शिकायत है। आदमी जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता है सबसे कम उसी की परवाह करता है। क्यों? कई दफा लगता है कि हम खुद के लिए अब काम नहीं करते। हम किसी अज्ञात भय से लड़ने के लिए काम करते हैं। हम जीने के पीछे ज़िंदगी बर्बाद करते हैं। कल से मैं सोच रहा हूं वो कौन सा दिन होगा जब हम जीना शुरू करेंगे। क्या हम गाड़ी टीवी फोन कम्यूटर कपड़े खरीदने के लिए जी रहे हैं? मैं तो सोच ही रहा हूं आप भी सोचिए कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है। उसे यूं जाया मत कीजिए। अपने प्यार को पहचानिए। उसके साथ समय बिताइए। जो अपने माँ बाप भाई बहन सागे संबंधी सब को छोड़ आप से रिश्ता जोड़ आपके सुख-दुख में शामिल होने का वादा किया उसके सुख-दुख को पूछिए तो सही। एक दिन अफसोस करने से बेहतर है सच को आज ही समझ लेना कि ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है। कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी पता भी नहीं चलेगा।

Ghar Ghar Ki Kahani

Meri Kahani Meri Zabani

प्यार की कहानी आज अकस्मात् जब यूं ही फ़ोन के कॉन्टेक्ट्स चेक कर रहा था तभी अचानक तुम्हारे नाम पर मेरी थिरकती हुई उंगलियां रुक-सी गयीं दिल की धड़कनों के साथ... तुम्हारा नंबर आज भी सेव्ड है मेरे फ़ोन लिस्ट में, कभी-कभी देखकर दिल को सुकून से भरने देता हूँ... तुम्हारी तस्वीरों को तो डिलीट कर दिया था मैंने… कमज़ोर कर रही थी मुझे, जकड़ रही थी मुझे तुम्हारी यादों में । दर्द बढ़ता ही जाता था तुम्हें सिर्फ तस्वीर में देखकर, तुम्हारा पास न होना बहुत कचोटता है मुझे कल ही मैंने तुम्हारा फेसबुक टाइमलाइन चेक किया था ख़ुद से बचाकर, तुम्हारी हर पोस्ट के कमेंट्स पढे थे मैंने, न जाने कितनों ने तारीफ़ में न जाने क्या-क्या लिख़ रखा था… ग़ुरूर सा हो रहा था अपनी पसन्द पर; डर था तुम्हारे भोलेपन पर और जलन सी भी हो रही थी... मगर तसल्ली सी है की तुम्हारी आदत आज भी वैसी ही, ठीक वैसी जैसे पहले थी.... ”किसी को भाव नहीं देती तुम… किसी को भी नहीं शायद याद हो तुम्हें लगभग दो साल पहले या यूं कहूं तो आने वाले साल में दो साल हो ही जाएंगे । मैं रात के आठ बजे ठिठुरते हुए सड़क से मेसेज करता था तुम्हें.. कभी बायां हाथ पॉकेट में तो कभी दायां, बड़ी ठण्ड थी उन दिनों… मैं ठीक से टाइप भी नहीं कर पा रहा था और तुम घर में बैठी मुझे लेट रिप्लाई दिया करती थी । मैं रात-रात भर ठण्ड में छत की सीढ़ियों पर बैठा तुमसे बातें करता था गिरती हुई ओस से जैसे दोस्ती हो गई थी मेरी । मैं रात भर जगा हूँ पहले तुम्हारे सोने के इंतज़ार में… जब तुम असाइनमेंट लिखा करती थी तब सुना है मैंने तुम्हारे पलटते हुए पन्ने की आवाज़ों को, उसपर चलती और घिसती हुई कलम को फिर तुम्हारे सो जाने के बाद तुम्हारी साँसे सुनी हैं मैंने, तुम्हारी करवटों को महसूस किया है, तुम्हारी चादर पर पड़ी सिलवटों को अपनी चादर पर डाल कर उससे तुम्हारे अक़्स बनाएं हैं मैंने… कभी फ़ोन नहीं काटा............ फिर तुम्हारे उठने से पहले अपनी नींद से लड़कर तुमको मेसेज भी तो किया है ” Good Morning ” ताकि जब उठो तो सबसे पहले मेरा प्यार रहे तुम्हारे मोबाइल स्क्रीन पर । “चाय” बनाते वक़्त सिर और कंधे के बीच में फ़ोन रखकर तुमसे बातें की हैं की तुम्हें मेरी हैडफ़ोन से आती हुई शोरगुल से ऐतराज़ था ख़ैर.... सोच रहा था तुम्हारा व्हाट्सप्प स्टेटस भी चेक कर लूं,लास्ट सीन भी चेक किये तो बहुत दिन हो गएं हैं,शायद तुम्हें याद नहीं होगा पिछली बार हमारी आखिरी बात भी इसी पर हुई थी मेरे लगातर मेसेज से तुम नाराज़ सी थी मगर अब तो खुश होगी ही तुम एक साल होने को हैं और मैंने तुम्हे तंग नहीं किया है और न कोई कोशिश की है… तुम्हें समझ में नहीं आता,क्या बार-बार मेसेज करते रहते हो… कोई काम-वाम है या नहीं, कोई मतलब हो तभी मेसेज किया करो” इस बार मैंने तुम्हें खुदको ब्लॉक करने का कोई मौका भी नहीं दिया, अपनी ख़ुद्दार मोहब्बत को और कितना ज़लील होने देता... कितना.... ? अब मैं तुम्हें कैसे समझाउं की जो मतलब से होता है वो व्यापार होता है प्यार नहीं, मैंने तो बस प्यार का मतलब जाना है किसी मतलब से प्यार नहीं किया तुम्हें..... तुम्हें कॉल नहीं करूंगा मैं… न ही तुमसे मिलने की कोई चाहत सी है, बस यूं ही आज तुम्हारे नाम का दीदार हुआ तो आँखों से दर्द सा कुछ रिसने लगा था… सो लिख़ दिया और ये भी किसी मेसेंजर के मेसेज की तरह क्रॉस-सर्किल में डाल दिया जाएगा, क्यों ...ऐसा ही होगा न (तुम्हारे लिए) आख़िरी बार अलविदा
Meri Kahani Meri Zabani

Hindi Story Baap Beta

एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम

करने के बाद थका-हारा घर पहुंचा दरवाजा

खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा

बेटा सोने की बजाय उसका इंतज़ार कर रहा

है अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा पापा क्या

मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ

हाँ -हाँ पूछो क्या पूछना है पिता ने कहा

बेटा पापा आप एक घंटे में कितना कमा

लेते हैं इससे तुम्हारा क्या लेना देना

तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे

हो पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया

बेटा मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ

प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना

कमाते हैं पिता ने गुस्से से उसकी तरफ

देखते हुए कहा नहीं बताऊंगा तुम जाकर

सो जाओ यह सुन बेटा दुखी हो गया

और वह अपने कमरे में चला गया

व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच

रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों

पूछा पर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह

थोडा शांत हुआ फिर वह उठ कर बेटे

के कमरे में गया और बोला क्या तुम सो

रहे हो नहीं जवाब आया मैं सोच रहा

था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट

दिया।दरअसल दिन भर के काम से मैं

बहुत थक गया था व्यक्ति ने कहा

सारी बेटा मै एक घंटे में १०० रूपया कमा

लेता हूँ थैंक यूं पापा बेटे ने ख़ुशी से बोला

और तेजी से उठकर अपनी आलमारी की

तरफ गया वहां से उसने अपने गोल्लक

तोड़े और ढेर सारे सिक्के निकाले और

धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा

पापा मेरे पास 100 रूपये हैं क्या

मैं आपसे आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ

प्लीज आप ये पैसे ले लोजिये और

कल घर जल्दी आ जाइये मैं आपके

साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ

दोस्तों इस तेज रफ़्तार जीवन में

हम कई बार खुद को इतना व्यस्त

कर लेते हैं कि उन लोगो के

लिए ही समय नहीं निकाल पाते

जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा

अहमयित रखते हैं इसलिए हमें ध्यान

रखना होगा कि इस आपा-धापी भरी

जिंदगी में भी हम अपने माँ-बाप जीवन

साथी बच्चों और अभिन्न मित्रों के

लिए समय निकालें वरना एक दिन हमें

अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें

पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया !!

Do Bhai Ki Kahani

दो भाई समुद्र के किनारे टहल रहे थे

दोनों के बीच किसी बात को लेकर कोई

बहस हो गई ! बड़े भाई ने छोटे भाई की

थप्पड़ मार दिया ! छोटे भाई ने कुछ नहीं

कहा ! फिर रेत पर लिखा -आज मेरे भाई

ने मुझे मारा ! अगले दोनों फिर से समुंदर

किनारे घुमने के लिए निकले ! छोटा भाई

समुन्द्र में नहाने लगा ! और अचानक डूबने

लगा ! बड़े भाई ने उसे बचाया ! छोटे भाई ने

पत्थर पे लिखा ! आज मेरे भाई ने मुझे बचाया !

बड़े भाई ने पुचा ! जब मेने तुझे मारा था !

तब तुमने रेत पर लिखा ! और आज तुम्हे बचाया

तो पत्थर पे लिखा क्यों ! रोते हुए छोटे भाई ने

कहा -जब कोई हमे दुःख दे तो हमे रेत पर

लिखना चाहिए ! ताकि वो जल्दी मिट जाए !

लेकिन जब कोई हमारे लिए अच्छा करता है

तो पत्थर पर लिखना चाहिए !जो मिट ना पाए !

मतलब ये है की हमे अपने साथ हुई बुरी घटना

को भूल जाना चाहिए ! जब की अच्छी चाटना को

सदेव {हमेशा} याद रखना चाहिए !!

आदमी गुस्से हो तो उसे प्यार की जरूरत होती है

अगर हम भी अपना गुस्सा दिखाए तो बुरा अंजाम होता है !!

Ek Dard Bhari Prem Kahaani

!!एक प्रेमी की दर्द भरी बेवफाई की कहानी!!

एक अंधी लड़की हमेशा इस सोच में डूबी रहती थी

की कोई मुझे प्यार करेगा की नहीं

मुझे किसी का प्यार मिलेगा की नहीं

एक बार राह चलते चलते वह कहीं गिर पड़ी

उसे एक लड़के ने उठाया सहारा दिया और उसे

लेकर उसकी घर की तरफ चल पड़ा

इस दरम्यान उनके मध्य बहुत सी बातें होती है

घर छोड़ते वक्त लड़का लड़की से कहता है अगर

मैं तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बनना चाहूँ तो

क्या तुम स्वीकार करोगीमैं तुम्हे बहुत प्यार दूंगा

और बहुत प्यार से रखूँगा(22) साल से लड़की जिस

दो लफ्ज़ को वो सुनना चाहती थीवो लफ्ज़ इस लड़के

से सुन बरबस उसकी आँखों में आंसू आ गए

और कहा ये जानते हुए भी की मेरी आँखें नहीं हैं

फिर भीलड़के ने कहा : हाँ मैं तुम्हे

तुम्हारे अस्तित्व चाहने लगा हूँ

इस पर लड़की रोने लगी और बोली :

काश ! अगर मै तुम्हे देख पाती तो तुम्ही से

शादी करतीकुछ साल बीत गए और उस

लड़के ने उस लड़कीकी आँखों का ओपरेशन कराया

ओपरेशन कामयाब हुआ।

डॉक्टर जब उसकी आँखों से पट्टी उतारने लगते है

तो लड़की कहती है की सबसे पहले मुझे उस

इंसान को चेहरा दिखाइये जिसकी वजह

से मै अब दुनिया को देखने जा रही हु

डॉक्टर उस लड़के को उस लड़की के सामने

लाते है और लड़की की आँखों की पट्टी उतारते है

लड़की देखती है की वो लड़का भी अँधा है

तब लड़का कहता है क्या तुम मुझसे शादी करोगी

लड़की जवाब देती है मैंने मेरी ज़िन्दगी अँधेरे में

गुजारी हैमुझे पता है अँधापन कैसा होता है

मै फिर से मेरीज़िन्दगी को अंधेपन में नहीं

डाल सकतीमै तुमसे शादी नहीं कर सकती

तब लड़का उस लड़की को एक पत्र देकर चला जाता है।

जब लड़की उस पत्र को देखती है तो उसमे लिखा होता है

________ऐ बेवफा ________

तुम अपना ख्याल रखने के साथ साथ मेरी इन आँखों

का भी ख्याल रखना" तुम्हारा प्रेमी

Ek Dard Bhari Prem Kahaani

Best Story

स्टेशन से एक 18-19 वर्षीय खूबसूरत लड़की चढ़ी जिसका

मेरे सामने वाली बर्थ पर रिजर्वेशन था उसके पापा उसे छोड़ने आये थे।

अपनी सीट पर वैठ जाने के बादउसने अपने पिता से कहा

डैडी आप जाइये अबट्रेन तो दस मिनटखड़ी रहेगी यहाँ दस

मिनटका स्टॉपेज है।उसके पिता ने उदासी भरे शब्दों केसाथ

कहा "कोई बात नहीं बेटा10 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा

अब तो तुम्हारे क्लासेज सुरु हो रहेहै काफी दिन बाद आओगी तुम।

लड़की शायद दिल्ली में अध्ययन कर रही होगी क्योंकि उम्र

और वेशभूषा से विवाहित नहीं लग रही थी ।ट्रेन चलने लगी

तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता कोहाथ हिलाकर बाय कहा।

बाय डैडी अरे ये क्या हुआ आपको !अरे नहीं प्लीज"पिता की आँखों

में आंसू थे।ट्रेन अपनी रफ्तार पकडती जारहीथी और पिता रुमाल से

आंसू पोंछतेहुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे।लड़की ने फोन लगाया"

हेलो मम्मीये क्या है यार!जैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई डैडी तो रोने लग गये

अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको स्टेसन आने के लिए नहीं कहूँगी

भले अकेली आजाउंगी ऑटो से अच्छा बायपहुँचते ही कॉल करुँगी

डैडी का खयाल रखना ओके।"मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ

इसआशा से देखता रहा कि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों

से मुझे अश्रुधारा दिख जाए परमुझे निराशा ही हाथ लगीउन आँखों

में नमी भी नहीं थी।कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसीको फोन लगाया-

"हेलो जानू कैसे होमैं ट्रेन में बैठ गई हूँहाँ अभी चली है

यहाँ सेकल अर्ली-मोर्निंग दिल्ली पहुँचजाउंगी लेने आजाना लव यूटू यार

मैंने भी बहुत मिस किया तुम्हे बस कुछ घंटेऔर सब्र करलो कल तो पहुँच हीजाऊँगी।"

मैं मानता हूँ कि आज के युगमें बच्चों को उच्चशिक्षा हेतु बाहर भेजना आवश्यक है

पर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि इसके कई दुष्परिणाम भी हैं।

मैं यह नहीं कह रहा कि बाहर पढने वाले सारे लड़के लड़कियां ऐंसे होते हैं।

मैं सिर्फ उनकी बात कर रहा हूँजो पाश्चात्य संस्कृति की इस हवामें अपने

कदम बहकने से नहीं रोकपाते और उनको माता- पिताभाई-बहन किसी का प्यार

याद नहीं रह जाता सिर्फ एक प्यार ही याद रहता है!!!वो ये भी भूल जाते है

कि उनकेमाता- पिता ने कैसे-कैसे साधनों कोजुटा कर और किन सपनों

कोसंजो कर अपने दिल के टुकड़े को अपने से दूर पड़ने भेजा है।

लेकिन बच्चे के कदम बहकने से उसकी परिणति क्या होती है !!

Dahej Ki Bimaari

Dahej ki bimaari

Anajaane Mein Ham Use Hee Thes Pahunchate Hain Jo Hamaaree Madad

एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा

उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था !

अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस लड़के का एक्सीडेंट हुआ है !

उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं !

डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला !

आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते !

आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी !

अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे!

डॉक्टर ने विनम्रता कहा -आई ऍम सॉरी -

मैं हॉस्पिटल में नहीं था और कॉल आने के बाद जितना

तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ कृपया अब आप लोग शांत

हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ !शांत हो जाइये लड़के का

पिता गुस्से में बोला क्या इस समय अगर आपका बेटा होता

तो आप शांत रहते अगर किसी की लापरवाही की वजह से

आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे पिता बोले ही जा रहा था !

भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा आप लोग दुआ कीजिये

मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ !और ऐसा कहते हुए डॉक्टर

ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया !

बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था !

सलाह देना आसान होता है जिस पर बीतती है वही जानता है !

करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला

भगवान् का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है !

यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और

डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे !

वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा उसे डिस्चार्ज कब करेंगे !

पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से

वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा !

ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो

मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता लड़के के पिता ने नर्स से कहा !

नर्स रोटी हुई बोली आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की मौत हो गयी

और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका

अंतिम संस्कार करने जा रहे थे ! और बेचारे अब आपके

बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम

संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं !

यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए

और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया !

फ्रेंड्सदोस्तों बहुत बार हम किसी सिचुएशन के बारे में अच्छी

तरह जाने बिना ही उसपर रियेक्ट कर देते हैं ! पर हमें चाहिए कि हम

खुद पर नियंत्रण रखें और पूरी स्थिति को समझे बिना कोई

नकारात्मक प्रतिक्रिया न दें। वर्ना अनजाने में हम उसे ही

ठेस पहुंचा सकते हैं जो हमारा ही भला सोच रहा हो !!

Kabuliwala By Rabindranath Tagore

मेरी पाँच बरस की बेटी मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली "बाबूजी रामदयाल दरबान है न वह 'काक' को 'कौआ' कहता है। वह कुछ जानता नहीं न बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो बाबूजी भोला कहता है - आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी भोला झूठ बोलता है है न?" और फिर वह खेल में लग गई।

मेरा घर सड़क के किनारे है। एक दिन मिनी मेरे कमरे में खेल रही थी। अचानक वह खेल छोड़कर खिड़की के पास दौड़ी गई और बड़े ज़ोर से चिल्लाने लगी "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले!"

कँधे पर मेवों की झोली लटकाए हाथ में अँगूर की पिटारी लिए एक लंबा सा काबुली धीमी चाल से सड़क पर जा रहा था। जैसे ही वह मकान की ओर आने लगा मिनी जान लेकर भीतर भाग गई। उसे डर लगा कि कहीं वह उसे पकड़ न ले जाए। उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि काबुलीवाले की झोली के अंदर तलाश करने पर उस जैसे और भी दो-चार बच्चे मिल सकते हैं।

काबुली ने मुसकराते हुए मुझे सलाम किया। मैंने उससे कुछ सौदा खरीदा। फिर वह बोला "बाबू साहब आप की बेटी कहाँ गई?"

मैंने मिनी के मन से डर दूर करने के लिए उसे बुलवा लिया। काबुली ने झोली से किशमिश और बादाम निकालकर मिनी को देना चाहा पर उसने कुछ न लिया। डरकर वह मेरे घुटनों से चिपट गई। काबुली से उसका पहला परिचय इस तरह हुआ। कुछ दिन बाद किसी ज़रुरी काम से मैं बाहर जा रहा था। देखा कि मिनी काबुली से खूब बातें कर रही है और काबुली मुसकराता हुआ सुन रहा है। मिनी की झोली बादाम-किशमिश से भरी हुई थी। मैंने काबुली को अठन्नी देते हुए कहा "इसे यह सब क्यों दे दिया? अब मत देना।" फिर मैं बाहर चला गया।

कुछ देर तक काबुली मिनी से बातें करता रहा। जाते समय वह अठन्नी मिनी की झोली में डालता गया। जब मैं घर लौटा तो देखा कि मिनी की माँ काबुली से अठन्नी लेने के कारण उस पर खूब गुस्सा हो रही है।

काबुली प्रतिदिन आता रहा। उसने किशमिश बादाम दे-देकर मिनी के छोटे से ह्रदय पर काफ़ी अधिकार जमा लिया था। दोनों में बहुत-बहुत बातें होतीं और वे खूब हँसते। रहमत काबुली को देखते ही मेरी बेटी हँसती हुई पूछती "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले! तुम्हारी झोली में क्या है?"

रहमत हँसता हुआ कहता "हाथी।" फिर वह मिनी से कहता "तुम ससुराल कब जाओगी?"

इस पर उलटे वह रहमत से पूछती "तुम ससुराल कब जाओगे?"

रहमत अपना मोटा घूँसा तानकर कहता "हम ससुर को मारेगा।" इस पर मिनी खूब हँसती।

हर साल सरदियों के अंत में काबुली अपने देश चला जाता। जाने से पहले वह सब लोगों से पैसा वसूल करने में लगा रहता। उसे घर-घर घूमना पड़ता मगर फिर भी प्रतिदिन वह मिनी से एक बार मिल जाता।

एक दिन सवेरे मैं अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था। ठीक उसी समय सड़क पर बड़े ज़ोर का शोर सुनाई दिया। देखा तो अपने उस रहमत को दो सिपाही बाँधे लिए जा रहे हैं। रहमत के कुर्ते पर खून के दाग हैं और सिपाही के हाथ में खून से सना हुआ छुरा।

कुछ सिपाही से और कुछ रहमत के मुँह से सुना कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक आदमी ने रहमत से एक चादर खरीदी। उसके कुछ रुपए उस पर बाकी थे जिन्हें देने से उसने इनकार कर दिया था। बस इसी पर दोनों में बात बढ़ गई और काबुली ने उसे छुरा मार दिया।

इतने में "काबुलीवाले काबुलीवाले" कहती हुई मिनी घर से निकल आई। रहमत का चेहरा क्षणभर के लिए खिल उठा। मिनी ने आते ही पूछा ''तुम ससुराल जाओगे?" रहमत ने हँसकर कहा "हाँ वहीं तो जा रहा हूँ।"

रहमत को लगा कि मिनी उसके उत्तर से प्रसन्न नहीं हुई। तब उसने घूँसा दिखाकर कहा "ससुर को मारता पर क्या करुँ हाथ बँधे हुए हैं।"

छुरा चलाने के अपराध में रहमत को कई साल की सज़ा हो गई।

काबुली का ख्याल धीरे-धीरे मेरे मन से बिलकुल उतर गया और मिनी भी उसे भूल गई।

कई साल बीत गए।

आज मेरी मिनी का विवाह है। लोग आ-जा रहे हैं। मैं अपने कमरे में बैठा हुआ खर्च का हिसाब लिख रहा था। इतने में रहमत सलाम करके एक ओर खड़ा हो गया।

पहले तो मैं उसे पहचान ही न सका। उसके पास न तो झोली थी और न चेहरे पर पहले जैसी खुशी। अंत में उसकी ओर ध्यान से देखकर पहचाना कि यह तो रहमत है।

मैंने पूछा "क्यों रहमत कब आए?"

"कल ही शाम को जेल से छूटा हूँ" उसने बताया।

मैंने उससे कहा "आज हमारे घर में एक जरुरी काम है मैं उसमें लगा हुआ हूँ। आज तुम जाओ फिर आना।"

वह उदास होकर जाने लगा। दरवाजे़ के पास रुककर बोला "ज़रा बच्ची को नहीं देख सकता?"

शायद उसे यही विश्वास था कि मिनी अब भी वैसी ही बच्ची बनी हुई है। वह अब भी पहले की तरह "काबुलीवाले ओ काबुलीवाले" चिल्लाती हुई दौड़ी चली आएगी। उन दोनों की उस पुरानी हँसी और बातचीत में किसी तरह की रुकावट न होगी। मैंने कहा "आज घर में बहुत काम है। आज उससे मिलना न हो सकेगा।"

वह कुछ उदास हो गया और सलाम करके दरवाज़े से बाहर निकल गया।

मैं सोच ही रहा था कि उसे वापस बुलाऊँ। इतने मे वह स्वयं ही लौट आया और बोला "'यह थोड़ा सा मेवा बच्ची के लिए लाया था। उसको दे दीजिएगा।"

मैने उसे पैसे देने चाहे पर उसने कहा 'आपकी बहुत मेहरबानी है बाबू साहब! पैसे रहने दीजिए।' फिर ज़रा ठहरकर बोला "आपकी जैसी मेरी भी एक बेटी हैं। मैं उसकी याद कर-करके आपकी बच्ची के लिए थोड़ा-सा मेवा ले आया करता हूँ। मैं यहाँ सौदा बेचने नहीं आता।"

उसने अपने कुरते की जेब में हाथ डालकर एक मैला-कुचैला मुड़ा हुआ कागज का टुकड़ा निकला औऱ बड़े जतन से उसकी चारों तह खोलकर दोनो हाथों से उसे फैलाकर मेरी मेज पर रख दिया। देखा कि कागज के उस टुकड़े पर एक नन्हें से हाथ के छोटे-से पंजे की छाप हैं। हाथ में थोड़ी-सी कालिख लगाकर कागज़ पर उसी की छाप ले ली गई थी। अपनी बेटी इस याद को छाती से लगाकर रहमत हर साल कलकत्ते के गली-कूचों में सौदा बेचने के लिए आता है।

देखकर मेरी आँखें भर आईं। सबकुछ भूलकर मैने उसी समय मिनी को बाहर बुलाया। विवाह की पूरी पोशाक और गहनें पहने मिनी शरम से सिकुड़ी मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

उसे देखकर रहमत काबुली पहले तो सकपका गया। उससे पहले जैसी बातचीत न करते बना। बाद में वह हँसते हुए बोला "लल्ली! सास के घर जा रही हैं क्या?"

मिनी अब सास का अर्थ समझने लगी थी। मारे शरम के उसका मुँह लाल हो उठा।

मिनी के चले जाने पर एक गहरी साँस भरकर रहमत ज़मीन पर बैठ गया। उसकी समझ में यह बात एकाएक स्पष्ट हो उठी कि उसकी बेटी भी इतने दिनों में बड़ी हो गई होगी। इन आठ वर्षों में उसका क्या हुआ होगा कौन जाने? वह उसकी याद में खो गया।

मैने कुछ रुपए निकालकर उसके हाथ में रख दिए और कहा "रहमत! तुम अपनी बेटी के पास देश चले जाओ।"

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Spiritual Story Of Inspiration In Hindi

एक बार एक राजा के राज्य में महामारी फैल गयी। चारो ओर लोग मरने लगे। राजा ने इसे रोकने के लिये बहुत सारे उपाय करवाये मगर कुछ असर न हुआ और लोग मरते रहे। दुखी राजा ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। तभी अचानक आकाशवाणी हुई।

आसमान से आवाज़ आयी कि हे राजा तुम्हारी राजधानी के बीचो बीच जो पुराना सूखा कुंआ है अगर अमावस्या की रात को राज्य के प्रत्येक घर से एक एक बाल्टी दूध उस कुएं में डाला जाये तो अगली ही सुबह ये महामारी समाप्त हो जायेगी और लोगों का मरना बन्द हो जायेगा।

राजा ने तुरन्त ही पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी कि महामारी से बचने के लिए अमावस्या की रात को हर घर से कुएं में एक-एक बाल्टी दूध डाला जाना अनिवार्य है । अमावस्या की रात जब लोगों को कुएं में दूध डालना था उसी रात राज्य में रहने वाली एक चालाक एवं कंजूस बुढ़िया ने सोंचा कि सारे लोग तो कुंए में दूध डालेंगे अगर मै अकेली एक बाल्टी पानी डाल दूं तो किसी को क्या पता चलेगा।

इसी विचार से उस कंजूस बुढ़िया ने रात में चुपचाप एक बाल्टी पानी कुंए में डाल दिया। अगले दिन जब सुबह हुई तो लोग वैसे ही मर रहे थे। कुछ भी नहीं बदला था क्योंकि महामारी समाप्त नहीं हुयी थी। राजा ने जब कुंए के पास जाकर इसका कारण जानना चाहा तो उसने देखा कि सारा कुंआ पानी से भरा हुआ है। दूध की एक बूंद भी वहां नहीं थी।

राजा समझ गया कि इसी कारण से महामारी दूर नहीं हुई और लोग अभी भी मर रहे हैं। दरअसल ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि जो विचार उस बुढ़िया के मन में आया था वही विचार पूरे राज्य के लोगों के मन में आ गया और किसी ने भी कुंए में दूध नहीं डाला।

मित्रों जैसा इस कहानी में हुआ वैसा ही हमारे जीवन में भी होता है। जब भी कोई ऐसा काम आता है जिसे बहुत सारे लोगों को मिल कर करना होता है तो अक्सर हम अपनी जिम्मेदारियों से यह सोच कर पीछे हट जाते हैं कि कोई न कोई तो कर ही देगा

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Best Hindi Story

एक राजमहल में कामवाली और उसका बेटा काम करते थे

एक दिन राजमहल में कामवाली के बेटे को हीरा मिलता है

वो माँ को बताता हैकामवाली होशियारी से वो हीरा बाहर

फेककर कहती है ये कांच है हीरा नहीं

कामवाली घर जाते वक्त चुपके से वो हीरा उठाके ले जाती है

वह सुनार के पास जाती है

सुनार समझ जाता है इसको कही मिला होगा

ये असली या नकली पता नही इसलिए पुछने आ गई

सुनार भी होशियारीसें वो हीरा बाहर फेंक कर कहता है

ये कांच है हीरा नहींकामवाली लौट जाती है

सुनार वो हीरा चुपके सेे उठाकर जौहरी के पास ले जाता है

जौहरी हीरा पहचान लेता है

अनमोल हीरा देखकर उसकी नियत बदल जाती है

वो भी हीरा बाहर फेंक कर कहता है ये कांच है हीरा नहीं

जैसे ही जौहरी हीरा बाहर फेंकता है

उसके टुकडे टुकडे हो जाते है

🌹यह सब एक राहगीर निहार रहा था

वह हीरे के पास जाकर पूछता है

कामवाली और सुनार ने दो बार तुम्हे फेंका

तब तो तूम नही टूटे फिर अब कैसे टूटे?

हीरा बोला

कामवाली और सुनार ने दो बार मुझे फेंका

क्योंकि

वो मेरी असलियत से अनजान थे

लेकिन

जौहरी तो मेरी असलियत जानता था

तब भी उसने मुझे बाहर फेंक दिया

यह दुःख मै सहन न कर सका

इसलिए मै टूट गया

ऐसा ही

हम मनुष्यों के साथ भी होता है !!!

जो लोग आपको जानते है

उसके बावजुत भी आपका दिल दुःखाते है

तब यह बात आप सहन नही कर पाते!

इसलिए

कभी भी अपने स्वार्थ के लिए करीबियों का दिल ना तोड़ें!!!

हमारे आसपास भी

बहुत से लोग हीरे जैसे होते है !

उनकी दिल और भावनाओं को

कभी भी मत दुखाएंऔर ना ही

उनके अच्छे गूणों के टुकड़े करिये!!!

Best hindi story

Do Bhaiyon Ka Pyar

दो भाई थे ।आपस में बहुत प्यार था। खेत अलग अलग थे आजु बाजू।बड़े भाई शादीशुदा था । छोटा अकेला ।एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई से खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती तो अच्छी हुई इस बार आनाज भी बहुत हुआ । मैं तो अकेला हूँ । बड़े भाई की तो गृहस्थी है । मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है ।

भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।उन्हें जरुरत ज्यादा है।ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है।बड़ा भाई भोजन करके आता है । उसके आते छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।

भाई के जाते ही वह विचरता है ।मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा हैभाई को तो अभी गृहस्थी जमाना हैउसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है मै इतने अनाज का क्या करूँगाऐसा विचारकर वो 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया। दोनों भाई के मन में हर्ष थाअनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था। सोच अच्छी रखो प्रेम बढेंगा !!दुनिया बदल जायेंगी !!

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Ek Ladka Aur Ek Ladki Ki Love Story

Full Heart Touching Love Story Of The Day In Hindi. Ek Ladka Aur Ek Ladki Ek Dusre Se Bahut Pyar Karte The… Wo Humesha Ek Saath Jeene Marne Ki Kasme Khaya Karte The…. Par Wo Dono Alg Jati Ke They. Ladki Janti Thi Ki Uske Mummy Papa (Mom Dad) Kabhi Uske Pyar Ko Kabul Nahi Karengre…. Isliye Usne Us Ladke Se Baat Kar KUsko Bhul Jane Ko Kaha…. Ladke Ne Usko Bahut Samjhane KiKoshish Ki, Par Wo Ladki Nahi Mani.. Wo Apne Dil Par Pattar Rakh Kar Us Ladke Se Alag Ho Gayi… Par Usko Bhul Jana Uss Ladki K BasMai Nahi Tha… Kyuki Wo Uss Ladke Ko Apni Jaan Se Bhi Jayada Pyar Karti Thi… Par Wo Majbur Thi Kyuki Wo Dono Alag Jati Ke They. Aise Hi Kuchh Mahine Beet Gaye… Ek Din Achanak, Wo Ladka Us Ladki K Ghar ParAaya Or Usko Bola Ki, Tum Mujhe Bhul Gayi, Par Mai Tumko Nahi Bhula Paya….. Please Ye Latter Padho…. Ladki Ne Wo Latter Hath Mai Lete Hue Us Ladke Ko Kaha Ki, Jaan KyaMain Tumko Hug Kar Sakti Hu….??? Please (Aur Uski Aankho Me Aasu Aa Gaye) Ladka Muskurate Hue Bola Ki Kyu Nahi…. Ladki Ne Usko Rote Rote Gale Lagaya Aur Boli Ki Please Mujhe Maaf Kar Do…. I LOVE YOU, Ladke Ne Mukurate Hue Usko Bola, I LOVe YOU TOO, Mujhe Der Ho Rahi H Take Care… Aur Wo Ladka Waha Se Chala Gaya, Us Ladki Ne Wo Letter KholaAur Padhrne Lagi… Usme Likha Tha…. “Jaan Main Tumhe Pagalo Ki TarahMiss Karta Hu, Aur Kal MujheMare Hue Pura Ek Saal Ho Jayega, ILOVEYOU MY SWEET GIRL. Please Kal Meri Kabar Par Phool Dalne Aa Jana… Ye Sub Padh Kar Ladki Rone Lagi… Wo Puri Raat So Nahi Payi… Aru Agle Din Wo Uske Kabar Pe Phool Dal K Kabristan Se Rote Hue BaharAayi, Usko Aapne Par Bahut Pachhtawa Ho Raha Tha…Ke Uski Wajah Se Us Ladke Ki Jaan Gayi , Kash Wo Us Waqt Us Ladke Se Breakup Na Kati, To Sayad Aaj WoLadka Jinda Hota… Ye Sochte Sochte Wo Ladki Nadi(River) K Pass Jaa Rahi Thi Ki Tabhi Usko Wo Ladka Wapas Muskurata Huaa Dikha, Wo Ladki Pagalo Ki Tarah Rote Rote Uske Pass Bhaagi… Aur Uska Hath Pakad Lati H.. Aas Pass K Log Us Ladki Ko Dekh KChilla Rahe The, Lakin Ladki Ne Pichhe Nahi Dekha, Wo To Us Ki Aanko Mai Kho Chuki Thi Aur Log Chilla Chilla Kar Kah Rahe The Are Koi Roko Is Ladki Ko, Pani Bahut Tez H Aur Ye Doob K Mar Jayegi…. Shayad Kuchh Mohabbatein Aisi Bhi Hoti H…..........
Ek Ladka Aur Ek Ladki ki love story

Hindi Story On Envy

एक बार एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े - बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। जो शिष्य जितने व्यक्तियों से ईर्ष्या करता है वह उतने ज्यादा आलू लेकर आए।
अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए किसी के पास 4 आलू थे तो किसी के पास 6 तो किसी के पास 8 आलू थे । गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं खाते-पीते सोते-जागते ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ भी समझ में नहीं आया लेकिन वे क्या करते गुरु का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे - तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे।
गुरु ने कहा यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था। जब मात्र सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या करते हैं उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा। यह ईर्ष्या आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है ठीक इन आलूओं की तरह इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो।
इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा। यह सुनकर सभी शिष्यों ने आलुओं के साथ - साथ अपने मन से ईर्ष्या को भी निकाल फेंका। अतः आप सब भी इस ईर्ष्या रूपी दानव को अपने मन से निकाल फेंके और अपने मन को साफ़ सुथरा और हल्का कर दे फिर देखिएगा मन में अच्छे अच्छे ख्याल ही आयेंगे और सभी काम खुद ब खुद अच्छे होने लगेंगे ।

Hindi Stori Ek Ladka

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए कुछ सामान बेचा करता थाएक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थीउसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा उससे खाना मांग लेगापहला दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला जिसे देखकर वह घबरा गयाऔर बजाय खाने के उसनेपानी का एक गिलास माँगा लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया कितने पैसे दूं लड़के ने पूछा पैसे किस बात के लड़की ने जवाव में कहामाँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिएतो फिर मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँजैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा उसे न केवल शारीरिक तौर परशक्ति भी मिल चुकी थी बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयीलोकलडॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दियाबड़े डाक्टर को मरीज देखने के लिए बुलाया गयाजैसे ही उसने लड़की के कस्बे का नाम सुना उसकी आँखों में चमक आ गयीवह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गयाउसने उस लड़की को देखा एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वहउसकी जान बचाने के लिएजमीन-आसमान एक कर देगाउसकी मेहनत और लग्न रंग लायीऔर उस लड़की कि जान बच गयीडॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उसलड़की के इलाज का बिल लियाउस बिल के कौने में एक नोट लिखा औरउसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरागयीउसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगीफिर भी उसने धीरे से बिल खोला रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पैन से लिखे नोट पर गयीजहाँ लिखा था एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका हैनीचे उस नेक डॉक्टर के हस्ताक्षर थेख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवादआपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों के द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका हैअगर आप दूसरों परअच्छाई करोगे तो आपके साथ भी अच्छा ही होगा !!

Dil Ko Chhoo Jane Wali Hindi Kahani

दिल छू लेने वाली कहानी

एक बार जरूर पढे

एक बेरोजगार बेटे की माँ

उसकी जेब रोज टटोलती थी

बेटा चोरी से कभी कभी देख लेता

और सोचता काश नौकरी मिल जाती

माँ की पैसो की प्यास बुझा पता।

पर माँ तो जेब में सल्फास की

गोलिया ढूँढती थी कही बेटा तंग

हो कर खा न ले।

बेटा सोचता था बेरोजगार होना भी

एक अभिशाप है।

शायद दुनिया में नौकरी न

करना भी सब से बड़ा पाप है।

माँ की भावनाओ को वो न समझ

पाया और एक दिन बेरोजगारी से तंग

होकर सल्फास की गोली ले आया वो

सोचा माँ रोज जेब टटोलती है

पैसा नहीं पाती है और शर्म से

कुछ नहीं बोलती है।

शाम को बेटे ने जो ही गोली को

होठो से लगाया

तो दोस्तों माँ का दिल बड़े जोर से

धड्का माँ का दिल जल उठा और

ऊबाल खाया

माँ दौड़ी दौडी गई बेटे के पास

और बोली

क्या हुआ बेटा क्यों उदास है

तू आज बहुत दुखी

है मुझे ये अहसास है।

मेरा सब कुछ तू ही है

बेटा ये याद रखना तू

मेरा अनमोल धन है

तेरा कोई मोल नहीं

इस दुनिया में तेरे से बढ़ कर

मेरे लिए कुछ और नहीं

माँ रो कर बोली

जिस दिन तुम हमसे

रिश्ता तोड़ दोगे उस दिन

हम भी दुनिया छोड़ देगे।

बेटा भी इतने पर रो पड़ा और

बोला माँ आप हमें इतना प्यार

करती हो तो सच बोलना आप

मेरे जेब में क्या देखती थी।

माँ और जोर से रो पड़ी बोली

बेरोजगारी क्या है ये बेटा मै

जानती हूँ तेरे रग रग को

पहचानती हूँ कही

नादानी में कुछ कर न ले

कही खा कर कुछ

गोलिया अपनी जान ना देना दे

तेरे जेब में मै

रोज उन गोलियों को ढूढ़टी थी

बेटा और जोर से रो पड़ा।

माँ बोली आज तेरा जेब देखना

भूल गई बेटा

मेरा दिल अभी बहुत जोर से

भपका इस लिए तेरे

पास आई हूँ और जेब की तरफ

जैसे ही माँ ने हाथ बढाया

बेटा रोते हुए बोला

माँ तू जो ढूढ़ रही है

यहाँ है मेरे मुठी में

आज जो थोडा सा देर कर देती

तो मुझे शायद नहीं पाती

मै भी कितना पागल हूँ

मै सोचता था माँ जेब मै पैसे देखती है

और वो ख़ुशी मै आप को 1 महीना

हो गया नहीं दे पाया इस लिए

माँ मैंने ये कदम उठाया।

माँ तो माँ ही होती है दोस्तों

ये बात याद रखना अगर वो कुछ

गलत भी आप के साथ कर रही है

तो उसमे भी आप की भलाई ही होगी

ये मेरा विश्वास है दोस्तो

आपकी माँ से ज्यादा आपकी परेशानी

कोई और नही समझ सकता

अगर आप के जीवन मे कोई भी

परेशानी है तो प्लीज कोई गलत कदम

उठाने से पहले माँ को अपनी परेशानी

बताये

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Heart Touching

एक छोटा सा बच्चा अपने दोनों हाथों में एक एक एप्पल लेकर खड़ा था. ☺ . उसके पापा ने मुस्कराते हुए कहा कि"बेटा एक एप्पल मुझे दे दो"😇. . इतना सुनते ही उस बच्चे ने एक एप्पल को दांतो से कुतर लिया.😑.. . उसके पापा कुछ बोल पाते उसके पहले ही उसने अपने दूसरे एप्पल को भी दांतों से कुतर लिया. ☺ . अपने छोटे से बेटे की इस हरकत को देखकर 😢 बाप ठगा सा रह गया और उसके चेहरे पर मुस्कान गायब हो गई थी.... 😱 . तभी उसके बेटे ने अपने नन्हे हाथ आगे की ओर बढाते हुए पापा को कहा.... 😊 . "पापा ये लो ये वाला ज्यादा मीठा है... 😃 . शायद हम कभी कभी पूरी बात जाने बिना निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं.... ☺ . किसी ने क्या खूब लिखा है: नजर का आपरेशन तो सम्भव है, पर नजरिये का नही..!!! 😉 . फर्क सिर्फ सोच का होता है...... 😢 . वरना , 😃 वही सीढ़ियां ऊपर भी जाती है , और निचे भी आती हैं ☺
Heart Touching

Hindi Kahaniyan

एक सेठ जी थे -

जिनके पास काफी दौलत थी

सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी

परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी शराबी निकल गया

जिससे सब धन समाप्त हो गया

बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो

मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?

सेठ जी कहते कि

"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे"

एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि तभी उनका दामाद घर आ गया

सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये

यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू जिनमे अर्शफिया थी दिये

दामाद लड्डू लेकर घर से चला

दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया

उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगेमिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया

सेठ जी लड्डू लेकर घर आये सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया

सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली

सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा

देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में

इसलिये कहते हैं कि भाग्य से

ज्यादा

और

समय

से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो

झूला जितना पीछे जाता है उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।

सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।

जिंदगी का झूला पीछे जाए तो डरो मत वह आगे भी आएगा।

बहुत ही खूबसूरत लाईनें

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये

कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता!

डरिये वक़्त की मार सेबुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता!

अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के बिना नही जीत सकती!

बीरबल अकलमंद होने के बावजूदकभी बादशाह नही बन सका!!

""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!

इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "

Ek Maa Ki Kahani

एक माँ चटाई पर लेटी आराम से सो रही थी मीठे सपनों से अपने मन को भिगो रही थी तभी उसका बच्चा यूँ ही घूमते हुये समीप आया माँ के तन को छूकर हल्के हल्के से हिलाया माँ अलसाई सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी तभी उस नन्हें ने हलवा खाने की जिद कर दी माँ ने उसे पुचकारा और अपनी गोदी में ले लिया फिर पास ही रखे ईटों के चूल्हे का रुख किया फिर उसने चूल्हे पर एक छोटी सी कढाई रख दी और आग जलाकर कुछ देर मुन्ने को ताकती रही फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी क्या सुनोगे तब तक कोई परियों बाली कहानी मुन्ने की आंखें अचानक खुशी से थी खिल गयी जैसे उसको कोई मुँह मांगी मुराद ही मिल गयी माँ उबलते हुये पानी में कल्छी ही चलती रही परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही फिर वो बच्चा उन परियों में ही जैसे खो गया चटाई पर बैठे बैठे ही लेटा और फिर वहीं सो गया माँ ने उसे गोद में ले लिया और धीरे से मुस्कायी फिर न जाने क्यूँ उसकी आंख भर आयी जैसा दिख रहा था वहां पर सब वैसा नहीं था घर में रोटी की खातिर एक पैसा भी नहीं था राशन के डिब्बों में तो बस सन्नाटा पसरा था कुछ बनाने के लिए घर में कहाँ कुछ धरा था? न जाने कब से घर में चूल्हा ही नहीं जला था चूल्हा भी तो माँ के आंसुओं से ही बुझा था फिर मुन्ने को वो बेचारी हलवा कहां से खिलाती अपने जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती अपनी मजबूरी उस नन्हें मन को मां कैसे समझाती या फिर फालतू में ही मुन्नें पर क्यों झुंझलाती? हलवे की बात वो कहानी में टालती रही जब तक वो सोया नहीं बस पानी उबालती रही

Story Of The Day In Hindi

मेरे एक बहुत अच्छ दोस्त हैे जो एक स्कूल के प्रिंसिपल हैं शिक्षा के क्षेत्र में उनका नाम है और वो एक बहुत काबिल प्रशासक हैं उन्होंने अपनी एक टीचर को सबके बीच में बहुत जोर से डांटा दो घंटे बाद स्टाफ रूम में फिर डाँटा छठे पीरियड में फिर एक बार सभी टीचर्स के बीच में डांट दिया लड़की बेचारी वहीं सबके बीच फफक के रो पड़ी फिर आया आखिरी पीरियड

उसमें उस दिन पूरे स्टाफ की एक मीटिंग थी सब बैठे प्रिंसिपल ने उनसे पूछा क्यों ? आया मज़ा ? सबके बीच में यूँ डांट खा के कैसा लगता है ? बुरा लगा न ?

उन बच्चों को भी बुरा लगता होगा जिन्हें तुम रोजाना डांटती हो अपनी खीज उतारने के लिए मार देती हो उन्हें गधा नालायककामचोर और न जाने क्या क्या बोलती हो कितना होते होंगे वो मैं इतने दिन से तुम्हे समझा रहा हूँ तुम्हे समझ नहीं आ रहा था आज मैं तुमसे नाराज नही था मैंने तुम्हे सिर्फ ये अहसास दिलाने के लिए कि सार्वजनिक प्रताड़ना कितनी कष्ट दायी होती है तुम्हें जान बूझ के डांटा लड़की फिर रोने लगी

एक दिन फिर मीटिंग हो रही थी सबके काम काज की समीक्षा हो रही थी काम के मामले में उस लड़की की खूब तारीफ हुई दस मिनट बाद उसे खड़ा किया पूछा कैसा लगा ? अच्छा लगा न ? सबके बीच में तारीफ हुई कैसा फील हुआ

उस मीटिंग के बाद प्रिंसिपल साहिब ने योजनाबद्ध तरीके से उस लड़की की सबके सामने तारीफ करनी शुरू की तुम्हारा ये ये काम बहुत अच्छा है इस इस में सुधार करो ये ये गलतियां सुधारो तुम जिंदगी में बहुत ऊपर जाओगी कहना न होगा आज वो लड़की उनके स्कूल की सबसे काबिल टीचर है

मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ जो ये बताते हैं कि हमारे बाप ने कभी जिंदगी में हमारी तारीफ न की हमेशा नालायक ही बताया मेरे एक मित्र आज भी उस टीचर को याद करके भावुक हो जाते हैं जो हमेशा स्कूल में उनकी तारीफ करते थे

नालायक से नालायक आदमी में भी कुछ गुण तो होते ही हैं क्यों न उन्हें ही किया जाए दुनिया भर में तिरस्कृत बच्चे को तारीफ का एक शब्द जलते अंगारे पे पड़ी पानी की शीतल बूँद सा लगता है

समाज में प्रोत्साहन से जो मिल सकते हैं वो से कभी नहीं मिल सकते

अपने बच्चों की और अपने आसपास के लोगो की तारीफ करना सीखिए

Spiritual Story Dad And Daughter

एक बार एक व्यक्ति अपनी नयी कार को बड़े प्यार से पालिश करके चमका रहा था। तभी उसकी 4साल की बेटी पथ्थर से कार पर कुछ लिखने लगी। कार पर खरोच लगती देखकर पिता को इतना गुस्सा आया की वह बेटी का हाथ जोर से मरोड़ दिया। इतना ज़ोर से की बेटी की ऊँगली टूट गई।

बाद में अस्पताल में दर्द से कराह रहीबेटीपूछती है पापा मेरी ऊँगली कब ठीक होगी???????????????

गलती पे पछता रहा पिता कोई जवाब नहीं दे पता। वह वापस जाता है और कार पर लातें बरसाकर गुस्सा निकलता है। कुछ देर बाद उसकी नज़र उसी खरोच पर पड़ती है जिसकी वजह से उसने बेटी का हाथ तोडा था। बेटी ने पत्थर से लिखा था " "

दोश्तों गुस्सा और प्यार की कोई सीमा नहीं होती। याद रखें चीजें इस्तेमाल के लिए होती हैं और इंसान प्यार करने के लिए। लेकिन होता इसका उलट है।

आजकल लोग चीजों से प्यार करते हैं और इंसान को इस्तेमाल करते हैं।

Hindi Story Valentine Day Story In Hindi

एक सेठ जी थे -

जिनके पास काफी दौलत थी

सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी

परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी शराबी निकल गया

जिससे सब धन समाप्त हो गया

बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो

मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?

सेठ जी कहते कि

"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे"

एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि तभी उनका दामाद घर आ गया

सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये

यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू जिनमे अर्शफिया थी दिये

दामाद लड्डू लेकर घर से चला

दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया

उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगेमिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया

सेठ जी लड्डू लेकर घर आये सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया

सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली

सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा

देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में

इसलिये कहते हैं कि भाग्य से

ज्यादा

और

समय

से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो

झूला जितना पीछे जाता है उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।

सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।

जिंदगी का झूला पीछे जाए तो डरो मत वह आगे भी आएगा।

बहुत ही खूबसूरत लाईनें

किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये

कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता!

डरिये वक़्त की मार सेबुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता!

अकल कितनी भी तेज ह़ोनसीब के बिना नही जीत सकती!

बीरबल अकलमंद होने के बावजूदकभी बादशाह नही बन सका!!

""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!

इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!

रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "