ना पुछो की मंज़िल कहा है अभी तो
बस सफ़र का इरादा किया है !
ना हारेंगे हौसला उमर भर किसी
और से नही हमने खुद से ये वादा किया है !!
कोई तालिम नहीं सीखी हमने इस दुनियां से !
हम आज भी सच बोलते हैं मासूम बच्चों की तरह !!
कहाँ मांग ली थी कायनात जो इतनी मुश्किल हुई ऐ-खुदा !
सिसकते हुए शब्दों में बस एक शख्स ही तो मांगा था !!
मरने के नाम पर जो रखती थी मेरे होंठों पर !
उंगलियाँ अफसोस कि वही मेरी दिल की क़ातिल निकलीं !!