या खुदा अबके ये किस रंग में आई है बहार,
ज़र्द ही ज़र्द है पेड़ों पे हरा कुछ भी नहीं,
दिल भी एक जिद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह,
या तो सब कुछ ही इसे चाहिए या कुछ भी नहीं,
from : Sad Poetry in Urdu