ये सोच कर अपनी हर हँसी बाट दी मेने
कि किसी ख़ुशी पर मेरा भी नाम हो जाए:
मुख़्तसर सा सफर है मेरा कोन जाने कब
मेरे इस सफर की आखरी शाम हो जाए
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