देखकर दर्द किसी का अगर आह भी निकल जाती है,
बस इतनी सी बात हमको इन्सान बना जाती है.
ढूंढना ही है तो "परवाह" करने वालों को ढूंढ़िये..ज़नाब,*
इस्तेमाल" करने वाले तो.. ख़ुद ही आपको ढूंढ लेंगे"
मिलने- मिलाने की कभी, फुर्सत नहीं होती जहाँ,
वो बस्तियां इन्सान की अब, शहर कहलाने लगीं !
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