रब्बा मेरे इश्क़ किसी को
ऐसे ना तडपाये... होय
दिल की बात रहे इस दिल में
होठों तक ना आए
तुझे याद ना मेरी आई
किसी से अब क्या कहना
दिल रोया की अँख भर आई
किसी से अब क्या कहना
तुझे हर खुशी दे दी
लबों की हँसी दे दी
जुल्फों की घटा लहराई
पैगाम वफ़ा के लाई
तूने अच्छी प्रीत निभाई
किसी से अब क्या कहना...
वो चाँद मेरे घर-आँगन
अब तो आएगा
तेरे सूने इस आँचल को
वो भर जाएगा
तेरी कर दी गोद भराई
किसी से अब क्या कहना...
ख़ता हो गयी मुझसे
कहा कुछ नहीं तुमसे
इकरार जो तुम कर पाते
तो दूर कभी ना जाते
कोई समझे ना प्रीत पराई
किसी से अब क्या कहना..