जो अपना काम छोड़कर आपको वक़्त देते है।
खुद को इतना कमजोर मत होने दो
की तुम्हे किसी के अहसान की ज़रुरत हो।
उसकी इज्जत कभी मत करो,
जो आपकी इज्जत नहीं करता,
उसे अहंकार नहीं कहते,
उसे आत्म-सम्मान कहते हैं।
हर रिश्ते की अलग अलग सीमाएं होती हैं,
लेकिन जब बात आत्मसम्मान की हो तो
वहां पर हर रिश्ता समाप्त कर देना ही उचित है।
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान
उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है
अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए !!
कुछ चीजें अकड़ की वजह से नहीं,
बल्कि आत्मसम्मान के लिए छोड़नी पड़ती हैं.।
सम्मान सबका करें यह आपके संस्कार हैं,
लेकिन अपने आत्मसम्मान का ध्यान रखना,
यह आपका अधिकार हैं।
आत्मसम्मान की रक्षा
हमारा सबसे पहला धर्म है।
जो लोग आपके मन की शांति को भंग करें
और आपके आत्मसम्मान को चोट पहुँचाएं,
ऐसे लोगों से दूर रहने में ही समझदारी है।
आत्मसम्मान पर लगी ठेस
इंसान का वर्तमान और भविष्य
दोनों बदल सकती है..!!
उसकी इज़्ज़त कभी मत करो,
जो आपकी इज़्ज़त नहीं करता,
उससे अंहकार नहीं कहते,
उसे आत्म- सम्मान कहते है।
अहंकार भी आवश्यक है
जब बातें अधिकार, चरित्र
एवं सम्मान की हो तो..!!
सम्मान हमेशा समय और स्थिति का होता है
पर इंसान उसे अपना समझ लेता है!
जिंदगी एक ही है चाहे
जितना वक्त लगे खुद को
हमेशा बेहतर बनाने की कोशिश करें।
समझदार व्यक्ति जब संबंध निभाना बंद कर दे
तो समझ लो उसके आत्मसम्मान को
कहीं ना कहीं ठेस पहुँची है..