सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
अकेले ही तय करने होते है कुछ सफर,
जिंदगी के हर सफर में हमसफ़र नहीं होते
जनाजा जब उठाओ तो माफ कर देना दोस्तों,
सफर मेरा है परेशान तुम्हे किया....
अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी,
मंज़िल मिलती है मौत के बाद।
ज़िन्दगी का सफ़र तो बस इतना सा है
किसी को पा लेना है किसी को खो देना है
कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का यह सफर,
खुदा ने मरना हराम किया लोगो ने जीना.
ज़िन्दगी के सफ़र में न जाने कितने राही मिले.
कुछ यादें बन गए कुछ हुणेशा साथ चले!
ज़िंदगी का सफ़र अभी कुछ अधूरा सा है !
क्यूंकि मेरे कुछ ख़्वाब अभी ख़्वाब ही हैं !!
"सफर में हमसफर साथ ना हो,
तो कठिन डगर लगता है।।
तुम बिना घर द्वार आंगन सुना,
मन बेघर लगता है..!
तुम संग होती महफिल में
सजी कुछ और ही रंग होती,
तेरी नूर से सजी न हो,
वो बेकार शाम-ओ-शहर लगता है..!"
सफर वही तक जहाँ तक तुम हो,
नज़र वही तक जहाँ तक तुम हो,
वैसे तो हज़ारों फूल खिलतें हैं गुलशन में
खुशबू वही तक जहाँ तक तुम हो।
मीलों का सफर पल में बर्बाद कर गया,
उसका ये कहना, कहो कैसे आना हुआ ।
अकेले ही काटना है मुझे जिंदगी का सफर,
पल दो पल साथ रहकर मेरी आदत ना खराब करो
सफर का मजा लेना हो तो
साथ में सामान कम रखिए
और जिंदगी का मजा लेना हो तो
दिल में अरमान कम रखिए !!
है थोड़ी दूर अभी सपनों का नगर अपना,
मुसाफ़िरों अभी बाक़ी है कुछ सफ़र अपना ।