भारत का राष्ट्रगान
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष मागे
गाहे तव जयगाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे जय हे जय हे
जय जय जय जय हे ।।
रविंद्रनाथ टैगोर
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा।
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं
जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जिना हमारा।
मजहब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।
मुहम्मद इक़बाल
तुझको नमन मेरे वतन
फूल हम तू है चमन
तेरी रक्षा को करें गमन
तुझसे ही हैं यह तन मन
आंख जो कोई उठाए
आग दरिया में लगाएं
दुश्मन को दौड़कर भगाए
तिरंगे को हमेशा
चारों दिशाओं में फैलाएं
तेरी खातिर मर भी जाएं
जान पर अपनी खेल जाएं
तुझको नमन मेरे वतन
फूल हम तू है चमन
ए मेरे वतन
मेरी तस्वीर हो तुम
मेरी जमीर हो तुम
ऐ मेरे वतन
मेरी तकदीर हो तुम
विश्व के सभी देशों में
सबसे वीर हो तुम
तू जो अनोखा सा मिला है
हम फूल हैं
तू गुलिस्ता सा खिला है
मेरा अक्स है तू
तू ही मेरा बिछड़ा चमन
तुझसे ही तो गुरूर है
तू ही मेरा सच्चा अहम